चिंताओं के बावजूद 83 प्रतिशत भारतीय कामगार काम में एआई की मदद लेने के इच्छुक

Update: 2023-06-01 11:04 GMT

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नई दिल्ली (आईएएनएस)| आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से कुछ नौकरियों को खतरा होने के बावजूद देश के 83 प्रतिशत कर्मचारी अपने काम का बोझ कम करने के लिए अधिक से अधिक काम एआई के हवाले करना चाहते हैं। गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। लगभग 74 प्रतिशत भारतीय कर्मचारी चिंतित हैं कि एआई उनकी नौकरी खा जाएगा।
हालांकि माइक्रोसॉफ्ट की 'वर्क ट्रेंड इंडेक्स 2023 रिपोर्ट' के अनुसार, तीन-चौथाई से ज्यादा भारतीय कर्मचारी न केवल प्रशासनिक कार्यों (86 प्रतिशत) बल्कि विश्लेषणात्मक कार्य (88 प्रतिशत) और अपनी भूमिका के रचनात्मक पहलुओं (87 प्रतिशत) के लिए भी एआई का उपयोग करने में सहज होंगे।
लगभग 100 प्रतिशत रचनात्मक पेशेवरों ने, जो एआई से बेहद परिचित हैं, अपने काम के रचनात्मक पहलुओं के लिए एआई का उपयोग करने में सहज होंगे।
इस बीच, भारतीय प्रबंधकों के यह कहने की संभावना 1.6 गुना अधिक है कि एआई कर्मचारियों की संख्या में कटौती की बजाय उत्पादकता को बढ़ाकर कार्यस्थल में वैल्यू ऐड करेगा।
डेटा से पता चला है कि एआई काम करने का एक नया तरीका बनाने के लिए तैयार है और एआई को अपनाने के लिए सबसे पहले आगे बढ़ने वाले संगठन पारंपरिक चक्र को तोड़ देंगे, जिससे सभी के लिए रचनात्मकता और उत्पादकता बढ़ेगी।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के कंट्री हेड (मॉडर्न वर्क) भास्कर बसु ने कहा, एआई की अगली पीढ़ी उत्पादकता वृद्धि की एक नई लहर की शुरुआत करेगी, हमारी नौकरियों से नीरसता को दूर होगी और हमें सृजन की खुशी को फिर से खोजने के लिए मुक्त करेगी।
लगभग 90 प्रतिशत भारतीय नेताओं ने कहा कि वे जिन कर्मचारियों को नियुक्त करते हैं, उन्हें एआई के विकास के लिए तैयार करने के लिए नए कौशल की आवश्यकता होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 78 प्रतिशत भारतीय श्रमिकों का कहना है कि वर्तमान में उनके पास अपना काम पूरा करने के लिए उचित समय नहीं है।
बसु ने कहा, प्रत्येक संगठन और उनके शीर्षस्थ अधिकारियों के लिए अवसर और जिम्मेदारी है, सभी के लिए काम का एक उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए एआई का सही तरीके से इस्तेमाल, इसके नए तरीकों के साथ परीक्षण और प्रयोग करना है।
लगभग 76 प्रतिशत भारतीय श्रमिकों ने कहा कि उनके पास अपना काम पूरा करने के लिए पर्याप्त समय और ऊर्जा नहीं है, और रिपोर्ट के अनुसार, उन लोगों के कहने की संभावना 3.1 गुना अधिक है कि वे अभिनव होने के साथ संघर्ष कर रहे हैं।
चार में से तीन से अधिक भारतीय नेता भी नवाचार की कमी को लेकर चिंतित हैं।
रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है, देश के 46 प्रतिशत कामगारों का मानना है कि उत्पादकता को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारक अक्षम बैठकें हैं। वे महसूस करते हैं कि उनकी आधी या इससे भी ज्यादा बैठकों में उनकी अनुपस्थिति पर सहयोगियों का ध्यान नहीं जाएगा।
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