एशियाई ओलंपिक क्वालिफायर में लड़ रहीं थीं पहलवान पूजा, पिता छोड़ चुके थे दुनिया
पहलवान पूजा को अब तक विश्वास नहीं हो रहा है कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। एशियाई चैंपियनशिप में उनके प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़े इस लिए ना तो टीम मैनेजमेंट और ना ही घर वालों ने पूजा को बताया कि बेटी के ओलंपिक क्वालिफाई का सपना पाले बैठे उनके पिता का देहांत हो गया है। विश्व ओलंपिक क्वालिफायर केलिए शुक्रवार को तड़के सोफिया (बुल्गारिया) रवाना होने से पहले पूजा के मुंह से यही निकलता है कि इस बार वह पापा के सपने को जरूर पूरा करेंगी, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सके।
पदक केलिए नहीं बताया पूजा को कि पिता जा चुके हैं
यह बात इसी माह 10 अप्रैल की है। इसी दिन पूजा अलमाटी (कजाखस्तान) में एशियाई ओलंपिक क्वालिफायर में दो-दो हाथ करने जा रही थीं। वहीं हिसार जिले के सिसाई गांव में पूजा के किसान पिता भी इस इंतजार में थे कि उनकी इकलौती बेटी उनका ओलंपियन बेटी कहलाने का सपना पूरा करने को मैट पर उतरने जा रही है। पूजा के मुताबिक जिस वक्त वह मैट पर अलमाटी में 10 अप्रैल को बाउट लड़ रही थीं। उसी दौरान तनाव में उनके पिता का तनाव में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। हालांकि टोक्यो का टिकट हासिल करने के लिए उन्हें फाइनल में पहुंचना था, लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहीं।
76 किलो में लडने वाली पूजा खुलासा करती हैं कि कुश्ती संघ और कोच को घर वालों ने हादसे के बारे में बता दिया, लेकिन यह भी कहा कि पूजा को इस बारे में मत बताना क्यों कि तीन दिन बाद ही एशियाई चैंपियनशिप होनी है। इस चैंपियनशिप में पूजा के कांस्य पदक जीतते ही उन्हें सरिता मोर के साथ दिल्ली रवाना कर दिया गया। पूजा बताती हैं कि जब वह घर पहुंची हैं तब उन्हें पता लगा कि उनके पिता इस दुनिया को छोड़ चुके हैं।
पिता चाहते थे गांव की पहली ओलंपियन बने पूजा
भावुक पूजा के मुंह से यही निकलता है कि उनके पिता ने कोच संजय सिहाग के संरक्षण में इस लिए डाला था कि एक न एक दिन उनकी बेटी ओलंपिक खेलेगी। उनके गांव में कोई ओलंपियन नहीं है। उनका पिता चाहते थे कि उनकी बेटी के आगे ओलंपियन लिखा जाए। अब उनका यही सपना उन्हें सोफिया में पूरा करना है। पूजा कहती हैं कि वह ओलंपिक टिकट हासिल करने के लिए अपना पूरा जोर लगा देंगी।