गावस्कर को क्यों नहीं पसंद है टीम इंडिया का कोच बनना, खुद किया बया

सबको अच्छा लगता हाई प्रोफाइल पोस्ट पर होना. और, टीम इंडिया के हेड कोच से बढ़कर हाई-प्रोफाइल पोस्ट भला और क्या होगा

Update: 2021-06-06 18:02 GMT

सबको अच्छा लगता हाई प्रोफाइल पोस्ट पर होना. और, टीम इंडिया के हेड कोच से बढ़कर हाई-प्रोफाइल पोस्ट भला और क्या होगा. होड़ मचती है जब इसे लेकर आवेदन मंगाए जाते हैं. लेकिन, भारत के पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज रहे सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) को क्रिकेट, कमेंट्री सब पसंद है, पर टीम इंडिया का कोच (Team India Coach) बनना न बाबा न. वो खुद को इससे दूर ही बेहतर समझते हैं. आखिर क्या वजह है कि जिस पोस्ट को कपिल देव, बिशन सिंह बेदी, संदीप पाटिल ने संभाला. और मौजूदा वक्त में रवि शास्त्री संभाल रहे हैं. उस पर बैठना सुनील गावस्कर को अच्छा नहीं लगता.

ऐसा नहीं है कि टीम इंडिया के हेड कोच के तौर पर सुनील गावस्कर की ओर भारतीय क्रिकेट ने नहीं देखा. साल 2004 में वो भारतीय टीम के कोच बनने के बेहद करीब थे, जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्हें टीम का सलाहकार बनाकर भेजा गया था. लेकिन, कोच की कुर्सी तब भी उन्होंने खुद से दूर ही रखी. खैर, अब जाकर उन्होंने इसका खुलासा किया. उन्होंने एक यूट्यूब चैनल द एनालिस्ट पर इसके पीछे की वजह बताई है.
हर बॉल देखनी पड़ती है, मुझसे नहीं होगा- गावस्कर
गावस्कर ने कहा, " मैं उनमें से नहीं हूं जो क्रिकेट की हर बॉल देखूं. ऐसा मैं तब भी नहीं करता था, जब मैं खेलता था. आउट होने के बाद मैं कम ही मैच देखता था. चेंज रूम में जाकर या तो कुछ पढ़ लिया या फिर लेटर का रिप्लाई और इस तरह के कुछ और काम करता था. लेकिन, अगर आपको कोच या सेलेक्टर बनना है तो आपको मैच की हर बॉल देखनी होगी. यही वजह है कि मैं कभी भी कोच नहीं बनना चाहा."
कोई आए तो सलाह दे दूं, पर फुल टाइम कोच नहीं
हालांकि, इसका ये मतलब नहीं कि उन्होंने कभी भारतीय क्रिकेटरों को गाइड नहीं किया या फिर उन्हें कोई सलाह नहीं दी. उन्होंने खुद ही बताया कि सचिन, गांगुली, द्रविड़, लक्ष्मण जब खेला करते थे, तो उनसे बात करने आते थे. उन्होंने कहा कि जब भी किसी को जरूरत होगी वो मेरे पास बेहिचक सलाह लेने आ सकता है. पर कोचिंग का फुल टाइम जॉब मुझसे नहीं होगा.


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