साइना नेहवाल के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए न चुने जाने पर उनके पति और कोच ने कही ये बड़ी बात

साइना नेहवाल कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए नहीं चुने जाने से इसलिए निराश नहीं हैं, क्योंकि उन्हें वो इन खेलों में हिस्सा लेने के लिए बेहद बेकरार हैं

Update: 2022-07-15 11:16 GMT

साइना नेहवाल कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए नहीं चुने जाने से इसलिए निराश नहीं हैं, क्योंकि उन्हें वो इन खेलों में हिस्सा लेने के लिए बेहद बेकरार हैं. वो 2010 और 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 2 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. उनकी नाराजगी या मायूसी, एक खिलाड़ी का अनादर करने पर है. यह ऐसा ही अपने लोग ही आपको s*#@ समझें. 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट, कोच और पति पी कश्यप ने यह बातें साइना नेहवाल के चीनी खिलाड़ी को हराकर सिंगापुर ओपन के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के बाद यह बातें कहीं.

साइना को बीते 2 दिन में भावुक करने वाली दो जीत मिली. कश्यप ने कहा कि सिंगापुर ओपन के पहले राउंड में हमवतन मालविका बंसोड़ को हराने के दौरान साइना जबरदस्त दवाब में थीं. वैसे, उन्होंने यह मुकाबला 34 मिनट में ही जीत लिया था. इससे पहले, बंसोड ने साइना को इस साल जनवरी में इंडिया ओपन में हरा दिया था. कश्यप का मानना है कि बैडमिंडन फेडरेशन ने साइना की इसी हार को आधार बनाकर उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स की टीम में जगह नहीं दी. हे बिंगजियाओ के खिलाफ साइना की जीत इसलिए भी खास है, क्योंकि उन्होंने 2 साल में पहली बार टॉप-10 रैंकिंग में शामिल किसी खिलाड़ी को शिकस्त दी है.
कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए सेलेक्शन ट्रायल ऐसे वक्त रखे गए, जब साइना चोट से उबर ही रहीं थी और उबर कप के दौरान उनका फेडरेशन से सेलेक्शन को लेकर विवाद हो गया था. बस,इसी को आधार बनाकर साइना को बाहर का रास्ता दिखा गया. कोच कश्यप ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, "इस झटके से पूर्व वर्ल्ड नंबर-1 साइना एक तरह से टूट गईं हैं और अक्सर रोने लगती हैं और हर दूसरे दिन बातचीत में कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए नहीं चुने जाने का मुद्दा सामने आ जाता है, इसे लेकर वो रोती रहती हैं. उनके लिए प्रैक्टिस करना तक मुश्किल हो गया है. ऐसा लगता है कि आप अपने लोगों से लड़ रहे हो या विरोधी खिलाड़ी से. इस सोच के साथ मैच खेलना बहुत मुश्किल होता है."
कश्यप ने आगे कहा, "यह बहुत मायने रखता था, क्योंकि बीएआई ने इस साल जनवरी में मालविका के खिलाफ साइना को मिली हार को सेलेक्शन का आधार बना लिया. साइना अपने आप को साबित करना चाहती थीं. इसलिए सिंगापुर ओपन के पहले मैच में उन पर प्रेशर नजर आया.वो दूसरे मैच में खुलकर खेल पाईं.
फेडरेशन की चुप्पी साइना को चुभ रही
साइना और उनके कोच पी कश्यप को जो एक बात लगातार चुभ रही है, वो बैडमिंडन फेडरेशन की इस मुद्दे पर चुप्पी. कश्यप ने इसे लेकर कहा, यह गलत धारणा है कि वह (साइना) घमंडी हैं, क्योंकि वह ज्यादा बात नहीं करती है. वह सिर्फ अपने काम से ध्यान रखती है. इसमें कोई शक नहीं कि जो हुआ उसने उसे प्रेरित किया, लेकिन इस स्थिति की आवश्यकता नहीं थी. उन्हें कम से कम साइना से बात तो करनी चाहिए थी. अगर आप सख्त होना चाहते हैं, तो मैं समझता हूं, लेकिन बात तो की ही जा सकती है. आप उनसे बात करके अनुशासन के बारे में समझा जा सकते थे. लेकिन, इस तरह का उनके मैसेज तक का कोई जवाब नहीं दे रहा है. यह बर्ताव वाकई तकलीफदेह है. बीएआई चाहता तो साइना से यह कह सकता था कि देखिए हम ऐसा सोच रहे हैं और ऐसा करना चाह रहे हैं. किसी कोच ने भी ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप में उनके मुकाबलों को नहीं देखा और न ही उनके प्रदर्शन की समीक्षा की.
बीएआई साइना के मुद्दे पर नियमों का हवाला दे रहा
बैडमिंटन फेडरेशन ऑफ इंडिया का तर्क है कि उन्होंने साइना से अपने फिटनेस स्टेटस की जानकारी देने को कहा था. कश्यप का कहना है कि उन्हें पक्का यकीन था कि साइना कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले पूरी तरह फिट हो जाएंगी. नेहवाल के पास कॉमनवेल्थ गेम्स की टीम में चुने जाने का दावा करने के लिए न तो रैंकिंग थी और न ही हालिया प्रदर्शन उनके दावे को मजबूत कर रहा था. फेडरेशन का कहना है कि उन्होंने प्रक्रिया का ही पालन किया है. हालांकि, कश्यप को लगता है कि फेडरेशन ने ऐसा करके कॉमनवेल्थ गेम्स में सीधे-सीधे एक मेडल खो दिया है.


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