सायना नेहवाल को करियर में आगे क्या करना चाहिए? पूर्व कोच ने दी सलाह
स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल (Saina Nehwal) को उस समय बड़ा झटका लगा था
भारत और भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल (Saina Nehwal) को उस समय बड़ा झटका लगा था जब पता चला था कि यह महिला खिलाड़ी इस बार ओलिंपिक खेलों में हिस्सा नहीं ले पाएंगी. विश्व बैडमिंटन महासंघ (BWF) ने कुछ दिन पहले ही बताया था कि कोरोनावायरस के कारण वह आखिरी तीन क्वालीफायर रद्द कर रहा है और इसी के साथ सायना का अपना चौथा ओलिंपिक खेलना का सपना टूट गया था. भारतीय बैडमिंटन टीम के पूर्व कोच विमल कुमार (Vimal Kumar) का मानना है कि कोरोना महामारी के कारण टोक्यो ओलिंपिक खेलने का सपना टूटने के बाद सायना नेहवाल का आगे का सफर कठिन है और उन्हें अपने कैरियर को विस्तार देने के लिये टूर्नामेंट चुनकर ही खेलना होगा.
चोट और खराब फॉर्म से जूझती आई 31 वर्ष की सायाना के लिए निश्चित तौर पर यह बहुत बड़ा झटका है. वह लंदन ओलिंपिक-2012 में कांस्य जीत चुकी हैं लेकिन उनका सपना ओलिंपिक गोल्ड का था जो इस बार पूरा नहीं हो पाएगा. विमल ने पीटीआई से कहा ,'' वह 2005-06 में सुर्खियों में आई थी और प्रकाश पादुकोण के कारण खेल में अगली पीढी को प्रेरित करने वाली बन गईं. वह लगातार अच्छा खेली और कई साल तक खेलीं. यह दुखद है कि वह इस बार ओलिंपिक के लिये क्वालीफाई नहीं कर सकीं. आखिरी दो मैचों में वह बदकिस्मत रहीं.''
अब सही योजना बनाकर खेलना होगा
सायना को दुनिया की नंबर एक रैंकिंग तक पहुंचाने वाले विमल का मानना है कि लंदन ओलिंपिक की कांस्य पदक विजेता कुछ साल और भारतीय बैडमिंटन को दे सकती हैं बशर्ते वह सही योजना बनाकर खेलें और अपने शरीर का ध्यान रखें.
उन्होंने कहा ,'' वह कुछ साल और खेल सकती हैं लेकिन यह कठिन होगा. उसे सही रणनीति बनाकर चुनिंदा टूर्नामेंट ही खेलने होंगे. उसके पास इतना अनुभव है कि वह सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को हरा सकती है लेकिन उसे रैंकिंग पर ध्यान नहीं देना चाहिये क्योंकि सर्किट पर खेलते हुए चोटमुक्त रहना कठिन होगा.''
अब ओलिंपिक प्राथमकिता नहीं होना चाहिए
सायना अपने कैरियर में 24 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय खिताब जीत चुकी है जिनमें 11 सुपरसीरिज खिताब है. इसके अलावा विश्व चैम्पियनशिप में रजत और कांस्य और लंदन ओलिंपिक 2012 में कांस्य पदक जीता है. बीजिंग ओलिंपिक 2008 में क्वार्टर फाइनल तक पहुंची सायना रियो ओलंपिक 2016 में दूसरे दौर से बाहर हो गई थीं. घुटने की चोट से उबरकर वापसी करते हुए उसने 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता लेकिन पिछले दो साल में टोक्यो ओलिंपिक के लिये क्वालीफाई करने से चूक गईं,
क्या वह अगला ओलिंपिक खेल सकेंगी, यह पूछने पर विमल ने कहा , ''यह बहुत कठिन है. वह लगातार चोटिल हो रही हैं. वैसे भी मेरा मानना है कि ओलिंपिक अब उसकी प्राथमिकता नहीं होना चाहिये. वह अभी भी युवा खिलाड़ियों से बेहतर है लेकिन अब फोकस युवाओं पर होना चाहिये. उसे अपने दम पर सर्किट पर खेलना चाहिये अगर उसके भीतर खेलने की ललक बाकी है. उसके कोच अब पारूपल्ली कश्यप है और अगर वह कुछ साल और खेल सकी तो भारतीय खिलाउ़ियों के लिये यह अच्छा होगा.