इस दिन है तुलसी विवाह, जानिए महत्व, शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के विग्रह स्वरुप शालीग्राम और देवी तुलसी का विवाह किया जाता है।

Update: 2021-10-04 02:37 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के विग्रह स्वरुप शालीग्राम और देवी तुलसी का विवाह किया जाता है। इस दिन को देवउठाउनी एकादशी के रुप में जाना जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु चार महा की लंबी अपनी योगनिद्रा से जाग्रत होते हैं। देवी तुलसी भगवान विष्णु को अतिप्रिय हैं धार्मिक मान्यताओ के अनुसार जागने के बाद भगवान विष्णु सर्वप्रथम हरिवल्लभा यानि तुलसी की पुकार सुनते हैं। तुलसी विवाह के साथ ही विवाह के शुभ मुहुर्त भी शुरु हो जाते हैं। तो चलिए जानते हैं कि इस बार कब है तुलसी विवाह, क्या है इस दिन का महत्व और भगवान शालीग्राम व देवी तुलसी की पूजन विधि।

तुलसी विवाह का महत्व

तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन होता है। इस दिन से चतुर्मास समाप्त होते हैं और तुलसी विवाह के साथ ही सभी शुभ कार्य और विवाह आरंभ हो जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन जो लोग तुलसी विवाह संपन्न करवाते हैं उनके ऊपर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है और उनके जीवन के कष्ट दूर होते हैं। तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। देवी तुलसी की कृपा से आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन शालीग्राम व तुलसी का विवाह होता है इसलिए महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन व सौभाग्य के लिए व्रत पूजन करती हैं।

एकादशी तिथि समापन 15 नवंबर को प्रातः 06 बजकर 39 मिनट पर होगा और द्वादशी आरंभ होगी। इस बार तुलसी विवाह 15 नवंबर 2021 दिन सोमवार को किया जाएगा।

द्वादशी तिथि आंरभ-15 नवंबर 2021 दिन सोमवार को प्रातः 06 बजकर 39 मिनट से

द्वादशी तिथि समाप्त - 16 नवंबर 2021 को दिन मंगलवार को सुबह 08 बजकर 01 मिनट से

तुलसी विवाह की पूजा विधि

सर्वप्रथम लकड़ी की एक साफ चौकी पर आसन बिछाकर तुलसी रखें।

दूसरी चौकी पर भी आसन बिछाएं और उस पर शालीग्राम को स्थापित करें।

अब उनके समीप एक कलश में जल भरकर रहें और उसमें पांच या फिर सात आम के पत्ते लगाएं।

इसके बाद तुलसी के गमले को भलिप्रकार से गेरु से रंग दें।

अब दोनों के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें और रोली या कुमकुम से तिलक करें।

इसके बाद गन्ने से मंडप बनाएं और तुलसी पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं।

इसके बाद चूड़ी,बिंदी आदि चीजों से तुलसी का श्रंगार करें।

तत्पश्चात सावधानी से चौकी समेत शालीग्राम को हाथों में लेकर तुलसी का सात परिक्रमा करनी चाहिए।

पूजन के बाद देवी तुलसी व शालीग्राम की आरती करें और उनसे सुख सौभाग्य की कामना करें।

पूजा संपन्न होने के पश्चात सभी में प्रसाद वितरीत करें।

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