ओलिंपिक के लिए हो सकती है मुश्किल, ट्रायल्स में हिस्सा नहीं लेंगे सुशील कुमार
सुशील ने भारतीय कुश्ती महासंघ ( Wrestling Federation of India) को इस बात की जानकारी दे दी है.
ओलिंपिक खेलों (Olympic Games) में दो पदक जीतने वाले भारत के दिग्गज पुरुष पहलवान सुशील कुमार (Sushil Kumar) अगले महीने एशियाई ओलिंपिक क्वालीफायर (Asian Olympic qualifier) के लिए टीम चुनने के लिए होने वाली ट्रायल्स में हिस्सा नहीं लेंगे. सुशील ने भारतीय कुश्ती महासंघ ( Wrestling Federation of India) को इस बात की जानकारी दे दी है. ट्रायल्स मंगलवार से नई दिल्ली के केडी जाधव स्टेडियम में होनी हैं.
एशियाई ओलिंपिक क्वालीफायर नौ से 18 अप्रैल के बीच कजाकिस्तान के अल्माटी में होना है. ट्रायल्स के आधार पर ही टीम का चयन किया जाएगा. उम्मीद थी कि सुशील इन ट्रायल्स से मैट पर वापसी करेंगे. कोविड-19 के कारण वह लंबे समय से खेल से दूर हैं. .
सुशील ने कहा-तैयार नहीं हूं
'द ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक सुशील इस समय पूरी तरह से फिट नहीं हैं और इसी कारण वह मैट पर नहीं उतर रहे हैं. सुशील ने कहा, "अगर मैं पूरी तरह से फिट नहीं हूं तो मैं किसी भी टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लूंगा. मैंने अपने फैसले के बारे में महासंघ को बता दिया है. मैंने बीते दो-तीन महीनों से ट्रेनिंग नहीं की है क्योंकि मैं स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की साख को दोबारा स्थापित करने में लगा हुआ हूं. मैंने हाल ही में गंभीरता से ट्रेनिंग करना शुरू की है इसलिए मैं हिस्सा नहीं ले सकता."
नरसिंह की जगी उम्मीद
सुशील के ट्रायल्स से बाहर रहने के फैसले से बाकी खिलाड़ियों को फायदा हो सकता है. सुशील 74 किलोग्राम भारवर्ग में खेलते हैं और इस भारवर्ग में नरसिंह यादव, गौरव बालियान हैं. अगर कोई पहलवान अल्माटी में कोटा जीत लेता है तो सुशील के ओलिंपिक खेलने का सपना टूट सकता है क्योंकि डब्ल्यूएफआई के नियमों के मुताबिक जो देश के लिए कोटा जीतते हैं उन्हीं का चयन होता है. अगर कोई भी खिलाड़ी कोटा नहीं जीत पाता है तो मई में सोफिया में होने वाले विश्व ओलिंपिक क्वालीफायर्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें फिर ट्रायल्स से गुजरना होगा.
दूसरी बार लिया नाम वापस
बीते दो महीनों में यह दूसरा मौका है जब सुशील ने मैट पर उतरने से मना कर दिया हो. इससे पहले वे एसजीएफआई के मुद्दे के कारण ही नेशनल चैम्पियनशिप में नहीं उतरे थे. एजीएफआई उस समय विवादों में फंस गई थी जब पता चला था कि महासंघ के कुछ लोगों ने सुशील के हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल किया है.