गुरजीत कौर: परिवार से दूर रहकर बिताया बचपन, आज हॉकी की एक सलाह ने बना दिया स्टार
गुरजीत कौर (Gurjit Kaur) भारत की स्टार ड्रैग फ्लिकर हैं जिन्होंने देश को कई अहम मैच जिताए हैं.
भारत की स्टार ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर आज यानि 25 अक्टूबर को 26 साल की हो रही हैं. भारत के लिए 95 मैच खेलने वाली गुरजरीत कौर ने 65 गोल किए हैं. घरवालों ने बेहतर भविष्य के लिए बेटी को खुद से दूर किया और उसी बेटी ने खेल की राह पर चलते हुए उनका नाम रोशन किया.
गुरजीत कौर के पिता उन्हें अच्छी शिक्षा देने चाहते थे इसलिए गांव से दूर उन्होंने अपनी बेटी को बोर्डिंग स्कूल में डाला. यह स्कूल उनके गांव से 70 किमी दूर था. हालांकि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पिता उन्हें छोटी उम्र में ही खुद को दूर रखने के लिए तैयार थे.
गुरजीत सिंह जिस स्कूल में पढ़ती थीं उसी के बगल में हॉकी ग्राउंड था. वहां बच्चों को खेलते देख उनके दिल में भी हॉकी खेलने की इच्छा जागी और उन्होंने पिता से इसके लिए अनुमति ले ली. शुरुआत में वह बाकियों की तरह ही खेला करती थीं लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि जो सब करते हैं उन्हें वह नहीं करना. वह कुछ अलग करना चाहती थीं. अपने सीनियर्स को देखकर उन्होंने ड्रैग फ्लिक खेलना शुरू किया.
उन्हें बतौर ड्रैग फ्लिकर ही टीम इंडिया में जगह मिली. साल 2017 में उन्होंने टीम को 13 साल बाद एशिया कप जिताने में अहम भूमिका निभाई थी. प्रतियोगिता में उन्होंने कुल आठ गोल किए थे. इसी समय वह चर्चा में आई थीं. इसके अगले साल उन्होंने एशिया कप में 10 गोल किए थे. गुरजीत कौर को अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के वार्षिक पुरस्कारों में वर्ष की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया.
टीम के कोच श्योर्ड मरीन्ये ने गुरजीत के ड्रैग फ्लिक को मजबूत और सटीक बनाने के लिए तरीका निकाला था. उन्होंने गुरजीत को भारी हॉकी स्टिक से खेलने को कहा था जिससे उनके शॉट में ज्यादा ताकत आई. इसका असर दिखा टोक्यो ओलिंपिक में जहां ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुकाबले में उन्होंने अपनी ड्रैग फ्लिक से टीम को जीत दिलाकर सेमीफाइनल में पहुंचाया था.