कोलकाता में दोस्ताना क्रिकेट मैच खेलकर काबुलीवालो को दिया साथ देने का भरोसा

काबुल से 2,026 किलोमीटर दूर कोलकाता में काबुलीवालों ( कोलकाता में बसे अफगानियों) (kabuliwalon) के साथ कोलकाता के ढाकुरिया स्थित तरुण संघ क्लब के कार्यकर्ताओं ने दोस्ताना क्रिकेट मैच खेल कर साथ रहने का भरोसा दिया.

Update: 2021-09-05 11:33 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-  अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे के काबुल (Kabul) में आज भी गोलियों की आवाज सुनी जा सकती है. अफगानिस्तान के अंदर और देश से बाहर रहने वाले अफगान (Afghan) अभी भी दहशत जी रहे हैं. इस बीच, रविवार को काबुल से 2,026 किलोमीटर दूर कोलकाता में काबुलीवालों ( कोलकाता में बसे अफगानियों) (kabuliwalon) के साथ कोलकाता के ढाकुरिया स्थित तरुण संघ क्लब के कार्यकर्ताओं ने दोस्ताना क्रिकेट मैच खेल कर साथ रहने का भरोसा दिया.

रविवार को सुबह 10 बजे से क्रिकेट मैच आयोजित किये गए थे. इस अवसर पर क्लब के सदस्य एवं स्थानीय निवासी उपस्थित थे. इस अवसर पर भारत और अफगानिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज फहराए गए और राष्ट्रगान गाकर और कबूतर उड़ाकर शांति का संदेश दिया गया. साथ ही क्लब के सदस्यों ने काबुलीवालों को भरोसा दिलाया कि उन्हें कोलकाता में डरने की जरूरत नहीं है. वह यहां पूरी तरह से सुरक्षित हैं. बता दें कि ममता बनर्जी की सरकार ने बंगाल में रहने वाले अफगान के लोगों को पूरी सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
दोस्ताना क्रिकेट मैच खेलकर दिया साथ देने का भरोसा
तरुण संघ क्लब के सचिव श्रीकुमार घोष ने कहा, "कोलकाता में अफगानिस्तान के बहुत सारे लोग रहते हैं. उनके परिवार उस देश में हैं. वहां की स्थिति इस समय बहुत खराब है. नतीजतन, वे बहुत चिंतित हैं. यह दोस्ताना मैच इस स्थिति में उनके साथ रहने का संदेश देने के लिए
आयोजित किया गया. क्लब के युवा साथियों के साथ काबुलीवालों का खेल हुआ है.हम उन्हें बताना चाहते हैं कि हम उनके साथ हैं. उन्हें यहां डरने की कोई बात नहीं है." उन्होंने कहा कि खेल से भाईचारा बनता है. दोस्ती का बंधन विकसित हुआ. तरुण संघ क्लब के सदस्यों द्वारा कोलकाता से दूर अफगानिस्तान तक शांति और सद्भाव का संदेश दिया गया."
टैगोर का 'काबुलीवाला' अब भी लोगों को है याद
बता दें कि काबुलीवाला का रिश्ता बंगाल से बहुत ही पुराना है. बंगालियों के दिलो-दिमाग में रबींद्रनाथ टैगोर की काबुलीवाला कहानी की छाप अब भी बरकरार है. इसमें रहमत खान नाम के अफगानी शख्स का जिक्र है. इस शॉर्ट स्टोरी पर एक मशहूर फिल्म भी बनी, जिसमें छबि बिश्वास ने किरदार निभाया, इस कहानी में काबुल के एक ड्राई फ्रूट बिक्रेता रहमत की मिनी नाम की बच्ची से दोस्ती हो जाती है. मिनी को देखकर उसे अपनी बेटी की याद आती है, जिसे वह अफगानिस्तान छोड़ आया है.
अफगान सदियों से रह रहे हैं कोलकाता में
सदियों से अफगान लोग कोलकाता में ड्राई फ्रूट, हींग और कालीन बेचने के लिए आते रहे हैं. अब बहुत से अफगानी ब्याज पर पैसा उधार देने के व्यापार से जुड़े हैं. कोलकाता की कामकाजी आबादी की छोटी अर्थव्यवस्था का यह अटूट हिस्सा बन चुकी है. एक अनुमान के अनुसार कोलकाता में तकरीबन 7 हजार अफगानी रहते हैं. चांदनी चौक, मदन स्ट्रीट, बेंटिंक स्ट्रीट और सेंट्रल कोलकाता के दूसरे हिस्से की बहुत सी इमारतें पठान कोठी के नाम से जानी जाती हैं. इन जगहों पर अफगानी लोग सामुदायिक रूप से एक साथ रहते हैं.


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