एशियन वेटलिफ्टिंग: ओडिशा की आदिवासी बेटी मीराबाई चानू ने किया कमाल, 26 साल बाद देश को दिलाया स्वर्ण पदक

उड़ीसा के मयूरभंज जिले के गरीब आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखने वाली झिल्ली दलबेहरा ने 26 साल बाद एशियाई वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश को स्वर्ण पदक दिलाया।

Update: 2021-04-19 06:28 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | उड़ीसा के मयूरभंज जिले के गरीब आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखने वाली झिल्ली दलबेहरा ने 26 साल बाद एशियाई वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश को स्वर्ण पदक दिलाया। झिल्ली ने ताशकंद में 45 किलो में कुल 157 किलो वजन उठाकर सोना जीता। हालांकि 2019 की एशियाई चैंपियनशिप में झिल्ली ने 162 किलो वजन उठाया था। तब उन्होंने यहां रजत जीता था

झिल्ली से पहले एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने का कारनामा क़र्णम मल्लेश्वरी और कुंजारानी देवी ने 1995 में एक साथ किया था। तब से अब तक इस चैंपियनशिप में कोई स्वर्ण पदक नहीं जीत पाया। हालांकि 45 किलो ओलंपिक में शामिल नहीं है। कोच विजय शर्मा का कहना है कि कंपटीशन नहीं होने के कारण झिल्ली से ज्यादा जोर नहीं लगवाया। उन्होंने स्नैच में 69 और क्लीन एंड जर्क में 88 किलो वजन उठाया। फिलीपींस की मैरी फ्लोर डियाज ने 135 किलो वजन उठाकर रजत जीता।


 


विश्व कीर्तिमान बनाकर मीराबाई चानू जितनी खुशी महसूस कर रही हैं उससे कहीं ज्यादा राहत उन्हें पहली दो लिफ्ट फेल होने के बाद स्नैच की तीसरी लिफ्ट उठाने पर मिली थी। उस दौरान कोच, फेडरेशन के पदाधिकारी, साथी लिफ्टर सभी की सांसें थमी थीं। यह ठीक रियो ओलंपिक जैसी स्थिति थी। वहां मीरा क्लीन एंड जर्क में वॉश आउट हो गई थीं और एक मेडल देश के हाथ से निकल गया था। मीरा जानती थीं, इस बार ऐसा हुआ तो सब की अंगुलियां उनकी ओर खड़ी हो जाएंगी। उनके साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़े रहे फेडरेशन, साई, मंत्रालय सब की गर्दन झुकेगी। यहीं मीरा ने अपने से कहा कि नहीं वह इस बार नहीं बिखरेंगी। उन्होंने प्रण लिया कि वह यह वजन हर हाल में उठएंगी और ऐसा ही किया।






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