लगातार असफलता के बाद पुजारा-रहाणे की टीम इंडिया से होगी छुट्टी, ये खिलाड़ी कर रहे मौके का इंतजार

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लगातार विफलता के बाद कुछ दिन पहले अनुभवी भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे इंटरनेट मीडिया पर 'पुराने (पुजारा और रहाणे के नाम से मिल कर बना)' हैशटैग के साथ ट्रेंड कर रहे थे।

Update: 2022-01-13 18:42 GMT

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लगातार विफलता के बाद कुछ दिन पहले अनुभवी भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे इंटरनेट मीडिया पर 'पुराने (पुजारा और रहाणे के नाम से मिल कर बना)' हैशटैग के साथ ट्रेंड कर रहे थे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में विफल होने के बाद अब इन दोनों का भविष्य संकट में है। फरवरी-मार्च में भारत में श्रीलंका के खिलाफ होने वाली सीरीज में हनुमा विहारी, श्रेयस अय्यर और शुभमन गिल का खेलना लगभग पक्का है। केप टाउन में दूसरी पारी में पुजारा (09) ने मार्को जेनसन की उठती गेंद लेग साइड में खेलनी चाही लेकिन कीगन पीटरसन ने लेग स्लिप में बड़ी खूबसूरती से उसे कैच कर दिया।

इसके बाद रबादा की उठती गेंद रहाणे के दस्तानों को चूमकर विकेटकीपर काइल वेरेन के दस्ताने से लगकर हवा में उछली और डीन एल्गर ने बाकी काम पूरा किया। रहाणे इस पारी में सिर्फ अपना खाता ही खोल सके। उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर 22.66 की औसत से सिर्फ 136 रन बनाए जबकि पुजारा का आंकड़ा और भी खराब रहा। उन्होंने इस दौरान 20.66 की औसत से 124 रन बनाए। जब चेतन शर्मा और दूसरे चयनकर्ता भारत में अगली टेस्ट सीरीज के लिए टीम का चयन करेंगे, तो इस बात की पूरी संभावना है कि यह आंकड़े इन खिलाडि़यों को टीम से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए काफी होंगे। भारतीय क्रिकेट में किसी भी खिलाड़ी को लगातार असफल होने के बाद इतने मौके नहीं दिए गए है, जितने कि रहाणे और पुजारा को मिले हैं।
रहाणे और पुजारा पिछले दो वषरें से लगातार असफल हो रहे हैं और उन्हें कभी-कभार ही सफलता मिली है। ऐसा लग रहा था कि टीम प्रबंधन के साथ-साथ चयनकर्ता भी उन्हें सफल होने का भरपूर मौका देने पर तुले हुए हैं। और ये दोनों बार-बार उन्हें गलत साबित कर रहे हैं। शायद यह उचित है कि उन्हें एक ब्रेक (विश्राम) दिया जाए और अन्य विकल्पों पर गौर किया जाए जिससे भारतीय क्रिकेट को फायदा हो। ये दोनों मैच दर मैच एक ही तरीके में आउट होते जा रहे हैं। कई बार ऐसा लगता है कि उन्हें इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि वे बेखौफ होकर आक्रामक तरीके से खेलना चाहते है या रक्षात्मक तरीके से।
पुजारा के मामले में उनकी रन बनाने की धीमी गति दूसरे बल्लेबाजों पर दबाव बना देती है। रहाणे के फुटवर्क में खामी रही है जिस पर वह लंबे समय से सुधार करने में नाकाम रहे है। तेज गेंदबाजों के खिलाफ आफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर वह लगातार एक ही तरीके से आउट हो रहे है। इतने के बाद भी अगर टीम में उनकी जगह बरकरार रहती है तो यह अय्यर और विहारी जैसे खिलाडि़यों के साथ नाइंसाफी होगी।


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