World Environment Day 2021: क्या है इकोसिस्टम की बहाली, कितनी अहम है ये
इस साल विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की थीम Ecosystem Restoration यानी ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली’ है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | इस साल विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की थीम Ecosystem Restoration यानी 'पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली' है. इतना ही नहीं इस मौके पर पा'रिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र का दशक' की भी घोषणा होगी. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आखिर संयुक्त राष्ट्र पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली है क्या और संयुक्त राष्ट्र (United Nations) इसे इतना महत्व क्यों दे रहा है.
क्या कहा संयुक्त राष्ट्र ने इस बारे में
संयुक्त राष्ट्र ने खुद इकोसिस्टम रिस्टोरेशन यान पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के बारे में बताया है कि इसका मतलब प्रकृति को शोषण को रोकने से लेकर उसके उपचार तक बचाव, रोकथाम और नुकसान की भरपाई करना होता है. इस दशक में संयुक्त राष्ट्र एक वैश्विक अभियान के तहत अरबों की जमीन को फिर से प्रकृतिक स्थिति में वापस पहुंचाने का काम करेगा जिसमें खेती की जमीन से ऊंचे पर्वत और यहां तक की समुद्र की गहराई की जमीन भी शामिल है.
क्या होता है पारिस्थिकी तंत्र
इसे समझने के लिए हमें पहले पारिस्थितिकी तंत्र समझना होगा. पारिस्थितिकी तंत्र या इकोसिस्टम वह भौगोलिक भूभाग होता है जहां पौधे, जानवर और अन्य जीव जंतु रहते हैं. इसें मौसम भी शामिल होते हैं. ये सभी जीवित और निर्जीव हिस्से एक दूसरे को प्रभावित करते हैं. माना जाता है कि केवल स्वस्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र या इकोसिस्टम ही लोगों के जीवनयापन की संभावनाओं और व्यवस्थाओं को कायम रख सकता है.
इंसानी दखल की खराबी
पिछली कई सदियों से इंसान ने इस पारिस्थितिकी तंत्र में दखल देकर खुद की रचनाएं स्थापित की हैं और इस तंत्र को इतना खराब कर दिया है कि वह प्राकृतिक रूप से वापस विकसित नहीं हो सकता है. मिसाल के तौर पर नदियों को अपना एक पारिस्थितिकी तंत्र होते हैं लेकिन नदियों के किनारे बसे शहर और उनके उद्योगों से निकलना कचरा जब बहुत ही ज्यादा मात्रा में नदी में मिलने लगता है तो नदी तक का बचना मुश्किल हो जाता है जबकि कई सदियों से यही नदी शहरों से निकली कम मात्रा वाली गंदगी को साफ भी कर लेती थी और अपना पारिस्थितिकी तंत्र भी कायम रख पाती थी.
प्राकृतिक वापसी का असंभव होना
लेकिन इंसानी गतिविधियों ने केवल नदियां ही नहीं बल्कि बल्कि जंगलों को काट कर वहां की जमीन हथिया ली जिससे वहां रहने वाले जीवों को रहना मुश्किल हो गया. हर जीव इस बदलाव के मुताबिक खुद को नहीं ढाल सके और उनके प्राकृतिक आवास नष्ट होने या सिमटने से पूरे के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर बहुत बुरा असर हुआ. सच यह है कि थोड़े बहुत बदलाव तो प्रकृति संभाल लेती है जैसे कुछ ही पेड़ कटें तो कुछ समय में वहां फिर से हरियाली वापस आ जाती है.
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अब करने होंगे विशेष प्रयास
मानव ने विकास के नाम पर या खेती की जरूरत के नाम पर बड़े बड़े भूभाग से जंगल के पेड़ पौधे ही नहीं काटे बल्कि कई वन्य जीवों का घर तक उजाड़ दिया जिससे ऐसे बदलाव हुए कि प्राकृतिक रूप से इन क्षेत्रों की वापसी असंभव हो गई. अब इन क्षेत्रों में प्रकृति को लौटाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस पर इकोसिस्टम रिस्टोरेशन यानी पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली की थीम को लाया गया है.
नतीजे में मिला जलवायु परिवर्तन
मानवीय दखलंदाजी का असर बहुत दूर गामी होता दिखाई दे रहा है. इसकी सबसे बड़ी मिसाल ओजोन परत में छेद है. इसी तरह के नतीजे हमें जलवायु परिवर्तन के रूप में दिखाई दे रहे हैं. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से दुनिया में वर्षण के स्वरूप में बदलाव, गर्मी और सर्दियों का और भीषण रूप ले लेना, तूफानी का बार बार और भीषण होकर आना केवल कुछ मिसाल हैं.
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पृथ्वी का औसत वार्षिक तापमान बढ़ता जा रहा है यह औद्योगिक क्रांति के समय की तुलना में 1.5 डिग्री बढ़ रहा है. पारिस्थितिकी तंत्रों को बिगाड़ने में मानवीय गतिविधियों भूमिका निर्णायक रूप से बढ़ती जा रही है. ऐसे में बहुत जरूरी हो गया है कि इंसान ऐसे प्रयास करे जिससे प्रकृति अपने पारिस्थितिकी तंत्रों को वापस हासिल करने की स्थिति में आ सके.