क्यों बड़ा होता है इंसान के शरीर का ये खास अंग, जानिए वजह?

Update: 2022-04-13 17:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।इंसानों के शरीर के पीछे का निचला हिस्सा. जिसे आप पुट्ठा, नितंब, कूल्हा (Human Butt or Buttock) आदि नामों से पुकारते हैं. दुनिया में मौजूद सभी जानवरों की तुलना में इंसानों का कूल्हा सबसे बड़ा है. सामान्य तौर पर आप कहेंगे कि क्या बेवकूफी वाली बात है? कहां हाथी और कहां इंसान... लेकिन ये बात साइंटिफिकली सही है. आइए जानते हैं कैसे?

इंसानों के कूल्हे का आकार से उस व्यक्ति की सेहत का अंदाजा लगाया जाता है. आपके बट का आकार आपके जीन्स पर निर्भर करता है. बाकी अगर आप जिम में जाकर स्क्वाट्स लगाकर या लंजिंग करके उसे सही आकार और सेहत देते हैं, तो भी अच्छी बात है. लेकिन इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन एनाटोमी (Institute of Human Anatomy - IHA) कहता है कि दुनिया में मौजूद सभी जीवों के कूल्हों की तुलना में इंसान का कूल्हा सबसे बड़ा है.
असल में यह तुलना हो रही है शरीर के अनुपात में कूल्हे (Body To Butt Ratio) की. यानी हाथी का कूल्हा भले ही आकार में इंसान के कूल्हे से कई गुना ज्यादा बड़ा दिखे. लेकिन वह हाथी के शरीर की तुलना में छोटा है. जबकि इंसान का पुट्ठा उसके शरीर की तुलना में बड़ा है. इस तरह से इंसान के कूल्हे एनिमल किंगडम में मौजूद सभी जीवों के कूल्हों से बड़ा होता है.
आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? इंसान के कूल्हों में ग्लूटियल फोल्ड (Gluteal Fold) होते हैं. साथ ही ग्लूटियल क्लेफ्ट (Gluteal Cleft) होता है. IHA के सह-संस्थापक जोनाथन बेनिनो और लैब डायरेक्टर जस्टिन कॉटल ने एक वीडियो जारी करके इसके पीछे की पूरी कहानी बताई. उन्होंने बताया कि कैसे कूल्हे के ऊतक यानी टिश्यू (Tissues) कैसे इसे सबसे बड़ा बनाते हैं. वो कैसे शरीर के कंकाल यानी हड्डियों से जुड़े होते हैं.
जोनाथन और जस्टिन ने ह्यूमन कैडेवर का उपयोग किया. यानी दान किए गए इंसानी शरीर का. उन्होंने इंसान के कूल्हे का डिसेक्शन किया. ताकि उसकी एनाटोमी यानी आंतरिक संरचना को समझ सकें. ऊपर की परत में त्वचा, डर्मिस और एपिडर्मिस हो गई. उसके नीचे आती है हाइपोडर्मिस जो एडिपोस (Adipose) नाम के फैटी टिश्यू से बनी होती है. एडिपोस नाम के टिश्यू का मोटापा शरीर में मौजूद फैट पर निर्भर करता है. जितना ज्यादा फैट, उतना ज्यादा बड़ा कूल्हा.
लेकिन, इसके पीछे एक वजह और है. वो है ग्लूटियस मैक्सिमस (Gluteus Maximus). ये शब्द ऐसे लगता है जैसे हॉलीवुड फिल्म ट्रॉसफॉर्मर्स के किसी किरदार का. खैर इसका काम भी वैसा ही है. यह मांसपेशियों का एक समूह है, जो इंसान को चलने-फिरने, उठने-बैठने, लेटने और एक्सरसाइज करने में मदद करता है. इसके ऊपर और नीचे शरीर का काफी ज्यादा वजन टिका होता है. इससे शरीर का संतुलन बनता है.
ग्लूटियस मैक्सिमस (Gluteus Maximus) आपकी रीढ़ की हड्डी के साथ जुड़ा होता है. जो हिप और फीमर को जोड़ता है. ताकि आप कायदे से चल फिर सकें. इसलिए लोग इसे मजबूत करने के लिए जिम में डेडलिफ्ट्स भी करते हैं. ताकि ग्लूयटियस मैक्सिमस ढंग से फैल सके और सिकुड़ सके. यह हमें हमारे दोनों पैरों पर संतुलन बनाकर चलने, दौड़ने या किसी भी तरह के व्यायाम में मदद करता है.
चारों पैरों पर दौड़ने वाले जीवों के ग्लूटियस मैक्सिमस (Gluteus Maximus) मांसपेशियां मजबूत नहीं होती. न ही सही आकार में दिखती हैं, न ही वो इतनी मजबूत होती है, जितनी इंसानों की होती हैं. जितना ज्यादा मांसपेशियों का उपयोग होगा, उतनी ज्यादा उसकी ताकत बढ़ेगी. उतना ही ज्यादा उसका आकार सही रहेगा. और वह बढ़ेगा भी.
जो जानवर अपने चार पैरों पर चलते हैं, उनके लिए यह काम आसान नहीं होता. इसके लिए आपको इंसानों जैसे हड्डियों की संरचना चाहिए होती है. इंसानों ने अपने शरीर के इस अंग की बदौलत कई बड़े काम किए हैं. तेज दौड़ने का रिकॉर्ड, साइकिलिंग का रिकॉर्ड, बेस बॉल में रिकॉर्ड, एथलीट्स आदि. इंसान इसी पर बैठकर घंटों तक प्लेन उड़ा लेता है. या फिर कार चला लेता है. योग-साधना कर लेता है


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