हमारे सौरमंडल का इकलौता सूरज समय के साथ बूढ़ा हो रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक आने वाले कुछ अरब सालों में सूरज का अस्तित्व खत्म हो जाएगा या उसमें इतना जोरदार धमाका होगा जिसके बाद सौरमंडल में कुछ भी नहीं बचेगा। बढ़ती उम्र के साथ सूरज में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जिसकी वजह से धरती पर रह रहे जीवों पर उसका असर पड़ सकता है। हाल ही में सूरज पर एक जोरदार धमाका हुआ जिसकी वजह से पृथ्वी पर ब्लैकआउट हो गया था।
ज्ञानिकों के मुताबिक सूरज की उम्र करीब 460 करोड़ साल हो चुकी है, बदलते समय के साथ इसमें कई विचित्र घटनाएं देखने को मिल रही हैं। नए चक्र में प्रवेश करते हुए सूर्य पर गतिविधियां तेज हो रही हैं। गुरुवार, 20 जनवरी को सूरज पर कुछ ऐसा हुआ जिसका असर पृथ्वी पर भी देखने को मिला। दरअसल, उस दिन सूर्य के सनस्पॉट AR2929 में एक बड़ा विस्फोट हुआ, जिसकी वजह से खतरनाक सोलर फ्लेयर की लहरें अंतरिक्ष में फैल गईं।
पृथ्वी पर इस जगह दिखा असर
इस ब्लास्ट की वजह से सूर्य के निकली एक्स-रे किरणें प्रकाश की गति से धरती की ओर आईं और हमारे वायुमंडल के ऊपरी हिस्से से टकराईं। नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने भी अत्यधिक पराबैंगनी फ्लैश को रिकॉर्ड किया। स्पेसवेदर.कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक धमाके के दौरान एक्स-रे की पराबैंगनी किरणें धरती के वायुमंडल से टकराईं। इससे जिससे हिंद महासागर के चारों ओर एक शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट हो गया।
मिड लेवल का था सोलर फ्लेयर
नासा के मुताबिक सूरज पर हुआ ताजा विस्फोट मिड लेवल का एक्सरे फ्लेयर था। वैज्ञानिकों ने कहा कि सूर्य ने 20 जनवरी 2022 को मिड लेवल सोलर फ्लेयर का उत्सर्जन किया जो एक बजकर एक मिनट पर चरम पर थीं। सोलर फ्लेयर्स आमतौर पर सक्रिय क्षेत्रों में होते हैं, जो सूर्य पर मजबूत चुंबकीय क्षेत्रों की उपस्थिति से चिह्नित क्षेत्र होते हैं। ये आमतौर पर सनस्पॉट समूहों से जुड़े होते हैं। जैसे-जैसे ये चुंबकीय क्षेत्र विकसित बड़े होते जाते हैं, वे अस्थिरता के प्वांइट तक पहुंच सकते हैं और विभिन्न रूपों में ऊर्जा जारी कर सकते हैं।
पृथ्वी के लिए राहत की खबर
इतना ही नहीं, सोलर फ्लेयर में घातक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन होता है। हालांकि सूर्य से निकलने वाली ये सौर उर्जा पृथ्वी को वायुमंडल से नहीं गुजर सकती, जिस वजह से जीवन को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। हालांकि इनकी वजह से बिजली केंद्र, पावर ग्रिड, नेविगेशन सिग्नल, रेडियो संचार प्रणाली प्रभावित हो सकती है। इससे अंतरिक्ष में मौजूद स्पेस स्टेशन या अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।