flash eating bacteria : किसे ज्यादा है? फ्लैश ईटिंग बैक्टीरिया का खतरा

Update: 2024-06-17 14:59 GMT
Flesh-Eating Bacteria: पूरी विश्व अभी कोरोना के कहर से पूरी तरह उबर तक नहीं पाया है। वहीं, दूसरी तरफ जापान में एक नई बीमारी तेजी से पैर पसार रही है। जापान में एक बैक्टीरिया ने कहर मचाया हुआ है। इसे फ्लैश ईटिंग बैक्टीरिया के नाम से जाना जाता है। इस बैक्टीरिया की चपेट में आने से लोगों को स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम नाम की खतरनाक बीमारी हो सकती है। ये इतनी गंभीर है कि इससे लोगों की जान भी जा सकती है।
STSS in Japan: पूरी विश्व अभी कोरोना के कहर से पूरी तरह उबर तक नहीं पाया है। वहीं, दूसरी तरफ जापान में एक नई बीमारी तेजी से पैर पसार रही है। जापान में एक बैक्टीरिया ने कहर मचाया हुआ है। इसे फ्लैश ईटिंग बैक्टीरिया (Flesh Eating Bacteria) के नाम से जाना जाता है। इस बैक्टीरिया की चपेट में आने से लोगों को स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (Streptococcal Toxic Shock Syndrome) नाम की खतरनाक बीमारी हो सकती है। ये इतनी गंभीर है कि इससे लोगों की जान भी जा सकती है।
कोविड-19 के रेस्ट्रिक्शन्स को कम करने के बाद से ही जापान में इस बीमारी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। बता दें कि ये इतनी खतरनाक बीमारी है कि केवल 48 घंटों के अंदर मरीज की जान ले सकती है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फेक्शियस डिजीज केवल जापान में ही 2 जून तक 977 लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। 2023 में ये मामले 941 थे। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फेक्शियस डिजीज इस बीमारी का निरक्षण साल1999 से ही करती आ रही है। इस बीमारी की मृत्यु दर बहुत ज्यादा है, जो चिंता का विषय बनी हुई है। आइए जानें Flesh Eating Bacteria के लक्षण क्या हैं?
फ्लैश ईटिंग बैक्टीरिया के लक्षण (STSS Symptoms) इस बीमारी का सबसे आम charractor सूजन और गले में खराश है। इसे स्ट्रीप थ्रोट भी कहा जाता है। इस बीमारी की चपेट में आने से लोगों को हाथ-पैरों में दर्द, बुखार, सांस की दिक्कत, सूजन, नेक्रोसिस, ऑर्गन फेलियर और ब्लड प्रेशर लो होने जैसी दिक्कतें हो रही हैं। इसकी खासियत ये है कि ये बहुत ही तेजी से फैल रहा है। इसे पैरों से घुटनों तक पहुंचने में केवल कुछ ही घंटे लगते हैं। सही से इलाज ना मिला, तो केवल 48 घंटों के भीतर मरीज की मौत भी हो सकती है।
जापान में Flesh Eating Bacteria ने मचाया कहरइस बीमारी का खतरा 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादा है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन्हें ऐसी बीमारियां अपनी चपेट में जल्दी ले लेती हैं। ऐसे में इसका कोई भी लक्षण दिखते ही डॉक्टरी सलाह और चेकपअ जरूर कराएं।
स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम से खुद की और अपने परिवार की रक्षा करने के लिए हाइजीन का पूरा ख्याल रखें। घर से बाहर निकलने परjanral
  चीजों को हाथ न लगाएं और मास्क जरूर पहनें। बाहर से घर आने पर हाथों को साबुन से 2 मिनट तक अच्छे से साफ करें। शौच करते हुए भी सफाई का खास ख्याल रखें। ये किसी भी जरिए से आपके शरीर पर हमला कर सकता है। घर से बाहर निकलने पर चेहरे पर हाथ लगाने से बचें। यदि शरीर पर किसी भी तरह का घाव है, तो उसे डॉक्टर को समय रहते दिखवा लें। अगर स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम जैसा कोई लक्षण दिखे, तो उसे नजरअंदाज ना करें। इस वक्त किसी भी अंतर्राष्ट्रीय सफर पर जाने से बचें।
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