क्या पृथ्वी पर होगा असर? तेजी से बढ़ रहा सूर्य पर बना सनस्पॉट
सूर्य पर बना सनस्पॉट
एक्सपर्ट ने सूर्य की सतह पर एक ऐसे स्पॉट का पता लगाया है, जो बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यह अब पृथ्वी के आकार का तीन गुना हो गया है। हाल में यह सनस्पॉट पृथ्वी की ओर फोकस्ड था। इससे सौर फ्लेयर्स और औरोरा के आने की संभावना थी। ध्यान रहे कि सौर फ्लेयर्स के असर से सैटेलाइट्स पर असर पड़ सकता है। ये धरती पर पावर ग्रिड को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना असामान्य नहीं है। सोलर साइकिल के इस समय में ऐसा होने की उम्मीद थी और लोगों को इसकी वजह से चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
एक्टिव रीजन 3038 (AR 3038) सनस्पॉट को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) स्पेस वेदर फोरकास्ट ऑफिस के प्रमुख रॉब स्टीनबर्ग के अनुसार, सनस्पॉट में इतनी तेजी से वृद्धि कोई असामान्य घटना नहीं है।
स्टीनबर्ग ने कहा कि इस सोलर साइकिल में सनस्पॉट के बढ़ने की उम्मीद थी। यह 11 साल तक चलने वाली सोलर साइकिल है, जो 2019 में फिर से शुरू हुई। सनस्पॉट को लेकर आशंकाओं को दूर करते हुए स्टीनबर्ग ने कहा कि इस तरह के सनस्पॉट से किसी भी खतरनाक सौर फ्लेयर्स के शुरू होने की संभावना नहीं है, जो सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं या पावर ग्रिड को प्रभावित कर सकते हैं।
जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स प्रकाश की गति से अपना सफर तय कोरोनल मास इजेक्शन भी होता है।
रिपोर्टों की मानें तो इस सोलर फ्लेयर्स के पृथ्वी की ओर बढ़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि सनस्पॉट AR3038 का डायरेक्शन बदल गया है और अब यह पृथ्वी की ओर नहीं है।
वहीं बात करें कोरोनल मास इजेक्शन या CME की, तो यह सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से भी सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।