Bennu क्षुद्रग्रह के बारे में क्या नया बता रहा है नासा का यान
नासा का ओसाइरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान ने दो साल पहले बेन्नू क्षुद्रग्रह के नमूने जमा किए थे. इस पूरी प्रक्रिया के जानकारी आंकड़ों की शकल में वैज्ञानिकों ने जमा भी की थी.
नासा (NASA) का ओसाइरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान (OSIRIS-REx spacecraft) ने दो साल पहले बेन्नू क्षुद्रग्रह (Bennu Asteroid) के नमूने जमा किए थे. इस पूरी प्रक्रिया के जानकारी आंकड़ों की शकल में वैज्ञानिकों ने जमा भी की थी. ये नमूने अब इस यान के जरिए पृथ्वी पर अगले साल पहुंचेंगे. लेकिन उससे पहले नमूने हासिल करने के दौरान के आंकड़ों से विश्लेषण से एक चौंकाने वाली बात वैज्ञानिकों को पता चला है. इस पूरे शोध को वैज्ञानिकों ने एक शोधपत्र के जरिए जारी किया गया है जिसमें शोधकर्ताओं ने बताया है कि ओसाइरस यान नमूने लेते समय बेन्नू की सतह में ही अंदर धंसने वाला था, लेकिन ऐन वक्त पर, यानि नमूने लेने के फौरन बाद, थर्स्टर्स चलने की वजह से ऐसा नहीं हो सका.
उम्मीद के बिलकुल उलट
वैज्ञानिकों ने यह नतीजा उन आंकड़ों के विश्लेषण के जरिए निकाला है जो अक्टूबर 2020 में बेन्नू क्षुद्रग्रह से लिए जा रहे धूल और चट्टानों नमूने के दौरान लिए गए थे. इससे पहले वैज्ञानिकों ने बिलकुल उम्मीद नहीं की थी कि बेन्नू की बाहरी सतह के कण इतने ढीले तरह से एक दूसरे केपास होंगे कि यदि किसी को उस पर कदम रखना हो, तो क्षुद्रग्रह से बहुत ही कम प्रतिरोध मिलेगा.
बहुत सारी खाली जगह मिली सतह पर
सैन एंटोनिया में स्थित साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओसाइरस रेक्स विज्ञान टीम के सदस्य केविन वाल्श ने बताया कि यदि बेन्नू पूरी तरह से पैक होता तो इसका मतलब यही होता कि सतह ठोस चट्टान की तरह होती. लेकिन हमें सतह पर बहुत सारी खाली जगह मिली. बेन्नू सतह की इस सबसे नई पड़ताल 7 जुलाई 2022 को साइंस और साइंस एडवांस में प्रकाशित हुई है.
लगातार चौंकाया है बेन्नू ने
इन दोनों शोधपत्रों की अगुआई क्रमशः टक्सन की एरिजोना यूनिवर्सिटी में ओसाइरस रेक्स के प्रमुख अन्वेषणकर्ता दांते लॉरेटा और केविन वाल्श ने की है. इन चौंकाने वाले नतीजों ने वैज्ञानकों को भी हैरान किया क्योंकि बेन्नू ने लगातार खुद को अप्रत्याशित ही साबित किया है. पहली बार बेन्नू ने दिसंबर 2018 में चौंकाया था जब ओसाइरस बेन्नू पर पहुंचा था.
धरती के अवलोकनों से बिलकुल उलट
उस समय ओसाइरस की टीम ने पाया था बेन्नू की सतह सपाट होने की जगह कई पत्थरों से बिखरी पड़ी है. वहीं वैज्ञानिक इस सतह को पृथ्वी से हुए टेलीस्कोप के जरिए हुए अवलोकनों के आधार पर यह आशा कर रहे थे कि बेन्नू की सतह सपाट और रेतीले समुद्री किनारे की तरह होगी. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि बेन्नू अपनी सतह से अंतरिक्ष में चट्टानों के कणों को उत्सर्जित कर रहा है.
सतह देखी तो चौंके बिना नहीं रह सके
लॉरेटा बताते हैं, "क्षुद्रग्रह की सतह के बारे में हमारी उम्मीदें पूरी तरह से गलत थीं. बेन्नू जो है वह वास्तव में नहीं है, इस तरह का नवीनतम प्रमाण तब मिला जब ओसाइरस रेक्स यान ने नमूने उठाए और क्षुद्रग्रह की सतह की सबसे नजदीक की तस्वीरें पृथ्वी को भेजी थीं. लॉरेट ने बताया, "हमने क्या देखा कि नमूने की साइट से अवशेषों की एक बड़ी दीवार चमक रही है. और हमने हैरान हुए बिना नहीं रह सके.
फिर से तस्वीरें लेने का फैसला
अभियान के वैज्ञानिक सतह पर बिखरे पत्थर कंकड़ से चकित तो थे ही, उससे भी अजीब बात यह रही कि बहुत नजाकर से नमूने लेने के बाद भी यान ने साइट पर 8 मीटर चौड़ा बड़ा क्रेटर जैसा गड्ढा कर दिया था. लॉरेटा ने कहा, " यहां तक कि टीम ने यह फैसला किया कि ओसाइरस यान को वापस भेजा जाए जिससे बेन्नू की सतह की और तस्वीरें लेकर पता लगाया जा सके कि हमने वहां किया है."
नाइटएंगल साइट से लिए अवशेष, जो कि तस्वीरें ली गईं थी, वैज्ञानिकों ने उनका गहन अध्ययन किया. इसमें यान के टचडाउन के दौरान जमा किए आंकड़े भी शामिल थे. शोधकर्ताओं ने बताया कि जब सतह छोड़ने के ले थ्रस्टर्स को शुरू किया तब भी यान क्षुद्रग्रह पर छेद ही कर रहा था. शोधकर्ताओं को उम्मीद है इस नई जानकारी से वैज्ञानिकों को दूसरे क्षुद्रग्रह के अवलोकन में सहायता मिल सकेगी.