नई दिल्ली: एक शोध में यह बात सामने आई है कि सिकल सेल रोग वाले लोगों में उम्र बढ़ने के साथ मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तन संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव) समस्याओं का कारण हो सकते हैं। सिकल सेल रोग एक तरह का जेनेटिक विकार है। इसमें लाल रक्त कोशिकाएं असामान्य आकार में बदल जाती हैं और रक्त वाहिकाओं में रुकावट पैदा कर सकती हैं। इससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
इस बीमारी से पीड़ित लोगों को याद रखने, ध्यान केंद्रित करने, सीखने और समस्या-समाधान में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक के बिना भी इन स्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसे समझने के लिए सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं और चिकित्सकों ने सिकल सेल रोग से पीड़ित और बिना सिकल सेल रोग वाले 200 से अधिक युवा वयस्कों की जांच की।
इन सभी का एमआरआई स्कैन और संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव) टेस्ट किया गया। प्रत्येक व्यक्ति की मस्तिष्क आयु की गणना एक मस्तिष्क आयु पूर्वानुमान उपकरण का उपयोग करके की गई थी।
अनुमानित मस्तिष्क आयु की तुलना व्यक्ति की वास्तविक आयु से की गई। जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित परिणामों से पता चला कि सिकल सेल रोग वाले प्रतिभागियों का मस्तिष्क उनकी वास्तविक आयु से औसतन 14 वर्ष अधिक पुराना दिखाई देता था। अधिक उम्र के दिखने वाले मस्तिष्क वाले सिकल सेल प्रतिभागियों ने संज्ञानात्मक परीक्षणों में भी कम अंक प्राप्त किए।
टीम ने कहा, इसके अलावा शोध से यह बात सामने आई कि आर्थिक अभाव का सामना करने वाले लोगों क मस्तिष्क भी अधिक वृद्ध दिखाई देता है।'' औसतन, गरीबी का सामना कर रहे स्वस्थ व्यक्तियों में मस्तिष्क की आयु और प्रतिभागियों की वास्तविक आयु के बीच सात साल का अंतर पाया गया।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी मेडिसिन में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर एंड्रिया फोर्ड ने बताया, "सिकल सेल रोग जन्मजात होता है। इस बीमारी में मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं पहुंचती।'' अध्ययन में कहा गया कि सिकल सेल रोग और आर्थिक अभाव के मस्तिष्क संरचना पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने की आवश्यकता है। टीम ने यह भी नोट किया कि न्यूरोलॉजिकल स्थितियों वाले रोगियों की मदद करने के लिए एक सिंगल एमआरआई स्कैन एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है।