बर्फ में ज्वालामुखी विस्फोट, वैज्ञानिकों ने इस इतिहास का पता लगाया

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Update: 2022-03-20 17:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: अंटार्कटिका (Antarctica) और ग्रीन लैंड (Greenland) के बर्फ में ज्वालामुखी विस्फोट से निकली सल्फ्यूरिक एसिड के अवशेषों का अध्ययन कर वैज्ञानिकों ने पिछले 60 हजार साल में हुए विशाल काय ज्वालामुखी विस्फोटों (Volcanic Eruption) के इतिहास का पता लगाया है. उन्होंने पाया है कि अभी तक जितने भी ज्वालामुखी मानव इतिहास में दर्ज किए ये विस्फोट उनसे कहीं ज्यादा शक्तिशाली और वैश्विक जलवायु को प्रभावित करने वाले थे.

एक नए अध्ययन में भौतिकविदो ने अंटार्कटिका (Antarctica) और ग्रीन लैंड (Greenland) की पुरातन बर्फ से विशाल ज्वालामुखी उत्सर्जन की ऐतिहासिक जानकारी निकालने में सफलता पाई है. हिम युग दौरान ऐसे विशालकाय ज्वालामुखी प्रस्फुटन (Volcanic Eruptions) हुए थे जो मानव द्वारा दर्ज इतिहास में अब तक कभी नहीं हुए है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस तरह कुल 69 ज्वालामुखी विस्फोट हुए थे. और उस युग में हुए बहुत से विशालकाय ज्वालामुखियों का पूरे संसार पर असर देखने को मिला था. 
कोपनहेगन यूनिवर्सिटी के भौतिकविदों का यह अध्ययन क्लाइमेट ऑफ द पास्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इन विस्फोटों (Volcanic Eruptions) का अध्ययन हमें हमारे ग्रह की जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रति संवदेशनशीलता के बारे में सिखा सकता है. अभी तक ज्वालामुखी प्रस्फुटनों को कान फोड़ने वाले विस्फोट माना जाता है जिसमें धुआं (Volcanic Ash) वायुमंडल की समतापमंडल तक पहुचंता है और लावा हर तरफ फैलने लगता है. लेकिन इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इससे भी विशालकाय ज्वालामुखी प्रस्फुटन की बात की है. अभी तक पिछले 2500 सालके ज्वालामुखी विस्फोटों (Volcanic Eruptions) की जानकारी बहुत अनिश्चित और सटीकता की कमी से भरी थी. शोधकर्ताओं के पहचाने गए ज्वालामुखी विस्फोटों में से 85 को विशाल वैश्विक प्रस्फोट माना गया. इनमें से 69 तो 1815 को इंडोनेशिया (Indonesia) के माउंट तंबोरा (Mount Tambora) में हुए प्रस्फोट से बड़ा पाया गया जो दर्ज मानव इतिहास का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट था. इससे निकलने सल्फ्यूरिक ऐसिड समतापमंडल तक पहुंच गया था जिससे सूर्य की रोशनी रुक गई थी और कई सालों तक ग्लोबल कूलिंग देखने को मिली थी. इस विस्फोट से सुनामी, सूखे और अकाल के कारण 80 हजार जानें गई थीं. शोधकर्ताओं ने उस समय एंटार्कटिका और ग्रीनलैंड की बर्फ पर फैले सल्फ्यूरिक एसिड की मात्रा का पता लगाया जो विस्फोट के बाद पहले वायुमंडल में फैला और फिर ध्रुवों तक पहुंचा।
पिछले अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने अंटार्कटिका (Antarctica) और ग्रीनलैंड (Greenland) की समान समयावधि वाली बर्फ की प्रमुख परतों का अध्ययन किया. इससे वे अलग अलग समय हुए ज्वालामुखी विस्फोटों (Volcanic Eruptions)के कारण फैले सल्फ्यूरिक एसिड की मात्रा का अनुमान लगा कर तुलना कर सके और पता लगा सके कि बड़े विस्फोटों से वैश्विकस्तर पर कितना सल्फ्यूरिक ऐसिड फैला. अब हमारे पास 60 हजार सालों के ज्वालामुखी विस्फोटों की बेहतर जानकारी है. (
यह एक समान्य दिलचस्पी की सवाल है कि अगले विशालकाय विस्फोट (Volcanic Eruptions) कब होंगे लेकिन स्वेनसन का कहना है कि हम अभी इस तरह के सटीक अनुमान लगाने के लिए तैयार नहीं हैं. अभी यह कह नहीं जा सकता है कि यह अगले सौ सालों में होगा या फिर हजार सालों के बाद. तमबोरा (Tambora Volcano) के आकार के विस्फोट हर हजार साल में दो बार होते हैं. पर्याप्त रूप से शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट पूरी जलवायु (Climate) को प्रभावित कर सकते हैं. भविष्य जानने केलिए इस तरह ज्वालामुखियों का मापन जरूरी है.
बर्फ की मुख्य परतों में ज्वालामुखी विस्पोटों (Volcanic Eruptions) के पहले और बात के तापमान की जानकारी होती है जिससे इन ज्वालामुखी विस्फोटों के प्रभाव को समझा जा सकता है. विशाल विस्फोट हमें बताया है कि हमारी पृथ्वी (Earth) जलवायु तंत्रों में बदलावों के प्रति कितनी संवेदनशील है. वे भविष्य में जलवायु (Climate) के पूर्वानुमान लगाने के लिए भी उपयोगी हो सकते हैं. अभी के जलवायु प्रतिमान पृथ्वी की इतनी संवेदनशीलता के बारे में नहीं बता सकते हैं. यह प्रक्रिया हमें बहुत सारी जानकारी दे सकती है. 

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