UAE : ब्रह्मांड की उत्पत्ति पर डेटा इकट्ठा, मंगल और बृहस्पति के बीच मौजूद एस्टेरॉयड पर भेजेगा स्पेसक्राफ्ट
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने मंगलवार को ब्रह्मांड (Universe) की उत्पत्ति पर डेटा इकट्ठा करने के लिए मंगल (Mars) और बृहस्पति (Jupiter) के बीच एक एस्टेरॉयड (Asteroid) पर लैंड करने के लिए एक स्पेसक्राफ्ट भेजने की योजना की ऐलान किया
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने मंगलवार को ब्रह्मांड (Universe) की उत्पत्ति पर डेटा इकट्ठा करने के लिए मंगल (Mars) और बृहस्पति (Jupiter) के बीच एक एस्टेरॉयड (Asteroid) पर लैंड करने के लिए एक स्पेसक्राफ्ट भेजने की योजना की ऐलान किया. अगर ऐसा होता है, तो UAE यूरोपियन यूनियन, जापान और अमेरिका के एक एलिट क्लब में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने ये उपलब्धि हासिल की है.
इस मिशन के तहत स्पेसक्राफ्ट एस्टेरॉयड पर लैंड करेगा और धरती पर इसके संयोजन की जानकारी को भेजेगा. ये काम तब तक जारी रहेगा, जब तक स्पेसक्राफ्ट की बैटरी चार्ज रहेगी. इस प्रोजेक्ट के तहत 2028 में लॉन्चिंग की जाएगी और स्पेसक्राफ्ट 2033 में एस्टेरॉयड पर लैंड करेगा. पांच सालों की अपनी यात्रा के दौरान स्पेसक्राफ्ट 3.6 अरब किलोमीटर की दूरी को तय करेगा.
स्पेसक्राफ्ट पहले शुक्र ग्रह (Venus) की ओर बढ़ेगा और फिर पृथ्वी की ओर आएगा, ताकि इतनी गति हासिल कर सके कि वह 56 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित एस्टेरॉयड तक पहुंच सके. यूएई अंतरिक्ष एजेंसी की अध्यक्ष सारा अल-अमीरी ने कहा कि ये अभी भी चर्चा में है कि अमीरात कौन सा डेटा एकत्र करेगा, लेकिन मिशन और भी बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि अंतरिक्ष यान सूर्य के पास और उससे दूर दोनों जगहों पर यात्रा करेगा.
सारा अल-अमीरी ने कहा कि ये अमीरात मंगल मिशन के बाद होने वाला है. ये कई फैक्टर्स की वजह से कठिन है. अगर हम अमीरात मंगल मिशन की पृष्ठभूमि के बिना इस मिशन को पूरा करते हैं तो इसमें कामयाब होना काफी कठिन होगा.
नासा के अनुसार, लगभग 11 लाख एस्टेरॉयड सौरमंडल (Solar System) में घूम रहे हैं, जिनके बारे में जानकारी है. ये सौरमंडल के बनने के दौरान सामने आए. अधिकतर मंगल और बृहस्पति के बीच मौजूद हैं और सूर्य की परिक्रमा करते हैं. इसी इलाके में UAE का मिशन भेजा जाएगा.
UAE की अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वह इस परियोजना के लिए कोलोराडो यूनिवर्सिटी में लेबोरैटरी फॉर एटमोस्फेरिक एंड स्पेस फिजिक्स के साथ साझेदारी करेगी. वहीं, अमीराती स्पेस एजेंसी ने इस मिशन की कुल लागत की जानकारी को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है. इसके अलावा, ये भी नहीं बताया गया है कि किस तरह के एस्टेरॉयड पर स्टडी की जाएगी.