पीलिया की समस्या दूर करने, इन योगासनों का करें अभ्यास

लिवर हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। रक्त में रासायनिक स्तरों को नियंत्रित करने के साथ लिवर, पित्त का उत्पादन करता है

Update: 2021-10-01 08:21 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लिवर हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। रक्त में रासायनिक स्तरों को नियंत्रित करने के साथ लिवर, पित्त का उत्पादन करता है। इसके अलावा शरीर से तमाम प्रकार के अपशिष्टों को बाहर निकालने में भी लिवर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लिवर में होने वाली किसी भी तरह की समस्या का असर पूरे शरीर पर पड़ सकता है, लिवर में होने वाली ऐसी ही एक समस्या के कारण ही लोगों को पीलिया की बीमारी होती है। रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाने के कारण पीलिया की समस्या होती है। लिवर के ठीक से अपशिष्ट पदार्थ को बाहर करने की क्षमता में आई कमी के कारण यह समस्या होती है। पीलिया में लोगों की आंखें, त्वचा और नाखूनों में असामान्य रूप से पीलापन आ जाने की समस्या होती है। 

विशेषज्ञों की मानें तो नियमित रूप से योग करने वाले लोगों में पीलिया की समस्या होने का खतरा कम होता है। इसके अलावा कई प्रकार के प्राणायाम, लिवर को स्वस्थ रखने के साथ पीलिया के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते हैं। आइए ऐसे ही कुछ प्राणायामों के बारे में जानते हैं। 

कपालभाति प्राणायाम 

योग गुरु के मुताबिक कपालभाति प्राणायाम लिवर को मजबूती देने के साथ उसे कई प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित रखने में सहायक होता है। लिवर संबंधी बीमारियों के कम होने से पीलिया से भी छुटकारा मिलता है। इस आसन को करने के लिए भी सबसे पहले शरीर को एकदम से सीधा रखते हुए ध्यानपूर्वक में बैठ जाएं । इसके बाद एक गहरी श्वास लें। अब इसे नाक से तेजी से छोड़ें, इसमें झटके से पेट को अंदर की ओर ले जाएं। सांस छोड़ते समय नाक से छक की आवाज़ होगी। इस क्रिया को कम से कम 10 मिनट तक करते रहें। 

भस्त्रिका प्राणायाम से मिलता है लाभ

जिन लोगों को पीलिया की शिकायत होती है, स्वास्थ्य विशेषज्ञ उन्हें भस्त्रिका प्राणायाम करने की सलाह देते हैं। लिवर को स्वस्थ रखने के साथ भस्त्रिका प्राणायाम, पीलिया के लक्षणों को कम करने में भी सहायक माना जाता है। इस आसन को करने के लिए भी सबसे पहले शरीर को एकदम से सीधा रखते हुए ध्यानपूर्वक में बैठ जाएं । हाथों को ज्ञान मुद्रा बनाकर दोनों घुटनों पर रखें। कोहनी और कंधों को ढीला छोड़ दें। अब धीरे-धीरे लम्बी और गहरी श्वास लें और छोड़ें। इस योग को रोजाना 5-10 मिनट तक कर सकते हैं। 

अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम को सेहत के लिए सबसे फायदेमंद प्राणायामों में से एक माना जाता है। लिवर के साथ फेफड़े और हृदय के स्वास्थ्य में भी इस प्राणायाम की मदद से सुधार किया जा सकता है। रोजाना इस आसन को करने से इम्यूनिटी भी बढ़ती है। इस आसन को करने के लिए भी सबसे पहले शरीर को एकदम से सीधा रखते हुए ध्यानपूर्वक में बैठ जाएं। बाएं हाथ से ज्ञान मुद्रा बनाकर दाएं हाथ के अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से श्वास भरें। अब बाई नासिका बंद करें और दाईं नासिका से श्वास छोड़ें। इस क्रिया को अब दूसरी नाक से दोहराएं। इस योग को रोजाना 5-10 मिनट तक कर सकते हैं। 

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