इस साल के सबसे भव्य तारों की बारिश, आसमान दीपावली के जैसा जगमग...

दुनियाभर के आकाश में रविवार की रात अद्भुत नजारा देखने को मिला। इस साल के सबसे भव्‍य तारों की बारिश से आसमान दीपावली के जैसा जगमग हो गया।

Update: 2020-12-14 07:06 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दुनियाभर के आकाश में रविवार की रात अद्भुत नजारा देखने को मिला। इस साल के सबसे भव्‍य तारों की बारिश (Geminid Meteor Shower) से आसमान दीपावली के जैसा जगमग हो गया। दुबई में एक घंटे में ही 120 तारे टूटते हुए नजर आए। दुनियाभर से अंतरिक्षप्रेमी इन टूटते हुए तारों को अपने कैमरे में कैद करने के लिए दुबई पहुंचे थे। ये उल्कापिंड Gemini, the Twins तारामंडल से आते हैं और करीब 1,30,000 किमी की रफ्तार से धरती पर गिरते हैं। आइए देखते हैं 13 दिसंबर की रात हुई उल्‍कापिंडों की बारिश की कुछ खास तस्‍वीरें.....

एशिया से अमेरिका तक उल्‍कापिंडों की बारिश
जेमिनिड उल्का पिंडों की बारिश को करीब 200 साल पुराना माना जाता है। रेकॉर्ड्स के मुताबिक वर्ष 1833 में पहली बार अमेरिका के मिसिसीपी नदी के ऊपर तारों की बारिश हुई थी और इसके बाद यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। पहले यह हर घंटे में 10 से 15 होते थे लेकिन अब संख्‍या सैकड़ों में पहुंच चुकी है। उल्‍कापिंडों की इस बारिश को एशिया से लेकर अमेरिका तक देखा गया है। खगोलविदों के मुताबिक रविवार यानी 13 दिसंबर की रात Geminid Meteor Shower अपने चरम पर रहा। रविवार की रात ये उल्‍कापिंड केस्‍टर नाम के सितारे की ओर से निकले और पूरे आसमान को रोशन कर दिया। केस्‍टर और पोलक्‍स को ही जुड़वां कहते हैं। जेमिनिड उल्का पिंडों की बारिश को अगस्त में गुजरे Perseid Meteor Shower से भी बेहतरीन माना जा रहा है। (सभी तस्‍वीरें साभार सोशल मीडिया )

'शूटिंग स्टार' कहे जाते हैं जेमिनिड उल्का पिंड
सबसे खास बात यह है कि दूसरे टूटते तारों की बारिश से उलट, जेमिनिड उल्का पिंड काफी नए हैं। बाकी सबके बारे में इतिहास में जानकारी कई सौ या हजारों साल पहले भी मिल जाती है जबकि Geminids के बारे में सबसे पुरानी जानकारी 1833 में मिली थी। ये उल्कापिंड हर साल दिखाई देते हैं और समय के साथ इनकी संख्या और चमक, दोनों तेज होते जा रहे हैं। इन्‍हें देखने के लिए दुनियाभर में लोगों में काफी उत्‍साह देखा गया है। उल्का पिंड चमकदार रोशनी की जगमगाती धारियां होती हैं, जिन्हें अक्सर रात में आसमान में देखा जा सकता है। इन्हें 'शूटिंग स्टार' भी कहा जाता है।

22 मील प्रति सेकंड की रफ्तार से गुजरते हैं जेमिनिड
जब धूल के कण जितनी छोटी एक चट्टानी वस्तु बहुत तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है, तो घर्षण के कारण प्रकाश की खूबसूरत धारी बनती है। जेमिनिड उल्का पिंड आमतौर पर धरती के करीब से 22 मील प्रति सेकंड की रफ्तार से गुजरते हैं जिसे काफी धीमा माना जाता है। इसकी वजह से इन्हें दूसरे उल्कापिंडों की तुलना में काफी आराम से देखा जा सकता है। ये पीले, लाल, नारंगी, नीले और हरे रंग के भी हो सकते हैं। इस बार 13 दिसंबर को अपने चरम पर रहने के बाद अब ये 16 दिसंबर तक पूरी तरह गायब हो जाएंगे। खास बात यह है कि इस साल चांद की रोशनी आसमान में कम है, जिससे इन्हें देखना आसान हो गया है।
उल्‍कापिंडों की बारिश को देखने का यह है सही समय
खगोलविदों के मुताबिक किसी भी उल्कापिंड को देखने के लिए सबसे जरूरी होता है आसपास की रोशनी का बेहद कम होना। शहरों में इमारतों और ट्रैफिक की रोशनी की वजह से आसमान कम अंधेरा दिखता है और टूटते सितारे देखना मुश्किल होता है। इसके लिए जरूरी है कि किसी ऐसी जगह पर रहें जहां आसपास कम से कम रोशनी हो। इसे देखने के लिए सबसे सही वक्त रात के दो बजे के करीब है। इस दौरान आसमान के ज्यादा से ज्यादा बड़े क्षेत्र पर नजरें घुमाते रहें। कुछ वक्त में जब आंखों का ध्यान आसमान के अंधेरे पर टिकने लगेगा, टूटते सितारे देखना आसान हो जाएगा।


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