बिना सूरज की रोशनी के ये जीव बना रहे ऑक्सीजन, जानें क्यों है फायदेमंद

Update: 2022-01-14 07:30 GMT

कोपेनहेगन: धरती पर जीवन के लिए जरूरी है ऑक्सीजन (Oxygen). ऑक्सीजन पैदा करने के लिए जरूरी है सूरज की रोशनी. लेकिन अगर बिना सूरज की रोशनी के कोई जीव ऑक्सीजन बना दे फिर क्या होगा. ऐसा होता है समुद्र की गहराइयों में. समुद्र की गहराई में अरबों की संख्या में मौजूद सूक्ष्मजीव (Microbes) बिना सूरज की रोशनी के ही ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं. यह ऐसी खोज है जिसके सहारे भविष्य में बिना सूरज की रोशनी के भी ऑक्सीजन बनाया जा सकता है. 

वैज्ञानिकों ने समुद्र के अंदर ऐसे माइक्रोब्स यानी सूक्ष्मजीव को खोजा है जो बिना सूरज की रोशनी के ही ऑक्सीजन बनाते हैं. इस सूक्ष्मजीव का नाम है नाइट्रोसोपमिलस मैरिटिमस (Nitrosopumilus maritimus). यह सूक्ष्मजीव और इसके कई सगे-संबंधी अमोनिया ऑक्सीडाइजिंग आर्किया (AOA) अंधेरे में जीवित रहते हैं. इसके लिए वो खुद ऑक्सीजन बनाते हैं, वह भी बिना सूरज की रोशनी के. वह ऐसे तरीके से जो पहली बार खोजा गया है. 
यूनिवर्सिटी ऑफ साउर्दन डेनमार्क के माइक्रोबायोलॉजिस्ट बीट क्राफ्ट ने कहा कि यह बात पहले से पता थी कि सूक्ष्मजीव बिना ऑक्सीजन के जीवित रहने की क्षमता रखते हैं. लेकिन यह बात पहली बार पता चली है कि नाइट्रोसोपमिलस मैरिटिमस (Nitrosopumilus maritimus) एक खास तरह की जैविक प्रक्रिया से खुद का ऑक्सीजन बनाते हैं. वह भी बिना सूरज की रोशनी के. यह बेहद हैरान करने वाली और भविष्य के लिए उपयोगी खोज है. 
बीट क्राफ्ट ने बताया कि समुद्र में नाइट्रोसोपमिलस मैरिटिमस (Nitrosopumilus maritimus) और उसके सगे-संबंधी समुद्र में बहुत ढेर सारी मात्रा में पाए जाते हैं. हालांकि, वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं कि बिना सूरज की रोशनी के ये ऑक्सीजन कैसे बनाते हैं. इतनी ज्यादा मात्रा में पाए कैसे जाते हैं. जबकि, समुद्र के गहरे इलाकों में सूरज की रोशनी पहुंच ही नहीं पाती है.
बीट ने बताया कि अगर आप समुद्र में से एक बाल्टी पानी जमा करो तो उसमें मौजूद जीवों में हर पांचवीं कोशिका इन नाइट्रोसोपमिलस मैरिटिमस (Nitrosopumilus maritimus) जीवों की होगी. ये इतनी ज्यादा मात्रा में समुद्रों में मौजूद हैं. वैज्ञानिकों ने इसकी जांच करने के लिए इन्हें समुद्र के पानी से बाहर निकाला और प्रयोगशाला में लेकर पहुंचे. इन्हें ऐसी जगह पर रखा गया जहां पर पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम थी. साथ ही सूरज की रोशनी नहीं आ रही थी. इसके बाद जो हुआ उसे देखकर वो हैरान रह गए. 
बीट के साथी जियोबायोलॉजिस्ट डॉन केनफील्ड ने बताया कि नाइट्रोसोपमिलस मैरिटिमस (Nitrosopumilus maritimus) ने खुद की ताकत से ऑक्सीजन बना लिया. उन्होंने नाइड्रोजन गैस और उसके बाई-प्रोडक्ट्स को तोड़कर अपने लिए ऑक्सीजन बनाया. इसके बाद कुछ ही मिनटों में पानी में मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से बढ़ना शुरू हो गया. हालांकि बढ़े हुए ऑक्सीजन की मात्रा कम थी लेकिन इन सूक्ष्मजीवों के जीने के लिए काफी थी. 
डॉन केनफील्ड ने बताया कि ये नाइट्रोसोपमिलस मैरिटिमस (Nitrosopumilus maritimus) के ऑक्सीजन बनाने की प्रक्रिया में बड़ा हाथ नाइट्रोजन गैस का है. ये माइक्रोब्स किसी तरह से अमोनिया (NH3) को नाइट्राइट (N2) में बदलते हैं. इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है. इसके बाद नाइट्राइट और उसके बाई-प्रोडक्टस से ऑक्सीजन निकाल लेते हैं, ताकि खुद को जीवित रख सकें. इसलिए उन्हें सूरज की रोशनी की जरूरत नहीं होती. 
इस प्रक्रिया में उन सूक्ष्मजीवों के पर्यावरण में मौजूद बायोलॉजिकल नाइट्रोजन खत्म होता है. लेकिन ऑक्सीजन मिलता रहता है. बीट क्राफ्ट ने कहा कि यह प्रक्रिया इतनी शानदार है कि भविष्य में हम दूसरे ग्रहों पर इसके जरिए ऑक्सीजन पैदा कर सकते हैं. अगर कई दिनों तक सूरज न निकले तो भी हमें ऑक्सीजन के उत्पादन को लेकर किसी तरह की दिक्कत नहीं होने वाली है. लेकिन यह प्रक्रिया काफी जटिल है. 
बीट क्राफ्ट ने बताया कि इतने बड़े समुद्र में नाइट्रोसोपमिलस मैरिटिमस (Nitrosopumilus maritimus) अरबों-खरबों में मौजूद हैं. ये जीव मरीन नाइट्रोजन साइकिल को संतुलित रखते हैं. अब हम इस प्रक्रिया से कम ऑक्सीजन वाले जल स्रोतों में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने की तकनीक विकसित करने का काम करेंगे, ताकि अन्य जलीय जीवों को बचाया जा सके. यह रिसर्च हाल ही में साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है. 

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