दुनिया का सबसे विशाल आइसबर्ग बढ़ा ब्रिटिश टापू की ओर, तट से टकराएगा या बचेगी तबाही?

आइसबर्ग का नाम आते ही सबसे पहले ख्याल आता होगा 'टाइटैनिक का जो अपने पहले ही सफर में बर्फीले समंदर में समा गया था लेकिन

Update: 2020-12-07 14:57 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आइसबर्ग का नाम आते ही शायद सबसे पहले ख्याल आता होगा 'टाइटैनिक' जहाज का जो अपने पहले ही सफर में बर्फीले समंदर में समा गया था लेकिन वह दुनिया के सबसे बड़े आइसबर्ग (Iceberg) के सामने कुछ नहीं था। एक ट्रिलियन टन के आइसबर्ग की पहली तस्वीरें सामने आ चुकी हैं जो ब्रिटिश टापू के तट की ओर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस बर्फीले पहाड़ की वजह से हजारों सील मछलियों, पेंग्विन और दूसरे वन्यजीवों पर खतरा मंडराने लगा है। जीवविज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि अगर A68a नाम का यह आइसबर्ग टापू से भिड़ गया तो पर्यावरण को भयानक नुकसान हो सकता है और लाखों जानवरों के घरों पर अस्तित्व पैदा हो जाएगा। एक आकलन के मुताबिक इस आइसबर्ग का वजन एक ट्रिलियन टन है और यह सिर्फ 200 मीटर गहरा है। इसकी वजह से इसका जमीन से टकराने का खतरा दूसरे विशाल आइसबर्ग की तुलना में कहीं ज्यादा है।  


तट से टकराएगा या मचेगी तबाही?


 
यह आइसबर्ग तीन साल पहले अंटार्कटिक आइस शेल्फ से कटकर अलग हो गया था और 10 हजार से ज्यादा मील का सफर तय करने के बाद दक्षिण अटलांटिक में दक्षिण जॉर्जिया से 125 मील दूर पहुंचा है। RAF की तस्वीरों में यह विशालकाय आइसबर्ग दिखा है जिसका आकार मुट्ठी की तरह है। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के डॉ. ऐंड्रू फ्लेमिंग के मुताबिक अगले दो से तीन हफ्ते में इसे लेकर स्थिति साफ होगी कि क्या यह तट से टकराएगा या गुजर जाएगा। उन्होंने कहा है कि अभी यह दक्षिण जॉर्जिया के ही आकार का है। वैज्ञानिकों का मानना था कि फरवरी में महासागर में बहने के बाद A68a हजारों छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट गया लेकिन हैरान करने वाली बात रही कि वह अभी भी एक विशाल आकार में है। 

दुनिया का सबसे बड़ा बर्फीला पहाड़

फ्लेमिंग का कहना है कि यह आइसबर्ग फिलहाल दुनिया में सबसे बड़ा है और इतिहास के पांच सबसे बड़े आइसबर्ग में से एक है। डॉ. फ्लेमिंग ने कहा है कि टूटने के बाद इसका एक-चौथाई हिस्सा टूटकर अलग हो गया है। डॉ. फ्लेमिंग ने यह भी बताया है कि इससे टूटकर अलग होने वाले हिस्से भी छोटे-छोटे आइसबर्ग की तरह हैं। इनसे जहाजों को खतरा पैदा हो सकता है। उन्होंने बताया है कि तट की ओर पानी का तापमान ज्यादा है और इससे टकराने वाली लहरें इसे तोड़ रही हैं। अगर यह दक्षिण जॉर्जिया से नहीं टकराया तो बड़ा विनाश टल जाएगा और धीरे-धीरे यह महासागर में गलकर मिल जाएगा। 
विनाशकारी नतीजे

ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के बायॉलजिस्ट प्रफेसर जेरायंट टार्लिंग ने चेतावनी दी है कि अगर यह टापू से टकरा गया तो विनाशकारी नतीजे होंगे। आइसबर्ग से निकलने वाले ठंडे और फ्रेश पानी की वजह से food chain (खाद्य श्रृंखला) के सबसे नीचे रहने वाले जीवों, जैसे काई (microalgae) और प्लैंकटन के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो जाएगा। प्रफेसर टार्लिंग ने कहा है, 'इसका असर दूसरे जीवों पर होगा जो खाने के लिए इन जीवों पर निर्भर करते हैं।' आखिरकार पेंग्विन और सील मछलियों जैसे जानवरों की आबादी खतरे में आ जाएगी। इनके प्रजनन का रास्ता भी बंद हो सकता है। अगर यह समुद्रतल में रह रहे जीवों को खत्म करता है तो वायुमंडल में बड़ी मात्रा में कार्बनडायऑक्साइड का उत्सर्जन होगा।  
हो सकता है एक फायदा

हालांकि, इससे एक फायदा भी हो सकता है। यह धूल और सेडिमेंट (तलछट) से भरा हुआ है। इसके पिछलने से समुद्र की उर्वरक क्षमता बढ़ सकती है। दक्षिण जॉर्जिया पर 1775 में ब्रिटेन के लिए कैप्टन जेम्स कुक ने दावा ठोका था। यहां 4.5 लाख पेंग्विन जोड़े, 10 लाख पीले क्रेस्ट के मैकरोनी पेंग्विन और हजारों जेंटू और चिन्सट्रैप पेंग्विन रहते हैं। 20वीं शताब्दी के दौरान यहां वेल और सील मछलियां पकड़ी जाती थीं लेकिन अब यहां दो ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे रिसर्च स्टेशन हैं। यहां इंसानों के नाम पर सिर्फ 30 वैज्ञानिक रहते हैं।


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