रहस्यमय है हमारी गैलेक्सी आकाशगंगा, जानें इसके कुछ खास राज

हमारी गैलेक्सी का नाम आकाशगंगा है, जिसमें अरबों की संख्या में तारें और ग्रह मौजूद हैं

Update: 2021-04-27 08:14 GMT

हमारी गैलेक्सी का नाम आकाशगंगा (Miky Way) है, जिसमें अरबों की संख्या में तारें और ग्रह मौजूद हैं. अभी तक जितने भी ग्रह खोजे गए हैं, वे सभी आकाशगंगा में मौजूद हैं. आकाशगंगा रहस्यों से भरी हुई है. इसमें धूल, ग्रह, तारें, उल्कापिंड तैर रहे हैं. ऐसे में आइए अपनी आकाशंगा के कुछ अनसुने रहस्यों के बारे में जाना जाए.

आकाशगंगा चारों ओर हजारों प्रकाशवर्ष की दूरी तक फैली हुई है, लेकिन इसकी मोटाई कुछ हजार प्रकाशवर्ष ही है. इस तरह ये एक डिस्क की तरह है, जिसमें धूल, ग्रह और तारें मौजूद हैं. हमारा सौर मंडल आकाशगंगा के केंद्र से 26 हजार प्रकाशवर्ष दूर है.

हमारा सौरमंडल पांच लाख मील प्रति घंटा की रफ्तार से घूम रहा है. इस रफ्तार से भी हमें आकाशगंगा का एक चक्कर लगाने में 25 करोड़ साल का वक्त लग जाएगा. आखिरी बार जब हमारे सौरमंडल ने आकाशगंगा का चक्कर लगाया था तो 4.5 अरब साल पुरानी हमारी पृथ्वी पर डायनासोर अभी सामने आ रहे थे.
आकाशगंगा के बिल्कुल बीचों बीच एक विशालकाय ब्लैक हॉल है, जो हमारे सूरज के वजन से 40 लाख गुना ज्यादा वजनी है. अभी तक किसी ने इस ब्लैक हॉल को सीधे तौर पर नहीं देखा है, लेकिन ये गैस और धूल के पीछे छिपा हुआ है.

करीब चार अरब साल बाद आकाशगंगा अपने नजदीकी एंड्रोमेडा आकाशगंगा से टकरा जाएगी. वर्तमान समय में दोनों आकाशगंगाएं 2.5 मील प्रति घंटा की रफ्तार से एक दूसरे की ओर बढ़ रही हैं. जब ये दोनों टकराएंगी तो कुछ तारों को खासा नुकसान पहुंचेगा. हालांकि, हमारी पृथ्वी इस टक्कर में सुरक्षित बच जाएगी.
अरबों की संख्या में तारें आकाशगंगा में मौजूद हैं. इनमें से कुछ तारे काफी धीमी रोशनी और कम वजनी हैं. हमारा सूरज भी उन्हीं तारों में से एक है. वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे आकाशगंगा में करीब 300 से लेकर 400 अरब तारें मौजूद हैं.

आकाशगंगा में अंधेरा पदार्थ बड़ी संख्या मे फैला हुआ है, इसे डार्क हालो कहा जाता है. ये हमारी आकाशगंगा से कहीं अधिक विशाल है. डार्क हालो को हम पृथ्वी से भी साफ तौर पर देख पाते हैं.
आकाशगंगा 150 से अधिक प्राचीन सितारों के समूह से घिरा हुआ है, जिनमें से कुछ ब्रह्मांड में सबसे पुराने तारें हैं. ये गोलाकार तारों के समूह आकाशगंगा के डार्क हालो में मौजूद हैं और इसके केंद्र का चक्कर लगाते हैं.

हमारी आकाशगंगा उन सभी आकाशगंगाओं को निगल जाती है, जो इसके करीब आती हैं. सालों से वैज्ञानिकों ने ऐसे तारों का पता लगाया है, जिनकी आकाशगंगा को हमारी आकाशगंगा ने निगल लिया है.
आकाशगंगा बेहद ही गर्म गैस और काफी एनर्जी वाले पार्टिकल्स को बड़े पैमाने पर बुलबुले की तरह उड़ा रही है. ये बुलबुले आकाशगंगा के केंद्र से बाहर निकल रहे हैं और इनकी रफ्तार 20 लाख मील प्रति घंटा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये मृत तारों की वजह से बाहर निकल रहे हैं.

ग्रीन बैंक टेलीस्कोप के साथ हाल ही में देखा गया 100 से अधिक हाइड्रोजन गैस बादल 738,000 मील प्रति घंटे पर आकाशगंगा के कोर से दूर जा रहे हैं. इसका अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि ये गैस के बुलबुले बनाने में मदद करते हैं.


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