जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मंगल ग्रह के रहने योग्य से निर्जन होने का क्या कारण था ? इसको लेकर जो पहले से थ्योरी चल रही थी, एक नई रिसर्च के बाद उसमें बदलाव हो गया है। गौरतलब है कि मंगल ग्रह ही अबतक एक ऐसा ग्रह माना जाता है, जिसको लेकर यह समझा जाता है कि वहां अतीत में कभी जीवन रहा हो सकता है। क्योंकि, वहां पर सूखी हुई नदियों और झीलों के अवशेष आज भी दिखाई पड़ते हैं। लेकिन, अब यह ग्रह बहुत ही ज्यादा सर्द और सूखा हो चुका है। आइए जानते हैं कि वैज्ञानिकों ने इसके सूखने का क्या नया सुराग पता लगाया है।
मंगल ग्रह के साथ क्या अमंगल हुआ ?
मंगल ग्रह के नाटकीय ढंग से गर्म और पानी वाले ग्रह से ठंडे और सूखे ग्रह में परिवर्तिन होने को लेकर हुए एक नए अध्ययन से संकेत मिला है कि यह कार्बन डाइऑक्साइड के अलावा बाकी ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव से हो सकता है। लाल ग्रह की सतह की छानबीन में वहां नदियों के किनारे और डेल्टा की मौजूदगी मिली है, जो इस बात के प्रमाण हैं कि इस ग्रह पर कभी नदियां और झील हुआ करते थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि मंगल की जलवायु 3-3.6 अरब साल पहले झीलों और नदियों के विकसित होने के लिए पर्याप्त गर्म थी।
कैसे विलुप्त हुआ मंगल से पानी ?
नए शोध में इस बात के संकेत मिले हैं कि इस ग्रह के साथ अतीत में क्या हुआ होगा, जिसके चलते इसपर से पानी विलुप्त हो गया, जो जीवन के लिए सबसे आवश्यक है। इस शोध से पता चलता है कि मंगल के वायुमंडल में एक पतला और बर्फीला बादल का परत बना, जिसने ग्रीनहाउस ग्लास की तरह काम किया, जिसके चलते आखिकार यहां की नदियां और झील सूखते चले गए।
क्यों नायकीय ढंग से बदल गया मंगल का पर्यावरण ?
साइंस एडवांसेज जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान स्थिति में, मंगल की सतह पर वातावरण बहुत ही ठंडा और पतला है, जो तरल पानी के अस्तित्व के लिए अनुकूल नहीं है। अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी के जीओफिजिकल साइंटिस्ट और इस स्टडी के एक ऑथर एडविन काइट ने कहा, 'लोगों ने कई तरह के विचार रखे हैं, लेकिन हम निश्चित नहीं हैं कि पर्यावरण का नाटकीय ढंग से परिवर्तन किस कारण से हुआ....' उनके मुताबिक, 'हम समझना चाहेंगे, खासकर इसलिए कि यह अकेला ग्रह है, जिसके बारे में हम यकीनन जानते हैं कि यह रहने योग्य से निर्जन बन गया।'
कार्बन डाइऑक्साइड का मात्रा में बदलाव वजह नहीं-रिसर्च
कई वैज्ञानिक मानते हैं कि उसके वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइट की हानि इस बदलाव के लिए जिम्मेदार है। लेकिन, काइट और उनके सहयोगी इस थ्योरी से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को बदलने से इसका परिणाम नहीं बदला, इससे यह बात साफ होती है कि परिवर्तन के पीछे कार्बन डाइऑक्साइड नहीं थी। काइट का कहना है कि 'कार्बन डाइऑक्साइड एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, इसलिए यह मंगल ग्रह के सूखने की व्याख्या करने के लिए प्रमुख वजह थी। लेकिन, ताजा परिणाम यह बताता है कि यह इतना आसन नहीं है।'
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गैर- कार्बन डाइऑक्साइड गैस जिम्मेदार- रिसर्च
इनके विश्लेषण के मुताबिक मंगल के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बदलने से परिवर्तन नहीं आया, बल्कि गैर- कार्बन डाइऑक्साइड के खत्म होने से आया जिससे लाल ग्रह सूख गया। उनका मत है कि कार्बन डाइऑक्साइड और गैर- कार्बन डाइऑक्साइड की वजह से एक अरब साल से ज्यादा पहले तक ग्रह इतना गरम था कि नदियों में तरल पानी मौजूद था, जो अचानक खत्म हो गया। शोधकर्ताओं को लगता है कि 2021 में मार्स की सतह पर उतरे पर्सवीरन्स रोवर के डेटा से उन्हें मंगल के रहस्यमयी अतीत को जानने में और ज्यादा मदद मिलेगी।