अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा समेत दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियां मंगल ग्रह की खोज कर रही हैं। मंगल ग्रह पर भेजे जाने वाले ज्यादातर अंतरिक्ष मिशनों का मकसद वहां जीवन की संभावनाओं का पता लगाना होता है। यह समझने के लिए है कि अतीत में लाल ग्रह की जलवायु कैसी थी। इसी क्रम में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने मंगल ग्रह पर एक ज्वालामुखी की तस्वीर ली है। इसका नाम Ascraeus Mons है, जो मंगल ग्रह का दूसरा सबसे ऊंचा ज्वालामुखी है। ESA का दावा है कि Ascarius Mons की ऊंचाई धरती के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट से दोगुनी ऊंचाई से भी ज्यादा है।
रिपोर्ट के मुताबिक एस्केरियस मॉन्स की मौजूदगी मंगल के थारिस क्षेत्र में है। यह उस क्षेत्र में मौजूद तीन ज्वालामुखियों में सबसे ऊंचा है। थार्सिस क्षेत्र मंगल ग्रह के पश्चिमी गोलार्ध में है, जिसे ज्वालामुखीय पठार के रूप में जाना जाता है। एस्केरियस मॉन्स की ऊंचाई 18 किलोमीटर मापी गई है। इसके आधार का व्यास 480 किमी है। इसकी तुलना में पृथ्वी की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई समुद्र तल से 8,848.86 मीटर है। रिपोर्ट के मुताबिक ओलंपस मॉन्स एस्केरियस मॉन्स से भी ऊंचा ज्वालामुखी है। ईएसए के मुताबिक यह न सिर्फ मंगल ग्रह बल्कि पूरे सौर मंडल का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी है।
इस साल 15 जनवरी को ईएसए के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर के हाई रेजोल्यूशन स्टीरियो कैमरा ने मंगल ग्रह पर दूसरे सबसे ऊंचे ज्वालामुखी को कैद किया था। छोटे सफेद बॉक्स में हाइलाइट किया गया क्षेत्र Escreus Mons का क्षेत्र है। तस्वीर में पैवनिस मॉन्स और अर्सिया मॉन्स ज्वालामुखी भी दिखाई दे रहे हैं। हो सकता है कि तस्वीर में यह ज्यादा समझ में न आए, लेकिन एस्केरियस मॉन्स के अलावा अन्य वस्तुएं 10 किलोमीटर से कम ऊंचाई की हैं। यह तस्वीर लेने वाला कैमरा मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर पर है। यह अंतरिक्ष यान 2003 से मंगल की परिक्रमा कर रहा है। वहां के खनिजों की मैपिंग कर रहा है। मार्स एक्सप्रेस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि मंगल के वातावरण में विभिन्न घटनाएं कैसे घटित होती हैं।