महाविनाशक: वो परमाणु विस्फोट जो Hiroshima-Nagasaki से भी खतरनाक थे

Update: 2022-03-14 03:03 GMT

वॉशिंगटन: रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) पर हमला किया हुआ है. युद्ध चल रहा है. बीच-बीच में परमाणु हथियारों के उपयोग की बातें हो रही हैं. डर भी है कि कहीं इन खतरनाक हथियारों के उपयोग से यह युद्ध खत्म न हो. क्योंकि रूस और अमेरिका एक समय में परमाणु बमों के विस्फोट और परीक्षणों की झड़ी लगा चुके हैं. दुनिया के 9 सबसे ताकतवर विस्फोटों में से पांच तो रूस (तब सोवियत संघ) ने किए थे. आइए जानते हैं उन 9 परमाणु हथियारों के विस्फोट के बारे में जो हिरोशिमा-नागासाकी (Hiroshima-Nagasaki) विस्फोटों से कई गुना ज्यादा ताकतवर थे. 

1. सार बोम्बा (Tsar Bomba)
30 अक्टूबर 1961 में सोवियत संघ (Soviet Union) ने आर्कटिक सर्किल के उत्तर में मौजूद नोवाया जेमलिया (Novaya Zemlaya) द्वीप समूह पर सबसे बड़े परमाणु हथियार का विस्फोट कराया था. यह एक परीक्षण था. यह विस्फोट 50 मेगाटन का था. इसलिए इसे सार बोम्बा (Tsar Bomba) कहते हैं. यह हिरोशिमा पर गिराए गए 15 किलोटन के परमाणु बम से 3300 गुना ज्यादा ताकतवर था. सोवियत संघ द्वारा बनाए गए हाइड्रोजन बम RDS-220 को बिग इवान (Big Ivan) या वान्या (Vanya) कहते हैं. लेकिन सार बोम्बा का मतलब होता है बमों का राजा. इसके विस्फोट से आसमान में जो आग का गोला बना था, उसका व्यास 9.7 किलोमीटर था. इतना बड़ा कि यह एक पूरे शहर को जलाकर सेकेंडस में राख कर दे. 
2. टेस्ट 219 (Test 219)
24 दिसंबर 1962 में सोवियस संघ ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर फिर से नोवाया जेमलिया परमाणु विस्फोट किया. नोवाया जेमलिया में आर्किटक सर्किल का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर कॉम्प्लेक्स है. यह जानकारी पिछले साल Nature जर्नल में प्रकाशित हुई थी. यह बम 24.2 मेगाटन विस्फोट वाला था. यह दुनिया का दूसरा सबसे ताकतवर परमाणु हथियार विस्फोट था. यह हिरोशिमा पर गिरे बम से 1600 गुना ज्यादा ताकतवर था. इसे एक विमान से गिराया गया था. इसके बाद साल 1963 में जमीन के ऊपर परमाणु विस्फोट करने पर प्रतिबंध लग गया था. विस्फोट को जमीन या पानी के अंदर करने की ही अंतरराष्ट्रीय अनुमति दी गई थी.
3. टेस्ट 147 (Test 147)
5 अगस्त 1962 को सोवियत संघ ने नोवाया जेमलिया में 21.1 मेगाटन ताकतवाला परमाणु बम विस्फोट किया था. दुनिया का तीसरा सबसे ताकतवर एटम बम विस्फोट. इसे कोई नाम नहीं दिया गया. बस टेस्ट संख्या 147 ही इसका नाम है. यह हिरोशिमा पर गिरे बम से 1400 गुना ज्यादा ताकतवर था. इसे भी रूस ने आर्कटिक इलाके में ही किया था. 
4. टेस्ट 173 (Test 173)
25 सितंबर 1962 में सोवियत संघ ने 19.1 मेगाटन ताकत वाला परमाण बम विस्फोट कराया. फिर से वही जगह नोवाया जेमलिया. हिरोशिमा से 1270 गुना ज्यादा ताकतवर. इस विस्फोट के कुछ ही हफ्तों बाद क्यूबन मिसाइल क्राइसिस (Cuban Missile Crisis) की शुरुआत हुई थी. जिसकी वजह से सोवियत संघ और अमेरिका परमाणु युद्ध के करीब आ चुके थे. क्यूबा संकट के दौरान रूस ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी थीं. अमेरिकी राष्ट्रपति केनेडी ने इन मिसाइलों की जगहों पर हमला करने की योजना तैयार कर ली थी. नौसेना को कहा कि परमाणु हथियार आने के रास्ते को रोक दिया जाए. सोवियत संघ ने इसके बाद हार मानी. उसने कहा अमेरिका तुर्की से मिसाइल हटाए तो हम क्यूबा से हटा लेते हैं. फिर यही हुआ. 
5. कैसल ब्रावो (Castle Bravo)
1 मार्च 1954 को अमेरिका ने मार्शल आइलैंड्स के बिकिनी एटॉल पर 15 मेगाटन का परमाणु बम विस्फोट किया. इसे नाम दिया गया कैसल ब्रावो (Castle Bravo). इसे हवा में गिराकर फोड़ने के बजाय जमीन पर फोड़ा गया. यह परमाणु बम विस्फोटों की सूची में दुनिया पांचवां सबसे ताकतवर एटमी धमाका था. जितनी उम्मीद थी, उससे ढाई गुना ज्यादा ताकतवर विस्फोट निकला. 18,310 वर्ग किलोमीटर इलाके में परमाणु रेडिशन फैला. जिसकी वजह से मार्शल आइलैंड्स, अमेरिकी सेना के अधिकारी और जापानी मछली पकड़ने वाले जहाज के लोग भयानक रेडिशएन के शिकार हुए. इनमें से कई को कैंसर हो गया. जिसके बाद पूरी दुनिया में परमाणु विस्फोटों का विरोध होने लगा. अमेरिका ने सभी प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया. इलाज कराया.
6. कैसल यांकी (Castle Yankee)
5 मई 1954 को अमेरिका ने दूसरा परमाणु बम विस्फोट किया. यह भी बिकिनी एटॉल के पास किया गया. इसमें 13.5 मेगाटन का परमाणु बम उपयोग किया गया था. यह हिरोशिमा पर गिरे बम से 900 गुना ज्यादा ताकतवर था. लेकिन इसके बाद दुनिया ने इतना ज्यादा विरोध जताया कि परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठने लगी. बिकिनी एटॉल पर पहले लोग रहते थे लेकिन विस्फोट से पहले उन्हें वहां से हटा दिया गया था. विस्फोट के बाद वो वहां कभी लौट ही नहीं पाए, क्योंकि वह जगह रेडियोएक्टिव हो चुकी थी. 
7. टेस्ट 123 (Test 123)
23 अक्टूबर 1961 को सोवियत संघ ने नोवाया जेमलिया में 12.5 मेगाटन का एटमी धमाका किया था. यह हिरोशिमा के विस्फोट से 830 गुना ज्यादा ताकतवर था. कहा जाता है कि जहां पर सोवियत संघ एटमी धमाकों का परीक्षण करता रहा, वहां पर पहले कुछ लोग रहते थे, जो मछली पकड़ कर और शिकार करके जीवनयापन करते थे. लेकिन विस्फोट से पहले उन्हें हटा दिया गया था. 
8. कैसल रोमियो (Castle Romeo)
26 मार्च 1954 को अमेरिका ने बिकिनी एटॉल पर 11 मेगाटन का परमाणु धमाका किया था. जो हिरोशिमा से 730 गुना ज्यादा ताकतवर था. इसका कोड नाम कैसल रोमियो रखा गया था. यह टेस्ट कैसल ब्रावो टेस्ट के कुछ ही हफ्तों बाद किया गया था. जिसकी वजह से मार्शल आइलैंड्स पर रेडिएशन फैला था. 
9. आइवी माइक (Ivy Mike)
1 नवंबर 1952 को अमेरिका ने पहली बार थर्मोन्यूक्लियर बम यानी हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया था. इसका नाम था आइवी माइक या माइक. विस्फोट के समय इसने 10.4 मेगाटन की ताकत पैदा की थी. जो कि हिरोशिमा विस्फोट से 690 गुना ज्यादा ताकतवर था. इसे मार्शल आइलैंड्स के नेवेताक एटॉल की जमीनी सतह पर फोड़ा गया था. यह जिस समय फोड़ा गया उस समय कोरियन युद्ध का माहौल था. अमेरिका और सोवियत संघ के बीच परमाणु हथियारों को बनाने की होड़ मची थी. 

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