सुसाइड ड्रोन: दुश्मन के खिलाफ मचाएंगे कहर, भारत ने किया चीन सीमा पर सफल ट्रायल

Update: 2022-04-11 09:23 GMT

फोटोः ANI

नई दिल्ली: वो दिन दूर नहीं जब सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) के लिए सेना भेजने की जरूरत नहीं होगी. सीमा के इस पार से ड्रोन उड़ेगा, वह दुश्मन के घर में घुसकर आत्मघाती हमला कर सकेगा. इन मानवरहित विमानों को सुसाइड ड्रोन (Suicide Drone) कहा जाता है. लेकिन सेना की भाषा में इसे लॉयटरिंग म्यूनिशंस (Loitering Munitions) कहते हैं. 

हाल ही में भारतीय सेना (Indian Army) ने स्वदेशी कंपनियों द्वारा बनाए गए लॉयटरिंग म्यूनिशंस (Loitering Munitions) चीन की सीमा के पास लद्दाख की नुब्रा घाटी (Nubra Vallery) में सफल परीक्षण किया. इस हथियार को नागपुर की सोलार इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी कंपनी इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव्स और बेंगलुरु के जेड मोशन ऑटोनॉमस सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने मिलकर बनाया है. 
सोलार इंडस्ट्रीज के चेयरमैन सत्य नारायण नुवाल ने aajtak.in से खास बातचीत में बताया कि इस हथियार को बनाने के पीछे मकसद ये हैं कि हथियारों के बाजार में भारत आत्मनिर्भर हो. दोनों कंपनियों ने मिलकर जो लॉयटरिंग म्यूनिशन बनाया है, उसके तीन प्रकार हैं. पहला LM0, LM1 और हेक्साकॉप्टर (Hexacopter). पिछले महीने 21 से 23 मार्च को नुब्रा घाटी में तीनों ही हथियारों का सफल परीक्षण हुआ है. LM0 और LM1 दोनों ही 60 से 90 मिनट तक उड़ सकते हैं. इसकी ऑपरेशनल रेंज 15 किलोमीटर. जबकि हेक्साकॉप्टर 30 मिनट तक उड़ान भर सकता है. 
सत्य नारायण नुवाल ने कहा कि दुनिया में यह पहली बार हुआ है कि जब 1 से लेकर 4 किलोग्राम वॉरहेड के साथ किसी मैन-पोर्टेबल लॉयटर म्यूनिशन का सफल परीक्षण हुआ है. यह ड्रोन 4500 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए सीधे दुश्मन के टैंक, बंकर, बख्तरबंद वाहनों, हथियार डिपो या सैन्य समूहों पर घातक हमला कर सकता है. उन्हें बर्बाद कर सकता है. इस हथियार का परीक्षण आर्मी डिजाइन ब्यूरो ने किया था. इसमें LM0 और LM1 फिक्स्ड विंग्स के ड्रोन्स हैं. जिसके पेट में विस्फोटक रख कर दुश्मन के अड्डे पर हमला बोला जा सकता है. 
LM0 ऐसा ड्रोन है जो हाथों से या फिर ट्राईपॉड से उड़ाया जा सकता है. इसका वजन 6 किलोग्राम है. यह एक बार में 60 मिनट तक उड़ सकता है. इसकी ऑपरेशनल रेंज दो हिस्सों में बंटी है. 15 किलोमीटर वीडियो लिंक रेंज है और 45 किलोमीटर जीपीएस टारगेट रेंज है. इसकी लैंडिंग आप हाथों में पकड़कर कर सकते हैं, जैसे उरी फिल्म का गरुड़ ड्रोन था. या फिर आप इसे पैराशूट लैंडिंग करा सकते हैं. इसमें एक किलोग्राम वजन का वॉरहेड लोड किया जा सकता है. यह कामिकेज मोड यानी आत्मघाती हमला करने के लिए उपयोगी साबित हो सकता है. इसके विस्फोट से 20 मीटर का इलाका खत्म हो सकता है. इसमें रीयल टाइम वीडियो बनता है. सर्विलांस और हमला करने में सक्षम. 
LM1 ड्रोन मैन-पोर्टेबल है. इसे दो सैनिक मिलकर ढो सकते हैं. इसमें चार किलोग्राम विस्फोटक लगाया जा सकता है. यह टैंक, बख्तरबंद और एंटी-पर्सनल हमले के काम आ सकता है. यह पोर्टेबल न्यूमैटिक लॉन्चर के जरिए उड़ता है. लैंडिंग पैराशूट के जरिए होती है. इसके तीन मोड्स आते हैं. इसमें ड्यूल सेंसर लगे हैं, जो दिन और रात में काम करते हैं. इसका वजन 11 किलोग्राम है. यह 90 मिनट तक उड़ान भरने में सक्षम है. वीडियो लिंक रेंज 25 किलोमीटर है. जीपीएस टारगेट रेंज 60 किलोमीटर है.
हेक्साकॉप्टर (Hexacopter) वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग के लिए उपयुक्त है. इसे छोटी जगह से उड़ाया जा सकता है. इसमें कई तरह के विस्फोटक लगाए जा सकते हैं. इसमें भी ड्यूल सेंसर है. यह खराब मौसम में भी उड़ सकता है. इसे भी एक इंसान ढो सकता है. इसका वजन 14 किलोग्राम है. यह 30 से 45 मिनट तक उड़ान भरने में सक्षम है. यह ग्रैविटी ड्रॉप एम्यूनिशन तकनीक पर काम करता है. इससे टैंक, बख्तरबंद वाहन, बंकर या एंटी-पर्सनल हमले किए जा सकते हैं. इसमें एंटी-पर्सनल हमला करने के लिए 1-1 किलोग्राम के चार विस्फोटक या फिर टैंक या बख्तरबंद के लिए 2-2 किलोग्राम के दो विस्फोटक लोड किए जा सकते हैं. यह शहरी, जंगली और घाटी जैसे इलाकों में भी काम आ सकता है. 
यह हथियार इजरायल और पोलैंड से आयात किए गए हवाई हथियारों से करीब 40 फीसदी सस्ता पड़ेगा. हाल ही में सोलार इंडस्ट्रीज ने जेड मोशन ऑटोनॉमस सिस्टम्स में 45 फीसदी का इक्विटी स्टेक लिया है. इससे सोलार कंपनी को मानवरहित एरियल व्हीकल (UAV) बनाने का मौका मिलेगा. साथ ही कंपनी काउंटर ड्रोन सिस्टम्स (Counter Drone Systems) भी बनाएगी, ताकि दुश्मन के ड्रोन हमलों से बचाव मिल सके. 


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