अध्ययन में खुलासा- बर्फीली जलवायु में पृथ्वी पर छाए थे डायनासोर

इस बात पर बहुत शोध हुए हैं कि पृथ्वी से डायनासोर कैसे विलुप्त हुए थे. इसलिए एक मत यह भी कहता है कि जब 6.6 करोड़ साल पहले उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह के टकराव की वजह से वायुमंडल में ऐसे बदलाव आए जिसेस वैश्विकस्तर पर घोर ठंडक का मौसम हो गया जिसे डायनासोर सहन नहीं कर सके थे.

Update: 2022-07-03 02:19 GMT

इस बात पर बहुत शोध हुए हैं कि पृथ्वी से डायनासोर (Dinosaurs) कैसे विलुप्त हुए थे. इसलिए एक मत यह भी कहता है कि जब 6.6 करोड़ साल पहले उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह के टकराव की वजह से वायुमंडल में ऐसे बदलाव आए जिसेस वैश्विकस्तर पर घोर ठंडक का मौसम हो गया जिसे डायनासोर सहन नहीं कर सके थे. इससे भी ज्यादा रहस्यमयी और कम चर्चित उससे पहले का महाविनाश (Mass Extinction) था जो 20.2 करोड़ साल पहले हुआ था. जिसमें उस समय तक रहे सभी सरीसृपों (Reptiles) का सफाया हो गया था और जिससे डायनासोर को दुनिया पर छा जाने की राह बनाई थी. आखिर इस ट्रियासिक जूरासिक महाविनाश (Triassic Jurassic Mas Extinction) का कारण क्या था और उसमें डायनासोर क्यों पनप गए जबकि दूसरे ऐसे जीव नष्ट हो गए थे.

कैसा था ट्रियासिक काल

अभी तक हम जानते है कि ट्रियासिक काल में दुनिया गर्म और उमस भरी थी जो कि उस महाविनाश के पहले की स्थिति थी और इसी तरह के हालात ज्यूरासिक काल में भी रहे जिसमें डायनासोर का युग आया. लेकिन नए अध्ययन में पाया गया है कि ट्रियासिक डायनासोर की कुछ प्रजातियां ध्रुवीय इलाके में लंबे समय तक बर्फीले हालात में रहा करती थीं.

ठंडे इलाके में डायनासोर

इस पड़ताल में मिले संकेत बताते है कि शोधकर्ताओं को जो असामान्य चट्टानों के अवशेष मिले हैं जिन पर डायनासोर के पैरों के निशान हैं, वे केवल बर्फ के कारण ही जम सकते थे. इस अध्ययन के लेखकों ने बताया कि महाविनाश के कारण ध्रुवों पर पहले से ही तेज ठंडक फैली हुई थी जिससे ठंडे खून वाले सरीसृप पनपने लगे. डायनासोर जो पहले ही खुद को ठंड के माहौल में ढाल चुके थे इस उद्भव वाले विशाल परिवर्तन में वे खुद को बचा सके और उसके बाद तो जो हुआ इतिहास है.

काम आ गई अनुकूलता

इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और भूवैज्ञानिक पॉल एल्सेन का कहना है कि डायनासोर ट्रियासिक के दौरान हमेशा से ही निगाहों में थे. उनके बाद में वर्चस्व की वजह भी सरल ही थी वे मूलतः ठंड के अनुकूल हो चुके जानवर थे और जब सब जगह ठंड हो गई तो वे तो इसके लिए तैयार थे, लेकिन बाकी जानवर नहीं.

कहां मिले अवशेष

उत्तर पश्चिम चीन के जुंग्गार बेसिन के सुदूर रेगिस्तान में हाल ही में हुए उत्खनन के आधार पर किया गया यह अध्ययन एक जुलाई 2022 को ही साइंस एडवांस में प्रकाशित हुआ है. डायनासोर सबसे ट्रियासिक काल में 23.1 करोड़ साल पहले आए थे. उस समय पृथ्वी पर सभी भूभाग एक ही विशाल महाद्वीप के रूप में जुड़े थे जिसे पैन्जिया कहते हैं. वे 21.4 करोड़ साल पहले इस विशाल महाद्वीप के दूर उत्तर में पहुंच गए थे. लेकिन उस समय के कटिबंधीय या उप कटिबंधीय क्षेत्रों में मगरमच्छ और अन्य डराने सरीसृपों का वर्चस्व था.

क्या हुआ था ट्रियासिक महाविनाश में

ट्रियासिक युग में, और अधिकांश ज्यूरासिक युग में जलवायु बहुत ही गर्म हुआ करती थी, तब के ध्रुवीय बर्फ के प्रमाण तो नहीं मिले हैं. लेकिन सूर्य की रोशनी कम पहुंचने के कारण ठंडक जरूर हो जाती थी. इस युग के अंत में आए महाविनाश का समय करीब 10 लाख साल तक चला और धरती और महासागरों की तीन चौथाई आबादी जिसमें कोरल, खोल वाले जीव, सभी तरह के सरीसृप, पेड़ पौधे खत्म हो गए थे.

नए महाद्वीपों का निर्माण

वास्तव में हुआ क्या था यह तो स्पष्ट नहीं हो सका है, लेकिन बहुत से वैज्ञानिकों का यह मानना है कि उस दौर में एक के बाद एक ज्वालामुखी विस्फोटों की शृंखला सौ साल तक चलती रही थी. यही वह समय था जब पैन्जिया टूट कर कई महाद्वीपों में बिखरने लगा था. अन्य घटनाओं के अलावा इस दौर में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बहुत ही ज्यादा हो गई थी.

इन बदलावों के कारण हवा का तापमान तक बहुत ज्यादा हो गया था और महासागरों का पानी बहुत अम्लीय हो गया और वहां का जीवन खत्म होने लगा. लेकिन नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक और कारक की खोज की है. जब उस दौर में ज्वालामुखी विस्फोट सबसे तीव्र चरण के दौरान सल्फर एरोसॉल की भारी मात्रा निकली जिससे सूर्य का प्रकाश इतना बिखरा कि इससे ठंडक भी हो गई और ग्रीन हाउस गैसों का असर भी कम हुआ. इस मौसम में कई और गर्म माहौल में रह सकने वाले सरीसृप तो मर गए लेकिन ठंड के अनुकूल ढल चुके डायनासोर बचे रह गए.


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