अजब-गजब: मधुमक्खियों को लेकर नई स्टडी

Update: 2022-04-30 12:33 GMT

मेलबर्न: 2...4...6...8, चलो आगे बढ़ो. इंतजार नहीं करना है. कुछ ऐसे ही फॉर्मूले पर काम करती हैं मधुमक्खियां. अब चाहे सम (Even) नंबर्स में काम करना हो या फिर विषम (Odd) में. असल में जिस तरह इंसान जोड़े बनाकर या जोड़ों से अलग करके अपने काम को पूरा करता है, ठीक उसी तरह मधुमक्खियां भी करती हैं. ऑड-ईवन संख्याओं की गणित को समझने और बांटने के नियम को पैरिटी क्लासिफिकेशन (Parity Classification) कहते हैं. 

पैरिटी क्लासिफिकेशन (Parity Classification) की क्षमता अभी तक किसी अन्य जीव में नहीं देखा गया था. लेकिन जर्नल प्रंटियर्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार मधुमक्खियां पैरिटी क्लासिफिकेशन में मास्टर होती हैं. वो ऑड-ईवन की गणित को समझती हैं. उसे फॉलो भी करती हैं.

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पैरिटी क्लासिफिकेशन को इंसानों के बीच हाई लेवल का गणितीय फॉर्मूला माना जाता है. यह बेहद बेसिक भी है और अत्यधिक जटिल भी. साधारण इंसान तो बेसिक से ही काम चला लेता है. लेकिन किसी भी ऑड-ईवन नंबर के गणित को समझने में इंसान ज्यादा बेहतर सटीकता, गति, भाषा की समझ और संबंध को समझता है. इंसान सम (Even) संख्याओं के प्रति तेजी से सक्रिय होता है. लेकिन विषम (Odd) के लिए नहीं. 
ज्यादातर इंसान ईवन नंबर्स के काम दाहिने हाथ से करता है और ऑड नंबर्स के काम बाएं हाथ से. इंसान इसमें ईवन संख्याओं को ऑड की तुलना में काफी तेज और सटीकता से प्रोसेस करता है. स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि इंसानों के बच्चे ईवन को दाहिने हाथ से और ऑड को बाएं हाथ से प्रोसेस करते हैं. ऐसा नहीं है कि ये दूसरे हाथ से नहीं हो सकते. लेकिन इंसानी फितरत है किसी भी काम को करने को लेकर एक अलग-अलग तरह का पक्षपात करता है. 
मधुमक्खियां (Honeybees) आसानी से ऑर्डर क्वांटिटीस यानी आदेश की मात्रा में काम करते हैं. जिसमें साधारण जोड़-घटाना शामिल हैं. यानी मधुमक्खियों की लीडर यानी रानी जो निर्देश देगी, उसे मानने के लिए मधुमक्खियां इसी नियम को फॉलो करती हैं. वो इसी निर्देश के अनुसार किसी भी वस्तु की मात्रा, प्रतीक और आकार को तय कर पाती हैं. 
मधुमक्खियों का पैरिटी क्लासिफिकेशन (Parity Classification) समझने के लिए वैज्ञानिकों ने उन्हें दो समूहों बांटा. एक समूह को ईवन संख्याओं से जोड़ने के लिए उन्हें चीनी घुला मीठा पानी दिया गया. ऑड संख्याओं को बताने के लिए उन्हें कड़वा पानी दिया गया. वहीं मधुमक्खियों के दूसरे समूह के साथ यही फॉर्मूला उलटे तरीके से पेश किया गया. यानी ईवन वाले को कड़वा पानी और ऑड वाले को मीठा पानी. 
फिर मधुमक्खियों की ट्रेनिंग जब पूरी हुई तब इनके सामने ऑड और ईवन संख्याओं वाले कार्ड्स रखे गए. जिनमें 1 से 10 तक की संख्याएं प्रिंटेड थी. मधुमक्खियों ने 80 फीसदी सटीकता के साथ ऑड-ईवन संख्याओं वाले कार्ड्स को पहचान लिया. हैरानी की बात ये थी कि जिन मधुमक्खियों ने ऑड संख्या को मीठे पानी के साथ समझा था, उनके सीखने की गति ज्यादा तेज थी. जबकि इंसानों को ऑड संख्याओं को समझने में दिक्कत आती है. 
वैज्ञानिकों ने हर मधुमक्खी को अलग-अलग नंबर्स के साथ भी टेस्ट किया. इनमें दो नए कार्ड जोड़े गए. संख्या 11 और 12 के. इस टेस्ट में भी मधुमक्खियों की सटीकता 70 फीसदी थी. स्टडी से पता चलता है कि मधुमक्खियों के छोटे से दिमाग में ऑड-ईवन फॉर्मूला समझने की काबिलियत होती है. इनके दिमाग में 9.60 लाख न्यूरॉन्स होते हैं. जबकि इंसान के दिमाग में 8600 करोड़ न्यूरॉन्स. लेकिन दोनों ही पैरिटी क्लासिफिकेशन (Parity Classification) कर लेते हैं. 
हालांकि, अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि मधुमक्खियां पैरिटी क्लासिफिकेशन (Parity Classification) कैसे करती हैं. हो सकता है कि इसके पीछे तीन वजहें हों... पहला ये कि वो जोड़े में मौजूद को अलग-अलग देखती हों. दूसरा ये वो भाग (Division) देने की गणित के तहत काम करती हो. हालांकि ऐसा अभी तक मधुमक्खियों में देखा नहीं गया है. तीसरा- हर वस्तु को गिनती हों, उसके बाद उनकी मात्रा के अनुसार ऑड-ईवन का फॉर्मूला लगाती हों. 
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