वैज्ञानिक मच्छरों की इम्यूनिटी बढ़ाकर रोकेंगे जीका-डेंगू जैसी बीमारी

मच्छरों की इम्यूनिटी

Update: 2021-09-06 17:03 GMT

मच्छरों में एंटी-वायरल इम्यूनिटी डेवलप करके जीका और डेंगू जैसी बीमारियों के मामले घटाए जा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने अपने नए प्रयोग में मच्छरों में इन बीमारियों को फैलाने वाले वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित की है।

स्टडी करने वाली स्विटजरलैंड एमआरसी यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो सेंटर फॉर वायरस रिसर्च के वैज्ञानिकों का कहना है, बीमारियां फैलाने वाले मच्छर मादा एडीज इजिप्टी को शक्कर खिलाने के बाद इनमें वायरस अपना संक्रमण नहीं फैला पाता। इस तरह से ये इंसानों तक वायरस नहीं पहुंचा पाते और बीमारियों का खतरा घट जाता है।
मच्छर आखिर क्यों फैलाते हैं डेंगू जैसी बीमारियां
मच्छर अपनी एनर्जी के लिए फूलों के पराग पर निर्भर रहते हैं, लेकिन प्रजनन के लिए इन्हें ब्लड की जरूरत होती है। इस ब्लड की पूर्ति करने के लिए ये इंसानों को काटते हैं। इस दौरान ही इनमें मौजूद जीका और डेंगू जैसी बीमारियों का वायरस इंसानों में पहुंच जाता है।
शोधकर्ता डॉ. एमिली पॉन्डेविले कहते हैं, शुगर खाने के बाद मच्छरों में वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ जाती है, लेकिन ऐसा क्यों होता है इसकी वजह साफ नहीं हो पाई है। हालांकि, इससे दुनियाभर में मच्छर से फैलने वाली बीमारियों के मामले घटाए जा सकते हैं।
कितना जानलेवा साबित हो रहे मच्छर
वर्ल्ड मॉस्क्यूटो प्रोग्राम के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल मच्छरों के काटने से 70 करोड़ लोग बीमार होते हैं। इनमें से 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है। सबसे ज्यादा मरीजों में जीका, यलो फीवर, चिकनगुनिया, मलेरिया और डेंगू के मामले सामने आते हैं।
यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल में प्रिवेंशन के मुताबिक, पिछले 20 से 30 सालों में यलो फीवर मच्छरों की संख्या इतना ज्यादा बढ़ी है कि ये सबसे ज्यादा बीमारी फैलाने वाले मच्छरों में शामिल हो गए हैं।
50 सालों में 30 गुना बढ़े डेंगू के मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, डेंगू का वायरस हर साल 40 करोड़ लोगों को संक्रमित करता है और 25 हजार लोगों की इससे मौत हो जाती है। WHO कहता है, पिछले 50 सालों में डेंगू के मामले 30 गुना तक बढ़े हैं। डेंगू का वायरस संक्रमण के बाद बुखार और शरीर में दर्द की वजह बनता है।
ग्लोबल वार्मिंग से भी बीमारियां कंट्रोल हो सकती हैं
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी हालिया रिसर्च में ग्लोबल वार्मिंग का एक फायदा भी गिनाया है। वैज्ञानिकों का कहना है, ग्लोबल वार्मिंग के कारण देश-दुनिया में डेंगू के मामले घट सकते हैं। रिसर्च करने वाली पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्चर एलिजाबेथ मैक्ग्रा कहती हैं, जब एडीज इजिप्टी मच्छर डेंगू वायरस का वाहक बन जाता है तो इसकी गर्मी सहने की क्षमता घट जाती है। यह संक्रमित करने लायक नहीं बचता। इसके अलावा मच्छरों में इस रोग को रोकने वाला बैक्टीरिया वोलबचिया भी काफी एक्टिव हो जाता है। इसलिए ग्लोबल वार्मिंग की वजह से डेंगू के मामलों में कमी आ सकती है।
तापमान बढ़ने पर मच्छर सुस्त हो जाते हैं, ऐसे समझें
इंडोनेशिया में डेंगू के मामलों को घटाने के लिए नया प्रयोग किया गया। मच्छरों में वोल्बाचिया बैक्टीरिया को इंजेक्ट किया गया। यह बैक्टीरिया डेंगू के वायरस को फैलने से रोकता है। इन मच्छरों को खुले में छोड़ दिया गया है। रिसर्च में सामने आया कि जहां इन मच्छरों को छोड़ा गया वहां डेंगू के मामलों में 77 फीसदी कमी आई।
रिसर्चर एलिजाबेथ ने मच्छरों पर जलवायु परिवर्तन के असर को समझने के लिए एक प्रयोग किया। डेंगू और वोल्बाचिया से संक्रमित मच्छरों को वॉयल में डालकर 42 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान वाले गर्म पानी में डुबोया। दुनिया के कई हिस्सों में भी तापमान यहां तक पहुंचता है।
प्रयोग के बाद यह देखा गया कि 42 डिग्री सेंटीग्रेट पर मच्छर कितनी देर बाद सुस्त होना शुरू होते हैं और मौत हो जाती है। रिजल्ट में सामने आया कि जो मच्छर डेंगू से संक्रमित थे वो कमजोर हुए और 3 गुना तक सुस्त हो गए। वहीं, वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित मच्छर 4 गुना अधिक आलसी हो गए।
रिसर्च में साबित हुआ कि गर्म तापमान में डेंगू वायरस और वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित मच्छर कमजोर हो जाते हैं। ये बीमारी फैलाने लायक नहीं बचते। इनकी गर्मी सहने की क्षमता घट जाती है। ये न चल पाते हैं और न ही उड़ पाते हैं।
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