वैज्ञानिकों ने बताया सच, केवल तीन साल का ही है आपका लीवर

Update: 2022-06-05 04:44 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नए शोध के मुताबिक, इंसान का लीवर (Human Liver) तब भी जवान ही रहता है जब बाकी की शरीर बूढ़ा (Aging Body) हो रहा होता है. इस अध्ययन में पाया गया है कि औसतन यह अंग करीब तीन साल से भी कम उम्र का होता है भले ही उसके शरीर की उम्र कितने ही साल क्यों ना हो जाए. शोधकर्ताओं ने पोस्टमार्टम और बायोप्सी से मिले ऊतकों का विश्लेषण कर यह पता लगाया है कि लीवर खुद पर इंसान की उम्र भर तक अपनी कोशिकाओं को 'पुनर्जीवित' (Regenerate) करते हुए नियंत्रित रखती हैं और उसे किसी भी तरह से 'बूढ़ा' नहीं होने देती हैं.

कोशिकाओं की उम्र की पड़ताल
शोधकर्ताओं ने गणितीय प्रतिमान और रेट्रोस्पेक्टिव रेडियो कार्बनबर्थ डेटिंग तकनीक का उपयोग किया जिसमें मानवीय कोशिकाओं की उम्र का पता लगाया जाता है. इसके लिए उन्होंने कार्बन आइसोटोप के स्तरों का पता लगाया जो बीसवीं सदी के मध्य में हुए परमाणु परीक्षण में हवा में फैले थे. उन्होंने पाया कि लीवर का 'पुनर्जीवन' उम्र बढ़ने से अप्रभावित ही रहता है.
'पुनर्जीवन' का महत्व
लीवर का 'पुनर्जीवन' उसके प्राथमिक कार्यों के लिए बहुत जरूरी है जिसमें वह शरीर के विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है. यह अपशिष्ट निष्पादन ने इस अंग को भी नुकसान पहुंचता है, लेकिन खराबी आने के बाद भी उसकी कोशिकाएं खुद को पुनर्जीवित करने की क्षमताएं रखती हैं. इस वजह से ना केवल लीवर तंदरुस्त रह पाता है, उसकी उम्र भी नहीं बढ़ती है.
20 से 84 साल की उम्र के लोगों का अध्ययन
जर्मनी में ड्रेसडेन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी को आणविक जीवविज्ञानी ओलाफ बर्गमैन बताते हैं कि किसी की उम्र 20 हो या 84 साल, उसके लीवर की औसत उम्र तीन साल से भी कम उम्र की बरकरार रहती है. टीम ने 20 से 84 साल की उम्र के करीब 50 लोगों के पोस्टमार्टम और बायोप्सी ऊतक नमूनों का विश्लेषण किया.
Health, Humans, Liver, Human Liver, Human Cells, Liver Cells, Age, Liver Age, Chromosomes, DNA, Genome, लीवर (Liver) की कार्यप्रणाली ही ऐसी है कि उसे अपनी कोशिकाओं को पुनर्जीवित करना पड़ता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कोशिकाओं को सतत बदलाव
अपने विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने पाया कि शरीर विज्ञान जीवन भर हमारे लीवर के वजन पर बहुत ही कड़ा नियंत्रण रखता है, जिसके ले वह लीवर की कोशिकाओं को सतत बदलाव करता रहता है यानि पुनर्जीवन करता रहता है. जैसे जैसे हमारा शरीर बूढ़ा होता है, वह कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने की क्षमता गंवाता जाता है और सुधार या उपचार से काम चलाने लगता है.
पहले कुछ और कह रहे थे शोधकार्य
इस अध्ययन मे दर्शाया गया है कि कोशिकाओं की यह उपचार या सुधार की रवैया लीवर की हैपोटोसाइट्स कोशिकाओं पर लागू नहीं होता है, जबकि इससे पहले जानवरों पर हुए अध्ययन इसके विपरीत ही नतीजे दे रहे थे. लेकिन इस अध्ययन में बहुत ज्यादा स्पष्टता है. इतना ही नहीं सभी लीवर की सभी कोशिकाएं ऐसी नहीं हैं जो तेजी से पुनर्जीवित हो जाएं. शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ हिस्से तो दस साल पुराने भी होते हैं.
Health, Humans, Liver, Human Liver, Human Cells, Liver Cells, Age, Liver Age, Chromosomes, DNA, Genome, इस अध्ययन के नतीजे लीवर (Liver) के विकारों के अध्ययन में सहयाक हो सकेंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
अलग अलग अवधि का नवीनीकरण
इस अंतर का संबंध क्रोमोजोम्स से है. हमारे शरीर की अधिकांश कोशिकाएं, प्रजनन कोशिकाएं छोड़कर, पूरे जीनोम की दो प्रतियां रखती हैं. लेकिन लीवर की कोशिकाएं अपवाद होतीह हैं जिनमें पूरे डीएन की लाइब्रेरी की कई प्रतियां हो सकती हैं. जब लीवर की कोशिकाओं और डीएनए समृद्ध कोशिकाओं की तुलना की तो शोधकर्ताओं ने उनके नवीनीकरण में मूल अंतर पाया. लीवर की आम कोशिकाएं करीब एक साल में खुद का नवीनीकरण कर लेती हैं, जबकि डीएनए समृद्ध लीवर कोशिकाएं एक दशक तक भी रह सकती है.
चूंकि वह हिस्सा शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में धीरे धीरे बढ़ता है. यह संरक्षित प्रणाली उसे नुकसानदायक म्यूटेशन को जमा करने से रोकती है. अब यह पता लगाना बाकी है कि क्या इस तरह की प्रणाली लंबी लीवर की बीमारी या किसी तरह के कैंसर कारक विकार के समय भी काम करती है या नहीं. इसी रेट्रोस्पेक्टिव रेडियोकार्बन बर्थ डेटिंग तकनीक का उपयोग शरीर के अन्य अध्ययनों में भी काम आ सकती है.


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