मिल्की वे की डिस्क में मिले इस सुपरअर्थ की बात से दंग रह गए वैज्ञानिक

वैसे तो पृथ्वी (Earth) की तरह ग्रह ब्रह्माण्ड (Universe) में मिलना बहुत मुश्किल है, लेकिन

Update: 2021-01-16 09:02 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैसे तो पृथ्वी (Earth) की तरह ग्रह ब्रह्माण्ड (Universe) में मिलना बहुत मुश्किल है, लेकिन उसके जैसे ग्रह की खोज करना हमारे खगोलविद नहीं छोड़ रहे हैं. ऐसे ग्रहों से हमें पृथ्वी (Earth) के जीवन और उसके इतिहास के बारे में बहुत सी जानकारी मिल सकती है. हाल ही में खगोलविदों ने सुपर अर्थ (Spuer-Earth) की श्रेणी का एक गर्म और पथरीला बाह्यग्रह (Exoplanet) खोजा है. यह ग्रह हमारी गैलेक्सी मिल्की वे (Milky Way) सबसे पुराने तारों में से एक का चक्कर लगा रहा है.

क्यों कहा जा रहा है इस सुपर अर्थ
बाह्यग्रह हमारे सौरमंडल के बाहर पाए जाने वाले ग्रह को कहते हैं जो किसी दूसरे तारे का चक्कर लगाते हैं. यह बाह्यग्रह पृथ्वी से 50 प्रतिशत बड़ा है और इसका भार पृथ्वी से तीन गुना ज्यादा बड़ा है. इस वजह से TOI-561b नाम के ग्रह को सुपरअर्थ की श्रेणी में रखा गया है. सुपर-अर्थ की श्रेणी में हर वह ग्रह आता है जिसका भार पृथ्वी से बड़ा हो लेकिन यह हमारे नेप्च्यून या यूरेनस जैसे ग्रहों से ज्यादा भारी नहीं हो जो पृथ्वी से 14 से 15 गुना भारी हैं.
क्या खासियत है इस ग्रह की
शोधकर्ताओं के मुताबिक यह सुपरअर्थ ग्रह अपने तारे का चक्कर पृथ्वी के आधे दिन में ही लगा लेता है. इसका तापमान 3140 फेहरनहाइट से भी ज्यादा होता है. सतह पर इतना ज्यादा तापमान अपने तारे के बहुत करीब होने की वजह से है. इतने अधिक तापमान पर जीवन का किसी भी रूप में होना मुमकिन नहीं है.
अपने तारे का बहुत जल्दी लगा लेता है यह चक्कर
इस अध्ययन के सहलेखक और रिवरसाइड में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया में एस्ट्रोफिजिसिस्ट स्टीफन केन ने एक बयान में इस बाह्यग्रह की कक्षा के समय की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति जो पृथ्वी पर एक दिन बिताता है उसमें यह बाह्यग्रह अपने तारे के दो चक्कर लगा लेता है. इतनी तेज गति से हमारे सौरमंडल का कोई भी ग्रह सूर्य का चक्कर नहीं ला पाता है.
कहां पर है यह सुपरअर्थ
विशेषज्ञों ने TOI-561b की खोज नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) अभियान के जरिए की. यह ग्रह खगोलविदों ने हमारी गैलेक्सी मिल्की वे की डिस्क में खोजा. अपने पड़ताल की पुष्टि के लिए विशेषज्ञों ने हवाई डब्ल्यू एम केक ऑबजर्वेटरी की मदद ली. इसके जरिए उन्होंने सुपरअर्थ के भार, त्रिज्या और घनत्व की जानकारी हासिल की. भार और त्रिज्या के अध्ययन से खगलोविद ग्रह के आंतरिक हिस्से की संरचना के बारे में पता कर सकते हैं.
पड़ताल से मिली हैरान करने वाली जानाकरी
स्टीफन केन ने बताया कि उनकी पड़ताल हैरान कर देने वाली थी क्योंकि उन्होंने पाया कि जहां इस ग्रह का भार पृथ्वी के भार से तीन गुना ज्यादा है उसका घनत्व पृथ्वी के घनत्व की ही तरह है. यह बात हैरान करने वाली इसलिए है कि ऐसे हालात में घनत्व के ज्यादा होने की उम्मीद की जाती है.
केन ने यह भी बताया कि इस ग्रह पर जीवन को समर्थन करने वाले हालात नहीं हैं. लेकिन उन्हें लगता है कि इस ग्रह के आंतरिक हिस्से के बारे में जानने से यह समझने में मदद मिलेगी के उसकी सतह पर जीवन के अनुकूल हालात बनने की क्या संभावना है. उन्होंने कहा कि हालांकि फिलहाल इस ग्रह पर जीवन के लिए अनुकूलता नहीं हैं, लेकिन दूसरे पथरीले ग्रहों के बारे में जानकारी का आधार बन सकता है जिनकी अभी खोज नहीं हो सकी है.


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