वैज्ञानिकों का बड़ा दावा: मंगल ग्रह फिर सुर्खियों में छाया, मिले मशरूम, दिख रही यह संभावना

Update: 2021-05-08 10:18 GMT

पिछले कुछ समय से मंगल ग्रह लगातार सुर्खियों में छाया हुआ है. नासा के अलावा चीन और अमेरिका जैसे देश मंगल ग्रह पर लगातार मिशन भेज रहे हैं. एलन मस्क कह चुके हैं कि अगले पांच सालों में मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजना चाहते हैं. अब इस ग्रह को लेकर कुछ वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है.

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉक्टर ज़िनली वी, हार्वर्ड स्मिथसोनियन के एस्ट्रोफिजिसिस्ट डॉ रुडोल्फ श्क्लिड और डॉक्टर ग्रैबियाल जोसेफ ने दावा किया है कि उन्हें इस ग्रह पर मशरूम मिले हैं. उन्होंने ये दावा नासा के क्यूरोसिटी रोवर द्वारा जारी की गई तस्वीरों पर रिसर्च करने के बाद किया है. 
गौरतलब है कि क्यूरोसिटी रोवर एक ऐसा डिवाइस है जिसे दूसरे ग्रहों की सतह पर चलाकर रिसर्च की जाती है. बता दें कि 6 अगस्त 2012 को मंगल ग्रह की सतह पर पहुंच गया था और ये अब भी मंगल ग्रह पर एक्टिव है और लगातार नासा को महत्वपूर्ण तस्वीरें और रिसर्च सामग्री उपलब्ध करा रहा है. 
दरअसल, इन तस्वीरों में मंगल ग्रह के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध पर काले मकड़ियों जैसे आकार वाले चैनल्स को देखा जा सकता है. हालांकि नासा का कहना है कि ये कार्बन डाइऑक्साइड आइस के हिमद्रवण के चलते हुआ है लेकिन इन वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि ये फंगी, काई और शैवाल की कॉलोनी हैं जिससे साफ होता है कि मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना है. 
इन वैज्ञानिकों का दावा है कि ये मशरुम कुछ दिनों, हफ्तों और महीनों के अंतराल में गायब होते हैं और वापस आ जाते हैं. अप्रैल 2020 में भी आर्मस्ट्रॉन्ग और जोसेफ ने एक ऐसी ही रिसर्च गेट रिलीज की थी जिसमें दावा किया गया था कि मंगल ग्रह पर मशरूम उगते हैं. हालांकि इन तीनों वैज्ञानिकों के दावों को लेकर साइंटिफिक समुदाय बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं है.
इसमें इन वैज्ञानिकों की विवादास्पद छवि भी शामिल है. दरअसल साल 2014 में जोसेफ ने नासा पर केस किया था और कहा था कि वे एक बायोलॉजिकल जन्तु पर रिसर्च नहीं कर रहे हैं जो उन्होंने ऑपरचूनिटी रोवर की तस्वीरों में देखा है. हालांकि बाद में ये साफ हो गया था कि वो कोई जन्तु नहीं बल्कि चट्टान थी. 
गौरतलब है कि मंगल ग्रह कई मायनों में पृथ्वी से मिलता जुलता है और इंसानों के लिए हमेशा से कौतूहल का विषय रहा है. पृथ्वी की तुलना में मंगल ग्रह पर 38 प्रतिशत ग्रैविटी है. मंगल ग्रह पर साल में 687 दिन होते हैं. वही मंगल ग्रह पर एक दिन 24 घंटे और 40 मिनटों का होता है. हालांकि इस ग्रह की सतह पर कार्बन डाइऑक्साइड की बहुलता और पानी की कमी ने जीवन के इकोसिस्टम को चुनौतीपूर्ण बनाया है.
हालांकि अगर चुनौतियों की बात की जाए तो इस ग्रह पर कार्बन डायऑक्साइड और मीथेन गैस काफी ज्यादा मात्रा में है. इसके अलावा इस ग्रह की मिट्टी में भी कुछ ऐसे कंपाउंड्स हैं जो जीवन को मुश्किल बनाते हैं. मंगल ग्रह पर पानी तो मौजूद है लेकिन वो इस ग्रह की सतह के नीचे दबा हुआ है.
बता दें कि नासा क्यूरोसिटी की सफलता से उत्साहित होकर पर्सीवेरेंस नाम का रोवर भी साल 2021 में मंगल ग्रह की सतह पर भेज चुका है. नासा ने दावा किया है कि वे साल 2030 के आसपास मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने में कामयाब होंगे वही स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क का कहना है कि वे साल 2026 में ही इंसानों को मंगल ग्रह पर भेज चुके होंगे. 


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