वैज्ञानिको ने की बड़ी खोज, कालिख में छिपे थे मिस्र की देवियों के प्राचीन चित्र
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पुरातत्वविदों को प्राचीन मिस्र (Ancient Egypt) के देवी-देवताओं के 46 चित्र मिले हैं. यह चित्र कालिख और पक्षी के मल की परतों के नीचे दबे हुए थे. करीब 2,200 साल पहले, कलाकारों ने एक मंदिर की छत पर इन रंगीन चित्रों को बनाया था.
यह मंदिर दक्षिणी मिस्र (Southern Egypt) के एक शहर एस्ना (Esna) में स्थित है, जो लक्सर (Luxor) से करीब 60 किलोमीटर दक्षिण में है. यह मंदिर उर्वरता और पानी के मिस्र के देवता खनुम (Khnum) को समर्पित है.
जर्मनी में टुबिंगन यूनिवर्सिटी (University of Tübingen) में मिस्र विज्ञान विभाग ( Department of Egyptology) के निदेशक और प्रोफेसर क्रिश्चियन लिट्ज़ (Christian Leitz) का कहना है कि मंदिर पर की गई चित्रकारी से पता चलता है कि यह मंदिर करीब 400 सालों तक रहा होगा. यानी फिरौन टॉलेमी VI (pharaoh Ptolemy VI जिनका शासनकाल 180 ईसा पूर्व से 145 ईसा पूर्व तक रहा और रोमन सम्राट डेसियस (Roman emperor Decius जिनका शासन 249 से 251 ऐडी के बीच रहा था.
सदियों से मंदिर बंद रहा और इसकी रंगीन चित्रकारी कालिख और गंदगी से ढक गई. लिट्ज़ का कहना है कि मिस्र-जर्मन टीम ने एल्कोहल से इन चित्रों को साफ किया, जिससे उनके चमकीले रंग एक बार फिर सामने आ गए.
नेखबेट नाम की देवी को गिद्ध की तरह चित्रित किया गया है
टीम का कहना है कि मंदिर की पेंटिंग में नेखबेट (Nekhbet) नाम की देवी को गिद्ध की तरह चित्रित किया गया है. वहीं, वाडजेट (Wadjet) कोबरा के सिर वाली देवी है जिसके पंख हैं. नेखबेट को ऊपरी मिस्र का सफेद मुकुट पहने दिखाया गया है और वाडजेट को निचले मिस्र का मुकुट पहने दिखाया गया है.
टुबिंगन यूनिवर्सिटी का कहना है कि नेखबेट और वाडजेट के चित्र जो अब सामने आए हैं, पहले विशेषज्ञ इनके बारे में नहीं जानते थे, क्योंकि चित्रों पर कालिख और गंदगी जमा थी. उनका कहना है कि इन दोनों देवियों को प्राचीन मिस्र में 'रक्षा की देवियां' माना जाता था. लिट्ज़ का कहना है कि यहां सबसे असाधारण चीज है चित्रों के रंग.
फिलहाल इस मंदिर का केवल अहाता ही बचा है, जो 121 फीट लंबा, 66 फीट चौड़ा और 49 फीट ऊंचा है. इस अहाते को प्राचीन मिस्रवासियों ने मंदिर के बाकी हिस्से बनने के बाद बनाया होगा. फिलहाल मंदिर की सफाई और उसपर खोज जारी है. अब तक इसकी आधी से ज्यादा छत और 18 खंबों में से 8 साफ किए जा चुके हैं.