वैज्ञानिकों को मिला 12 करोड़ साल पहले मोर की तरह दिखने वाली चिड़िया की नई प्रजाति

वैज्ञानिकों ने 12 करोड़ साल पहले मोर की तरह दिखने वाली चिड़िया की नई प्रजाति की खोजी है

Update: 2021-09-21 18:30 GMT

वैज्ञानिकों ने 12 करोड़ साल पहले मोर की तरह दिखने वाली चिड़िया की नई प्रजाति की खोजी है। इसका नाम युआनचुआविस कॉम्प्सोसोरा है। इस चिड़िया की खोज अमेरिका और चीन के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है।

वैज्ञानिकों का कहना है, इस 12 करोड़ साल पुरानी चिड़िया के अवशेष मिले हैं। अवशेष को देखकर पता चलता है कि इस चिड़िया के पंख और पूंछ इसकी खूबसूरती का अहम हिस्सा रहे हैं। यह अपनी लम्बी पूंछ का इस्तेमाल नर चिड़िया को मेटिंग के लिए आकर्षित करने में करती थी।
चीन के 'जुरासिक पार्क' में मिले जीवाश्म
इस चिड़िया के जीवाश्म चीन के उत्तरी-पश्चिमी हिस्से के जहोल बायोटा में मिले हैं। इस हिस्से को चीन का जुरासिक पार्क कहा जाता है। चौंकाने वाली बात है कि जीवाश्म में 12 करोड़ साल पुरानी चिड़िया के पंख साफ देखे जा सकते हैं।
शरीर से 150 गुना लम्बी पूंछ
युआनचुआविस कॉम्प्सोसोरा एक छोटी चिड़िया थी, लेकिन इसकी पूंछ शरीर से 150 गुना लम्बी थी। शोधकर्ताओं का कहना है, चिड़िया की पूंछ इसे पार्टनर ढूंढने में मदद करती थी, लेकिन उड़ने में दिक्कते पैदा करती थी। यह खुले आकाश में उड़ने से बचती थी, क्योंकि शिकारियों के आने पर दूसरी चिड़ियों की तरह यह तेजी से नहीं उड़ पाती थी।
चीनी पौराणिक कथा की चिड़िया के नाम पर नामकरण
युआनचुआविस कॉम्प्सोसोरा विलुप्त होने वाली चिड़ियों के उस ग्रुप से ताल्लुक रखती है जो उस दौर में भी देखने में मॉडर्न चिड़िया की तरह दिखती थीं। इस चिड़िया के दांत भी हैं जो इसे दूरी चिड़ियों से अलग बनाते थे। इस चिड़िया में दो तरह की पूंछ हैं, एक लम्बी और एक छोटी। चीन की पौराणिक कथाओं में युआंनचू नाम की एक चिड़िया का जिक्र किया गया है। उसी के नाम पर नई चिड़िया का नाम युआनचुआविस रखा गया।
शोधकर्ता और शिकागो फील्ड म्यूजियम के जीवाश्म विशेषज्ञ जिंगमाई ओ'कॉन्नर का कहना है, हमने इतनी तरह के पंखों वाली चिड़िया पहले कभी नहीं देखी। चिड़िया के शरीर के अंतिम हिस्से में छोटे पंख हैं और इसी हिस्से से दो लम्बे पूंछनुमा पंख हैं। ये पंख इसकी सेंट्रल स्पाइन से जुडे हैं।
इसलिए विलुप्त हुई यह चिड़िया
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह चिड़िया खासतौर पर जंगलों में रहना पसंद करती थी। यहां आग फैलने के कारण दुनिया के जंगल तबाह होते गए। नतीजा, धीरे-धीरे इनका ठिकाना छिनने के कारण ये विलुप्त हो गईं।


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