वैज्ञानिकों की तलाश जारी: क्या कुत्ते से इंसान में आया कोरोना वायरस का ब्रिटिश वैरिएंट?

कोरोना वायरस का जो वैरिएंट (संस्करण) सबसे पहले ब्रिटेन में दिखा।

Update: 2021-04-20 12:01 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:   कोरोना वायरस का जो वैरिएंट (संस्करण) सबसे पहले ब्रिटेन में दिखा, क्या वह कुत्ते से मनुष्य में आया? चीनी वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन के बाद ये संभावना जताई है। इस वेरिएंट को बी-117 नाम दिया गया है। इसके कारण कई देशों में कोरोना महामारी की नई लहर आई है। शंघाई स्थित अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि अपने अध्ययन के दौरान वे कई देशों से इकट्ठे किए गए इंसानी सैंपल में इस वैरिएंट के लक्षण पाने में नाकाम रहे। इसके बाद उन्होंने अपने अध्ययन का दायरा बढ़ा कर उसमें पशुओं को भी शामिल किया। तब उन्हें कुत्तों में बी-117 के कुछ शुरुआती रूप देखने को मिले। उनमें एक सैंपल ब्रिटेन का था, जिसे पिछले साल जुलाई में लिया गया था।

चीन की एक प्रमुख कोशिका जीव विज्ञान संबंधी सरकारी प्रयोगशाला में प्रोफेसर चेन लुओनान और उनके सहकर्मियों ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट में लिखा है कि ऐसे वायरस के म्यूटेशन कैनिडे (श्वान) परिवार में देखने को मिले हैं और मुमकिन है कि उनका वहां से इंसान में संक्रमण हुआ हो। दुनिया भर के वैज्ञानिक बी-117 वैरिएंट के सामने आने से हैरत में हैं। इंग्लैंड के लंदन और केंट में दो मरीजों में पिछले सितंबर में इस वैरिएंट को पाया गया था। उसके बाद यह ब्रिटेन में संक्रमण फैलाने वाला मुख्य कोरना वायरस बन गया। फिर कई और देशों में यह फैल गया। देखा गया कि यह कोविड-19 के पुराने रूप की तुलना में अधिक तेजी से संक्रमण फैलता है।

कुछ विशेषज्ञों ने संभावना जताई है कि ब्रिटेन के कुछ स्थानीय समुदायों में एंटी-वायरल दवाओं के प्रभाव के कारण इस वैरिएंट की उत्पत्ति हुई होगी। महामारी के पहले दौर के समय बहुत से लोग एंटी वायरल दवाएं ले रहे थे। एक सिद्धांत के मुताबिक इस वैरिएंट की अचानक ब्रिटेन में उत्पत्ति हुई। फिर यह तेजी से दुनिया के दूसरे हिस्सों में फैल गया। इस वैरिएंट के अलग-अलग प्रकार के नौ म्युएटेशन पाए गए हैं। चेन और उनके सहयोगियों का कहना है कि मनुष्य में पैदा होने वाले किसी वायरस स्ट्रेन के नौ रूप सामने आए हों, ऐसा पहले नहीं देखा गया है।

शंघाई के अनुसंधानकर्ताओं की टीम की राय है कि नौ म्यूटेशन एक के बाद एक उभरे। इससे इन अनुसंधानकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि इस वैरिएंट की उत्पत्ति ब्रिटेन के बाहर हुई और उनके म्यूटेशन की शुरुआत किसी गैर इंसान जीव में हुई। सबसे ज्यादा संभावना इस बात की है कि ऐसा कुत्ते में हुआ। हालांकि मिंक (एक छोटा वन्य पशु जिसके फर से महंगे कोट बनते हैं) या बिल्लियों में भी इसके म्यूटेशन की शुरुआत हुई हो सकती है। लेकिन कुछ दूसरे वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मामले में किसी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए अभी और ठोस सबूत की जरूरत है। चीन के हर्बिन वेटेनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर चु लियांदोंग ने यहां के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा कहा कि इसके बारे इस बारे में कोई सिद्धांत तय करने के पहले हमें और अधिक साक्ष्यों की जरूरत होगी।
शंघाई स्थित अनुसंधानकर्ताओं ने ध्यान दिलाया है कि कुत्तों में पाए गए स्ट्रेन बिल्कुल वैसे नहीं हैं, जैसा ब्रिटिश मरीजों में पाए गए थे। चु ने कहा कि मुमकिन है कि बी-117 वैरिएंट के कुछ शुरुआती रूपों को हासिल करने में सैंपलिंग प्रक्रियाएं नाकाम रही होंगी। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इस बात की पुष्टि होती है कि कुत्ते से ये वैरिएंट इंसान में आया, तो मानव समाज के सामने बहुत बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी। चु ने कहा- 'अभी तक महामारी से निपटने के हमारे सभी उपाय मनुष्य केंद्रित रहे हैं। अगर ये साबित हुआ कि इसमें संक्रमण फैलाने में पशु भी शामिल हैं, तो पूरा मामला ही बदल जाएगा।'
गौरतलब है कि कुत्ते इंसान के आसपास रहते हैं। अगर वे भी कोविड-19 वायरस के संक्रमण का स्रोत बन सकते हैं, तो फिर कुत्तों से संपर्क खतरनाक हो जाएगा। चु ने कहा कि जो वैक्सीन इंसान के लिए तैयार की गई हैं, वे कुत्तों को नहीं लगाई जा सकती। उनके लिए बिल्कुल नई वैक्सीन तैयार करनी होंगी। तब तक दुनिया में जो आतंक फैलेगा उसका अनुमान लगाया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि ताजा शोध के निष्कर्ष अभी अंतिम नहीं हैं, लेकिन उनसे वैज्ञानिक समाज की चिंताएं जरूर बढ़ गई हैं।
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