वैज्ञानिकों का दावा- अकेलेपन से विकसित होता है मानसिक रोग
मानव जीवन में भरोसा और अकेलेपन का सीधा संबंध है
मानव जीवन में भरोसा और अकेलेपन का सीधा संबंध है। इस्राइल के हाफिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ बॉन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भरोसा कम होने या टूटने के कारण अकेलापन तेजी से हावी होता है। मस्तिष्क, खासकर इनसुलर कॉर्टेक्स के क्रिया कलापों और उसकी संरचना में होने वाले बदलावों को देखा गया है।
वैज्ञानिकों का कहना है, व्यक्ति अकेलेपन को महसूस करता है। जब मुनुष्य इस अवस्था में जाता है, तब उसके भीतर दूसरे लोगों से जुड़ने की आकांक्षा विकसित होती है। वहीं कुछ लोग खुद को दूसरों से पूरी तरह अलग कर लेते हैं। ऐसे लोगों में ही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी तकलीफें जैसे तनाव, अवसाद व घबराहट जैसी तकलीफें शुरू होती हैं।
बॉन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के मेडिकल साइकोलॉजी विभाग के डॉ. डिर्क शीले का कहना है कि व्यक्ति में जब किसी अपने के प्रति भरोसा कम होता है, तो उसे अकेलापन सताने लगता है।
वैज्ञानिकों ने तह तक जाने के लिए अकेलेपन की समस्या से गंभीर रूप से ग्रसित 3,678 लोगों में से 42 पर शोध किया। इन 42 लोगों को कोई मानसिक तकलीफ नहीं थी और न ही कोई साइको थैरेपी चल रही थी।
ब्रेन स्कैनिंग देख वैज्ञानिक हैरान
वैज्ञानिकों ने पाया, अकेलेपन से ग्रसित कुछ लोगों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई तकलीफ नहीं थी। ऐसे में प्रारंभिक स्तर पर किसी के अकेलेपन के बारे में पता चले तो उसे गंभीर स्थिति में जाने से बचाया जा सकता है।
इनसुलर कॉर्टेस के काम को समझें
मस्तिष्क में मौजूद इनसुलर कॉर्टेक्स के जरिये व्यक्ति अपने शरीर के इशारों को समझता है। खासकर हृदय की धड़कन को। इसके अलावा इससे व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति के व्यवाहार, हावभाव, मनोस्थिति और उसके भीतर अपने प्रति भरोसे का आकलन करता है। वैज्ञानिकों ने देखा कि जो लोग अकेलेपन से गुजरते हैं उन्हें किसी अपनों से ही निराशा हाथ लगी होती है, जिससे उनके भरोसे को ठेस पहुंची होती है।