डोडो चिड़िया को फिर से जिंदा करने पर लगे हैं वैज्ञानिक, 400 साल पहले विलुप्त हो चुका है पक्षी

डोडो चिड़िया को फिर से जिंदा करने पर लगे हैं वैज्ञानिक

Update: 2022-03-18 05:34 GMT
दुनिया में कई ऐसे जानवर हुए हैं जो सालों पहले इस धरती (Animals that got extinct from earth) पर रहे हैं मगर समय के साथ वो विलुप्त होते गए. डायनासोर को कौन भूल सकता है. आज के वक्त में भी उससे जुड़े ऐसे प्रमाण वैज्ञानिकों को मिल जाते हैं जो काफी चौंकाने वाले होते हैं. कई जीव किसी प्राकृतिक आपदा के कारण खत्म होते चले गए तो कई जीवों को इंसानों के शिकार होते गए और समय के साथ खत्म हो गए. ऐसी ही एक पक्षी थी डोडो (Dodo bird) जो 400 साल पहले विलुप्त हो चुकी थी.
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वो डोडो चिड़िया को फिर से जिंदा (Scientists trying to bring back dodo bird) करने की कोशिश करेंगे. इससे पहले भी डोडो को वैज्ञानिकों ने जिंदा करने की कोशिश की थी मगर वो उस वक्त अपनी कोशिशों में फेल हो गए थे. सालों से वैज्ञानिक डोडो पक्षी की ऐसे डीएनए को खोजने की कोशिश में लगे हुए थे जो अच्छी कंडीशन में हो मगर उन्हें उस वक्त नाकामी मिली थी.
क्लोन कर चिड़िया को फिर से जिंदा करने पर काम करेंगे वैज्ञानिक
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर बेथ शैपिरो ने कहा कि डोडो का जिनोम अब सीक्वेंस हो चुका है क्योंकि उन्होंने उसे किया है. अब वो डोडो पक्षी का जीन सीक्वेंस मैप करने में सफल रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार उन्हें चिड़िया का बेहतरीन डीएनए सैंपल डेनमार्क से मिला है. मगर वैज्ञानिकों का मानना है कि डीएनए से असली जानवर को बनाना बेहद मुश्किल है. उन्होंने बताया कि चिड़िया को बनाने का ये अप्रोच तभी हो सकता है जब चिड़िया को क्लोन किया जा सके जैसे डॉली द शीप को बनाया गया था. उन्होंने बताया कि मगर ये कैसे होगा ये अभी नहीं पता लगाया जा सका है क्योंकि उनके रीप्रोडक्टिव पाथवे से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है.
17वीं शताब्दी में विलुप्त हो गई थी चिड़िया
आपको बता दें कि डोडो पक्षी मॉरिशियस के आइलैंड पर रहा करती थी. ये चिड़िया उड़ नहीं पाती थी और 3 फीट तक लंबी होती थी. 17वीं शताब्दी में ये चिड़िया पूरी तरह विलुप्त हो गई थी. विलुप्त होने के 100 साल पहले ही इसके बारे में पता लगाया गया था. इसे बिल्लियों, कुत्तों और सुअरों ने खा लिया था. आइलैंड पर वो नाविक चिड़िया को लेकर जाते थे जो इंडियन ओशन की खोज में निकलते थे. ब्रिटैनिका वेबसाइट के अनुसार ये चिड़िया पहली बाल पुर्तगाली नाविक के द्वारा साल 1507 में पहली बार देखी गई थी.
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