रूस अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में प्रमुख भागीदार था, युद्ध के चलते रद्द हुआ यूरोपीय मंगल अभियान

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Update: 2022-03-18 16:08 GMT

रूस यूक्रेन युद्ध ( Russia Ukraine War) में रूस से केवल अमेरिका और नाटो देशों के साथ ही संबंध खराब नहीं हुए हैं. रूस को यूक्रेन का यूरोपीय संघ के प्रति झुकाव पर भी ऐतराज था. यूक्रेन की के साथ कुछ नजदीकियां रही हैं तो यूरोपीय संघ से भी वह काफी निकट रहा है और यूरोपीय संघ भी यूक्रेन के साथ कई बार दिखा है. लेकिन युद्ध से रूस ने एक तरह से पूरे यूरोप को अपने खिलाफ कर लिया है. इसका सीधा असर रूस यूरोप के अंतरिक्ष संबंधों पर हुआ है और रूस एवं यूरोप का संयुक्त मंगल अभियान इस युद्ध की भेंट चढ़ गया है.

यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने बयान में कहा है रूसी योरोपीय अभियान जो मंगल पर रोवर भेजने केलिए तैयार किया जा रहा था रूस के यूक्रेन पर हमले के कारण रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के लगने से रद्द कर दिया गया है. एजेंसी ने ने अपना एक्सोमार्स अभियान के रद्द करने की पुष्टि करते हुआ है कि यूक्रेन में लोगों के मारे जाने और युद्ध से होने वाली अन्य नुकसान की निंदा की.
एक्सोमार्स अभियान इस साल सितंबर को लॉन्च किए जाने की तैयारी थी जिसके लिए रूस लॉन्चर से रोवर मंगल ग्रह पर भेजे जाना था जो मंगल पर मिट्टी का अध्ययन कर वहां जीवन के संकेतों की पड़ताल करने वाला था. वहीं रूसी स्पेस एजेंस रोसकोसमोस ने भी यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों पर प्रतिक्रिया दी और फ्रेंच गुयाना स्थिति यूरो के स्पेस पोर्ट कोउरोउ से अपने सौ से भी ज्यादा कर्मचारी वापस बुला लिए हैं और प्रक्षेपण रद्द कर दिए हैं.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी की रूलिंग काउंसिल ने गुरुवार को अपने बयान में कहा कि उसके डायरेक्टर जनरल एक फास्ट ट्रैक उद्यम अध्ययन करेगें जिससे एक्सोमार्स रोवर अभियान को आगे ले जाने के लिए उपलब्ध विकल्पों को बेहतर तरीके से परिभाषित किया जा सके. एक्सो मार्स की साल 2020 में प्रक्षेपित करने की योजना थी.
साल 2019 में ही कोविड महामारी फैलने से यह अभियान टाल दिया गया था और अब इसे सितंबर में कजाकिस्तान के बाइकोनूर कॉज्मोड्रोम से रूस के प्रोटोन रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया जाना तय हुआ था, जहां इसे मंगल की मिट्टी तक रूस के काजाचोक लैंडर के द्वारा पहुंचाना था.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी का इस रोवर का नाम अंग्रेज कैम्स्ट और डीएनए विशेषज्ञ रोजालिंद फ्रैंकलीन के नाम पर रखा गया है. बताया जा रहा है कि बिना रूसी मदद के इस रोवर पर बहुत सारा काम करने की जरूरत पड़ेगी और मंगल के लिए प्रक्षेपण समय केवल दो साल में एक बार ही आता है.
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