शोधकर्ताओं का दावा- स्ट्रोक, मिर्गी जैसी न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं का कारण है COVID-19

कोरोना वायरस (कोविड-19) के चलते स्वास्थ्य संबंधी दूसरी कई गंभीर समस्याएं भी खड़ी हो रही हैं।

Update: 2020-12-10 14:08 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस (कोविड-19) के चलते स्वास्थ्य संबंधी दूसरी कई गंभीर समस्याएं भी खड़ी हो रही हैं। अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि मध्यम रूप से संक्रमित लोगों में यह घातक वायरस स्ट्रोक और मिर्गी जैसी न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं का कारण भी बन सकता है। इन पीडि़तों में गतिविधि संबंधी विकारों और दूसरे कई रोगों का भी खतरा बढ़ सकता है। यह दावा एक भारतवंशी समेत शोधकर्ताओं के दल ने किया है।


74 लोगों पर किए गए अध्ययन

न्यूरोलॉजी पत्रिका में छपे अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने उन कोरोना रोगियों पर गौर किया, जिनमें न्यूरोलॉजिकल लक्षण उभरे थे। अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता प्रिया आनंद ने कहा, 'हमने स्ट्रोक जैसी न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं पाई। हालांकि ज्यादातर पीडि़तों को गहन देखभाल की जरूरत नहीं पड़ी। इससे यह जाहिर होता है कि कोरोना से मध्यम रूप से संक्रमित होने वाले लोगों में न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं आमतौर पर सामने आ सकती हैं।' यह निष्कर्ष उन 74 लोगों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है, जो गत 15 अप्रैल से एक जुलाई के दौराना कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।
अलग-अलग समस्याओं से पीड़ित रहे

इन पीड़ितों की औसत आयु 64 साल थी। इनमें से 47 पीड़ितों का तंत्रिका तंत्र संबंधी रोगों का इतिहास रहा है। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान 18 कोरोना पीड़ितों को स्ट्रोक और 15 को मिर्गी का सामना करना पड़ा था, जबकि 26 लोगों को भ्रम जैसी समस्या से जूझना पड़ा था। सात मरीजों को गतिविधि संबंधी विकारों से पीड़ित पाया गया था।
 
अमेरिका के बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में न्यूरोलॉजी के सहायक प्रोफेसर जुल्फी हनीफ ने कहा कि हमें 600 से अधिक कोरेाना के ऐसे मरीज मिले जो न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से प्रभावित हुए। कोरोना से संक्रमित मरीजों के ईईजी से पता चला कि मस्तिष्क को इस हद तक नुकसान पहुंच सकता है कि संक्रमण से ठीक होने के बाद भी इसकी भरपाई नहीं की जा सकती है।


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