कैंसर के इलाज के लिए लगातार रिसर्च जारी है, वैज्ञानिक नई-नई दवाओं को टेस्ट कर रहे हैं, साथ ही कई तरीके आजमा रहे हैं. इसी फेहरिस्त में एक नई स्टडी में पता चला है कि ब्रेस्ट (Breast) और पैनक्रिएटिक (Pancreatic) समेत कुछ तरह के कैंसर मरीजों को अगर सर्जरी के समय उल्टी या मिचली रोकने की दवा दी जाए, तो पीड़ित की लाइफ कुछ समय के लिए बढ़ सकती है. दैनिक जागरण अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, इस संबंध में की गई स्टडी को एनेस्थिसियोलाजी 2021 की वार्षिक बैठक (ANESTHESIOLOGY 2021 annual meeting) में पेश किया गया है. इस रिसर्च के दौरान पाया गया कि सर्जरी के 3 महीने बाद जिन रोगियों की मौत हुई, उनमें डेक्सामेथासोन (Dexamethasone) दवा लेने वाले मरीजों की तुलना में यह दवा नहीं लेने वालों की संख्या 3 गुना अधिक थी. आपको बता दें कि डेक्सामेथासोन दवा सर्जरी या कीमोथेरेपी के बाद मरीजों को उल्टी रोकने के लिए दी जाती है.
रिसर्चर्स ने पाया कि नॉन-इम्यूनोजेनिक कैंसर (non-immunogenic cancer) यानी जिसमें मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्प्रेरित नहीं होती है. उनके रोगियों में डेक्सामेथासोन दवा का फायदा मीडियम से लॉन्ग टर्म तक होता है. इससे स्तन, गर्भाशय, अंडाशय, भोजन नाल, अग्न्याशय (पैंक्रियाज), थायरायड, हड्डियों और जोड़ों के कैंसर रोगियों को राहत मिल सकती है.
रिसर्चर्स का क्या कहना है?
इस रिसर्च के सीनियर राइटर और सेंटर फार एनेस्थिसिया रिसर्च एक्सीलेंस (Center for Anesthesia Research Excellence) के डायरेक्टर मैक्सिमिलियन शेफर (Maximilian Schaefer) ने बताया कि डेक्सामेथासोन (Dexamethasone) के अच्छे और बुरे दोनों ही असर होते हैं. ये दवा कैंसर की वृद्धि तो रोकती है, लेकिन इम्यून सिस्टम की सक्रियता को भी दबा देती है.
मैक्सिमिलियन शेफर ने बताया, "पहले की स्टडीज में बताया गया है कि जिस कैंसर में इम्यून सिस्टम डिजीज को कंट्रोल करता है, उसमें डेक्सामेथासोन का सकारात्मक और नकारात्मक असर एक तरह से एक-दूसरे को संतुलित कर देता है, लिहाजा कोई फायदा नहीं मिलता है. लेकिन व्यापक पैमाने पर किए गए हमारे अध्ययन में यह देखा गया है कि जिस प्रकार के कैंसर में इम्यून सिस्टम की कोई अहम भूमिका नहीं होती है, उनमें इसका सकारात्मक असर प्रभावी रहता है."
यह निकला स्टडी का निष्कर्ष
स्टडी के दौरान 25,178 (34 फीसद) रोगियों को सर्जरी के दौरान डेक्सामेथासोन दवा दी गई थी. इनमें से सर्जरी के 90 दिनों बाद 209 (0.83 फीसद) रोगियों की मौत हुई. जबकि जिन रोगियों को डेक्सामेथासोन दवा नहीं दी गई थी, उनमें से 1,543 (3.2 फीसद) की मौत हुई. इसके अलावा, यह भी पाया गया कि अन्य कारकों को शामिल करते हुए, जिन युवा रोगियों को नियमित तौर पर डेक्सामेथासोन दवा दी गई, उनमें एक साल में मौत का रिस्क 21 फीसद कम था.डेक्सामेथासोन का सबसे अच्छा असर अंडाशय, गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा (ovary, uterus or cervix) के कैंसर रोगियों में देखने को मिला. शेफर ने कहा कि हमारे अध्ययन के आधार पर एनेस्थियोलाजिस्ट को न\न-इम्यूनोजेनिक कैंसर की सर्जरी में बेहिचक डेक्सामेथासोन का इस्तेमाल करना चाहिए.