रिसर्च का दावा- 2 साल से कम उम्र के बच्चों को अधिक एंटीबायोटिक्स देना होता नुकसानदायक, घटा रहा इम्युनिटी

एक या दो बार छींक आते ही आप भी बच्चों को एंटीबायोटिक देते हैं तो अलर्ट हो जाएं।

Update: 2020-12-06 16:09 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक या दो बार छींक आते ही आप भी बच्चों को एंटीबायोटिक देते हैं तो अलर्ट हो जाएं। दो साल से कम उम्र के बच्चों को एंटीबायोटिक दवाएं अधिक देते हैं तो भविष्य में उन्हें अस्थमा, मोटापा या एक्जिमा जैसी बीमारी हो सकती है। यह दावा अमेरिका के मेयो क्लीनिक की रिसर्च में किया गया है।


ये शरीर के गुड बैक्टीरिया भी खत्म करते हैं

वैज्ञानिकों का कहना है, एंटीबायोटिक का काम शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करना है लेकिन कई अक्सर ये पेट और आंत में मौजूद फायदा पहुंचाने वाले बैक्टीरिया को भी खत्म कर देते हैं। नतीजा, शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता घटती है।

14,500 बच्चों का हेल्थ रिकॉर्ड जांचा
शोधकर्ताओं ने 14,500 बच्चों का हेल्थ रिकॉर्ड जांचा। इनमें से 70 फीसदी बच्चों को दो साल से कम उम्र में ही एंटीबायोटिक देना शुरू किया गया था। कम उम्र में एंटीबायोटिक्स देने के कारण इनमें अस्थमा, मोटापा, फ्लू, एकाग्रता में कमी और अधिक गुस्सा आना जैसी परेशानी से कनेक्शन मिला।

बैक्टीरिया सुपरबग बन जाता है

शोधकर्ता नाथन लीब्रेजर कहते हैं, एंटीबायोटिक्स का काम बैक्टीरिया को खत्म करना है। यह वायरस या फंगस को नहीं मारते। हालांकि डॉक्टर वायरल संक्रमण के इलाज के लिए कई बार बड़े पैमाने पर एंटीबायोटिक्स दवाएं लेने का सुझाव देते हैं। इससे हानिकारक बैक्टीरिया सुपरबग की तरह हो जाता है यानी उस पर इन दवाओं का असर नहीं होता।

इसका इस्तेमाल घटाना होगा

शोधकर्ता नाथन ब्रेजर कहते हैं, पेनिसिलिन सबसे कॉमन एंटीबायोटिक है जो डॉक्टर प्रिस्क्राइब करते हैं। ये बच्चों को ओवरवेट कर सकता है या अस्थमा का खतरा बढ़ा सकता है। ऐसे में सबसे बेहतर विकल्प है कि एंटीबायोटिक्स का कम से कम इस्तेमाल करें ताकि बैक्टीरिया पर यह बेअसर साबित न हो और ऐसी बीमारियों का खतरा न बढ़े।


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