रिसर्च: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में चीन अब अमेरिका से आगे...

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के रिसर्च में चीन अब अमेरिका से आगे निकल रहा है।

Update: 2021-08-11 17:17 GMT

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के रिसर्च में चीन अब अमेरिका से आगे निकल रहा है। ये बात वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम की एक रिपोर्ट में कही गई है। उसके मुताबिक 2020 में ऐसा पहली बार हुआ, जब एआई के बारे में चीन के अकादमिक अनुसंधानों का हवाला सबसे ज्यादा बार दिया गया। इसे चीन में हो रहे रिसर्च की बेहतर हो रही गुणवत्ता का संकेत माना गया है। उसके पहले तक एआई रिसर्च के मामले में अमेरिका बहुत आगे रहता था।

निक्कई एशिया ने अपने विश्लेषण में कहा है कि एआई के क्षेत्र में चीन की स्थिति मजबूत होने की एक बड़ी वजह यह है कि वहां बड़ी मात्रा में संबंधित डाटा वहां पैदा हो रहा है। अनुमान है कि 2030 तक चीन में आठ अरब उपकरण ऐसे होंगे, जो नई तकनीक इंटरनेट ऑफ थिंग्स से जुड़े होंगे। उन उपकरणों में कार, इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े उपकरण, रोबोट और दूसरे तरह के औजार शामिल होंगे। टोक्यो स्थित इतोचु रिसर्ट इंस्टीट्यूट में सीनियर रिसर्चर वेइलिन झाओ ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- चीन एआई को श्रमिकों की कमी पूरी करने के उपाय के रूप में देखता है। वह घट रही आबादी से आशंकित है।
एआई का कई तरह के उद्योगों में आज इस्तेमाल हो रहा है। जानकारों का कहना है कि इसका देश की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता पर बड़ा असर होता है। अमेरिका में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में बनाए गए नेशनल सिक्युरिटी कमीशन ने बीते मार्च में ये चेतावनी दी थी कि एआई के क्षेत्र में अमेरिका के पास अभी जो पहल है, उसे वह चीन के हाथों गंवा सकता है। इस आयोग के अध्यक्ष गूगल कंपनी के पूर्व सीईओ एरिक श्मिड्ट हैं।
ये बात आज पूरी दुनिया में मानी जाती है कि एआई के क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच होड़ बढ़ती जा रही है। अब ऐसा 2020 में पहली बार हुआ जब इस क्षेत्र में चीन में हुए अनुसंधानों का हवाला अमेरिका में हुए रिसर्च से ज्यादा बार दिया गया। अमेरिका की स्टेनफॉर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के मुताबिक अकादमिक दस्तावेजों में चीन में हुए रिसर्च के उद्धरण का प्रतिशत 20.7 रहा। जबकि अमेरिकी रिसर्च के उद्धरण का प्रतिशत 19.8 ही रहा।
एक ब्रिटिश अनुसंधान विशेषज्ञ के मुताबिक 2012 के बाद से चीन में एआई के बारे में हर साल लगभग दो लाख 40 हजार रिसर्च पेपर तैयार होते हैं, जबकि अमेरिका में ये संख्या लगभग एक लाख 50 हजार ही रही है। जानकारों का कहना है कि अब खासकर इमेज रिकॉग्निशन के मामले में चीन में हो रहे रिसर्च उच्च गुणवत्ता के हैं।
एआई के विकास के लिए बड़े पैमाने पर मानव और वित्तीय संसाधनों की जरूरत होती है। टोक्यो मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर भाषा के विशेषज्ञ और प्रोफेसर मामोरू कोमाची ने कहा कि गिने-चुने देश ही ऐसे हैं, जिनके पास ये संसाधन मौजूद हैं। चीन ने ऐसे कई संस्थान और कंपनियां तैयार की हैं, जिनके पास ऐसे संसाधन हैं। उन संस्थानों में शिनहुआ यूनिवर्सिटी, पीकिंग यूनिवर्सिटी, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज, बायदू और शाओमी शामिल हैं। पर्यवेक्षकों के मुताबिक अब तक एआई के क्षेत्र में अमेरिका ही आगे है। लेकिन चीन की बढ़ रही ताकत भी धीरे-धीरे साफ होती जा रही है।
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