Reptiles! जानिए 6 करोड़ साल के जलवायु परिवर्तन ने कैसे की सरीसृप के विकास में मदद
सामान्यतः जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को लेकर माना जाता है कि इसके कारण दुनिया की कई प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी. कई बार ये महाविनाश (Mass Extinction) तक के हालात पैदा कर देता है. प्राणियों के उद्भव के इतिहास में देखा गया है कि जहां महाविनाश में अधिकांश प्रजातियां नष्ट और विलुप्त हो जाती हैं. सरीसृप (Reptiles) ना केवल खुद को बचाने में सफल रहे बल्कि उनका विकासक्रम और विविधता और बेहतर होकर सामने आया. इसका नतीजा यह है कि आज की तारीख में दुनिया में सबसे ज्यादा विविध और उद्भव परिवर्तन से गुजरीं प्रजातियां सरीसृपों की है. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इसी को जानने का प्रयास किया है कि ऐसा कैसे और क्यों हो सका.
करोड़ों साल पहले भी
25 करोड़ साल पहले भी सरीसृप बहुत तेजी से पनपे थे और उस दौर में उनमें शानदार विविधता और शारीरिक क्षमताएं थी जो आज भी कई सरीसृपों में पाई जाती हैं. उस समय उनका विकास की दर और विविधता में भी तेजी आई थी और लंबे समय तक इनके इस तरह के पनपने की वजह यही बताई जाती रही कि दो महाविनाशों के कारण उन्हें किसी प्रतिस्पर्धा का सामाना नहीं करना पड़ा था.
कुछ अहम सवाल
लेकिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की अगुआई में हुए अध्ययन में इस इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास किया जिसमें इस बात की व्याख्या करने का प्रयास किया गया है कि कैसे पुरातन सरीसृपों के शरीर में करोड़ों सालों के जलवायु परिर्वत को होते हुए बदलाव आए और वे ना केवल अपने विकासक्रम को जारी रख सके बल्कि अपनी प्रजातियों में भी इतनी ज्यादा विविधता ला सके.
काफी पहले शुरू हो गई थी प्रक्रिया
हार्वर्ड जीवाश्मविद् स्टीफेनी पियर्स की प्रयोगशाला में हुए अध्ययन में दर्शाया गया है कि शुरुआती सरीसृपों में जिस तरह का आकृति उद्भव और विविधता देखने को मिली है वह ना केवल महाविनाश की घटनाओं के कई सालों पहले शुरू हो गई थी, बल्कि जलवायु परिवर्तन के कारण हुई ग्लोबल वार्मिंग ने भी इसमें योगदान दिया था.
25 करोड़ साल पहले सरीसृपों में हुए बदालवों के आधार पर डायनासोर (Dinosaurs) भी विकसित हुए थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
जलवायु परिवर्तन ने दिया योगदान
इस अध्ययनके प्रमुख लेखक और पियर्स लैब में फैलो रहे टियागो आर सिमोस ने बताया,"हम सुझा रहे हैं कि इस मामले में दो बड़े कारकों ने काम किया था. इससे पारिस्थिकी अवसर तो खुले ही थे जिसे कई वैज्ञानिकों ने सुझाया था, लेकिन दूसरे कारक का ध्यान अब तक किसी का नहीं गया था. वास्तव में जलवायु परिवर्तन ने ही सरीसृपों में खुद को ढालने की क्षमताओं का विकास करने में मदद की थी. जिससे उनमें बहुत सी शारीरिक योजनाएं और नए समूह विकसित होते गए."
बदलावों का रेखांकन
सिमोस ने बताया कि मूलतः यह बढ़ता वैश्विक तापमान ही था जिसकी वजह से ये सभी आकृति संबधी प्रयोग शुरू हो सके जो इतने शानदार तरह से काम कर गया कि कई सरीसृप ना केवल खुद को बचाए रखे बल्कि करोड़ों साल बाद आज भी जिंदा हैं जबकि कई अन्य कुछ करोड़ साल बाद विलुप्त हो सके. यह अध्ययन हाल ही में साइंस एडवांस में प्रकाशित हुआ है. जिसमें शोधकर्ताओं ने कई सरीसृप समूहों में इतने सालों में आए बदलावों को रेखांकित किया है.
उद्भव प्रक्रियाओं का विस्फोट
इस अध्ययन में पड़ताल की गई कि कैसे एक प्राणियों का एक विशाल समूह जलवायु परिवर्तन के कारण विकसित हुआ जो आज के बढ़ते तापमान के माहौल में भी खुद को कायम रख रहा है जबकि आज के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 25 करोड़ साल पहले आए बदालवों की तुलना में 9 गुना ज्यादा हैं. पर्मियान-ट्रियासिक काल में आए महाविनाश ने स्तनपायी जीवों सहित कई प्रजातियों को नष्ट तो किया था, लेकिन कई अन्य प्रजातियों में उद्भव प्रक्रियाओं का विस्फोट भी कर दिया था.
इस अध्यन में सिमोस ने 20 से ज्यादा देशों के संग्रहालयों का दौरा किया और एक हजार सरीसृपों के जीवाश्मों के तस्वीरें और स्कैन हासिल किए. इसके आधार पर शोधकर्ताओं ने सरीसृपों का उद्भव कालवृक्ष तैयार किया. इसके मुताबिक सरीसृप में शारीरिक नियोजन पर्मियान-ट्रियासिक महाविनाश के 3 करोड़ साल पहले शुरू हुआ था. इसके बाद तापमान वृद्धि के साथ ही सरीसृप वंशावलियों में तेजी से शारीरिक बदलाव आए थे. इनमें कुछओं और मगरमच्छों के पूर्वज तो लंबे समय तक कायम रहे. शोधकर्ता अब इस अध्ययन को आधुनिक सरीसृप जैसे सांप और छिपकलियों तक बढ़ाना चाहते हैं.