Chandrayaan-4 को लेकर नई अपडेट आया सामने, भारत रचेगा इतिहास

Update: 2024-06-27 09:46 GMT
New Delhi नई दिल्ली: अंतरिक्ष की दुनिया में भारत एक लंबी उड़ान लगाने जा रहा है। इस बार इसरो अंतरिक्ष में वह काम करेगा, जो आज तक किसी ने नहीं किया, जिससे ये इतिहास रच देगा। चंद्रयान-4 को लेकर आई Update में सामने आया है कि इसरो इसकी लॉन्चिंग इसबार अलग तरीके से करेगा। खबर के मुताबिक चंद्रयान-4 को साल 2026 में लॉन्च कर दिया जाएगा। इसरो चीफ सोमनाथ ने खुद इसके बारे में जानकारी दी और बताया कि चंद्रयान-4 के लेकर इसरो ने क्या प्लान बनाया है।
जापान में बन रहा रोवर
इसरो के चीफ ने बताया कि चंद्रयान-4 को किस तरह से Launch किया जाएगा। उन्होंने कहा, " चंद्रयान-4 को 2 हिस्सों में लॉन्च किया जाएगा। दोनों हिस्सों को लॉन्च करने के बाद उन्हें अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा। अगर इसरो अपने इस प्रयोग में सफल हुआ तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा। लैंडर और रोवर की बात करते वक्त उन्होंने बताया कि चंद्रयान-4 का लैंडर हम यानी इसरो बना रहा है और इसका रोवर जापान में बन रहा है। चंद्रयान-4 को चंद्रयान-3 की तरह चंद्रमा के शिव शक्ति पॉइंट पर लैंड करवाया जाएगा।
यही मिशन चांद की मिट्टी का सैंपल लेकर लौटेगा। इसरो चीफ ने ये भी बताया कि भारत ने स्पेस में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और कई स्पेस मिशन अंतरिक्ष में ही अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर बनाए गए थे, लेकिन इस बार किसी अंतरिक्ष यान को पहली बार स्पेस में ही जोड़कर तैयार किया जाएगा। दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान इसरो चीफ सोमनाथ ने इस प्लानिंग के बारे में बताया और कहा कि अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यान बनाकर भारत चंद्रमा पर 
Landing 
से पहले ही इतिहास रच लेगा।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस बार चंद्रयान-4 के फॉर्मेशन पर खास काम किया है। मकसद सिर्फ एक है कि चंद्रमा से नमूने पृथ्वी पर कैसे लाए जाएं? इसी कोशिश के तहत इसरो ने अंतरिक्ष में ही Docking (अंतरिक्ष यान के विभिन्न भागों को जोड़ना) करने का फैसला लिया है। इस बार डॉकिंग कुछ इस तरह होगी कि अंतरिक्ष यान को पहले तैयार किया जाएगा। फिर परिक्रमा करते हुए एक हिस्सा मुख्य अंतरिक्ष यान से अलग होकर लैंडिंग करेगा, जबकि दूसरा हिस्सा चंद्रमा की कक्षा में रहेगा। जब लैंडिंग वाला हिस्सा चंद्रमा के सैंपल लेकर बाहर निकलेगा तो वह डॉक करेगा और परिक्रमा करने वाले हिस्से से जुड़ जाएगा। इसरो को आज तक अंतरिक्ष में डॉकिंग ऑपरेशन करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी है, लेकिन Spadex (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) इसरो की क्षमताओं को पहली बार परखा जाएगा।
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