हर सात साल में धरती के अंदर घूमती हैं नई तरह की 'चुंबकीय तरंगें', स्टडी कर रहे हैं साइंटिस्ट

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Update: 2022-05-29 15:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: वैज्ञानिक हैरान हैं. थोड़ा परेशान भी. क्योंकि नए प्रकार की चुंबकीय तरंग (New Magnetic Wave) मिली है. यह तरंग धरती के केंद्र से निकलती है. वह भी हर सात साल में. साइंटिस्ट इस सात साल की पहेली से दिक्कत में हैं. इसका खुलासा करने में स्टडी कर रहे हैं. वो ये जानना चाहते हैं कि क्या इसका असर हमारी धरती की मैग्नेटिक फील्ड पर भी पड़ता है.

वैज्ञानिकों ने नए प्रकार की चुंबकीय तरंग (New Magnetic Wave) को मैग्नेटो-कोरियोलिस (Magneto-Coriolis) नाम दिया है. क्योंकि ये धरती के घूमने के हिसाब से ही घूमती हैं. ये पूर्व से पश्चिम की तरफ जाती हैं. ये हर साल 1500 किलोमीटर की यात्रा करती हैं. इनके बारे में प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में एक रिसर्च पेपर छपा था.
इसकी स्टडी करने के लिए यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के सैटेलाइट्स का सहारा लेना पड़ा. क्योंकि इससे पहले वैज्ञानिकों के धरती के तरल बाहरी कोर पर अलग तरह की तरंग दिखी थी. यहीं पर धरती की सतह से करीब 3000 किलोमीटर नीचे पथरीला मैंटल धरती के केंद्र की बाहरी परत से मिलती है.
वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि इन चुंबकीय तरंगों के अध्ययन से धरती के मैग्नेटिक फील्ड में आने वाले रहस्यमयी बदलावों का पता लगेगा. क्योंकि धरती के केंद्र में तरल लोहा है. जिसके घुमाव की वजह से मैग्नेटिक फील्ड बना है और उसमें बदलाव आता रहता है. लेकिन इसके पीछे की सही वजह नहीं पता है. पिछले 20 सालों से धरती के मैग्नेटिक फील्ड की गणना की जा रही है.
20 साल की स्टडी में यह पता चला है कि हर सात साल में मैग्नेटिक फील्ड की ताकत में तेजी से गिरावट आती है. इसी गिरावट की स्टडी करते समय साइंटिस्ट्स को इन नई तरंगों का पता चला था. फ्रांस के ग्रेनोबल एल्प्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता निकोलस गिलेट न बताया कि बहुत पहले इन तरंगों को लेकर थ्योरी दी गई थी. लेकिन इनकी माप-तौल करने का मौका नहीं मिल रहा था. लेकिन हमारी स्टडी में हमने ये काम कर दिया. 
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