NASA का जूनो स्पेसक्राफ्ट पहुंचेगा सौरमंडल के सबसे बड़े चंद्रमा तक
सौरमंडल (Solar System) के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) के वातावरण का अध्ययन कर रहा
सौरमंडल (Solar System) के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) के वातावरण का अध्ययन कर रहा NASA का जूनो स्पेसक्राफ्ट (Juno spacecraft) 7 जून को ग्रह के गेनीमेड चंद्रमा (Ganymede Moon) के पास से गुजरेगा. गेनीमेड सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है.
NASA ने एक बयान में कहा, NASA के गैलीलियो स्पेसक्राफ्ट ने 20 मई, 2000 को सौरमंडल के सबसे बड़े प्राकृतिक उपग्रह के पास से उड़ान भरी थी. इसके 21 साल बाद ये पहला मौका होगा, जब गेनीमेड चंद्रमा के पास से कोई स्पेसक्राफ्ट गुजरेगा. जूनो स्पेसक्राफ्ट इस चंद्रमा के 1,038 किमी के दायरे को कवर करेगा.
गेनीमेड के पास से गुजरने के दौरान स्पेसक्राफ्ट इस चंद्रमा की संरचना, आयनोस्फीयर, मैग्नेटोस्फीयर और बर्फ के खोल के बारे में जानकारी जुटाएगा. इसके अलावा, चांद के पास मौजूद रेडिएशन पर्यावरण की रीडिंग लेने से बृहस्पति को लेकर किए जाने वाले भविष्य के मिशनों को लाभ पहुंचेगा.
जूनो स्पेसक्राफ्ट के चंद्रमा के पास से गुजरने से बृहस्पति के दूसरे चंद्रमा यूरोपा को लेकर किए जाने वाले क्लिपर मिशन के लिए एक नई रणनीति को समझने और तैयार करने में मदद मिलेगी. यूरोपा क्लिपर मिशन (Europa Clipper Mission) के जरिए ये पता लगाया जाएगा कि क्या इस चांद पर जीवन को बरकरार रखने के लिए उपयुक्त परिस्थितियां मौजूद हैं या नहीं.
गेनीमेड चंद्रमा के करीब पहुंचने से तीन घंटे पहले ही जूनो स्पेसक्राफ्ट डाटा इकट्ठा करना शुरू कर देगा. इसके अलावा, जूनो इसकी बर्फीली परत का अध्ययन करेगा. वहीं. चंद्रमा की बनावट और इसके तापमान को लेकर भी डाटा इकट्ठा किया जाएगा
बृहस्पति के इस चंद्रमा की जांच के लिए जूनो स्पेसक्राफ्ट अल्ट्रावाइलेट स्पेक्ट्रोग्राफ (UVS) और जोवियन इन्फ्रारेड ऑरोरल मैपर (JIRAM) और माइक्रोवेव रेडियोमीटर (MWR) का उपयोग करेगा. इन उपकरणों के जरिए गेनीमेड की सतह की बारीकी से जांच की जाएगी.
जूनो स्पेसक्राफ्ट का नाम बृहस्पति की पत्नी और देवी जूनो के नाम पर रखा गया है. NASA ने इसे 2011 में लॉन्च किया था और ये 2016 में बृहस्पति ग्रह तक पहुंचा. इसका काम बृहस्पति ग्रह के वातावरण को समझना है. जूनो स्पेसक्राफ्ट ग्रह के घने बादलों के जरिए इसके विकास को समझने का प्रयास कर रहा है.