Nasa video: अंतरिक्ष यात्री बिना बोले कैसे करते हैं आपस में बात, देखें

अंतरिक्ष की दुनिया पृथ्‍वी से जितनी अनोखी और दिलचस्‍प नजर आती है

Update: 2022-05-03 13:54 GMT
अंतरिक्ष की दुनिया पृथ्‍वी से जितनी अनोखी और दिलचस्‍प नजर आती है, अंतरिक्ष का सफर करने वाले यात्रियों के लिए यह उतनी ही चुनौतीपूर्ण होती है। स्‍पेस मिशन के दौरान यात्री आपस में कम्‍युनिकेट कर सकें, इसके लिए रेडियो सिस्‍टम और कम्‍युनिकेशन चैनलों का एक पूरा नेटवर्क काम करता है। लेकिन स्थितियां आपात भी तो हो सकती हैं। रेडियो सिस्‍टम के बंद होने या मिशन के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी या फ‍िर स्‍पेस वॉक के दौरान एस्‍ट्रोनॉट आपस में कैसे बात करते हैं, यही नासा (Nasa) ने अपने नए वीडियो में समझाया है।
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अंतरिक्ष यात्री बनना इतना आसान नहीं होता। इन यात्रियों को दिल और दिमाग से मजबूत होना पड़ता है। मिशन पर रवाना होने से पहले यात्रियों को साइलेंस सिग्‍नल्‍स की प्रैक्टिस करनी होती है। यह काफी हद तक भाव भंग‍िमाओं पर निर्भर करता है। वैसे, आम जिंदगी में भी तो लोग बिना कुछ कहे अपनी बात कह जाते हैं। जैसे-गुस्‍सा आने पर आंखों को तरार देना और माथे पर सिलवटें ले आना। कुछ इसी तरह से अंतरिक्ष यात्री भी नंबरों और भावनाओं के जरिए आपात स्थिति के दौरान आपस में बात करते हैं। हालांकि ये इशारे बहुत अनोखे नहीं हैं। स्‍कूबा डाइवर्स, पायलट और लड़ाकू विमानों की यूनिटें भी आपस में इस तरह से कम्‍युनिकेट करती रहती हैं।
नासा के यह वीडियो अपने STEM यूट्यूब चैनल पर खासतौर से स्‍टूडेंट्स के लिए तैयार किया है। वीडियो में अंतरिक्ष यात्री राजा चारी और कायला बैरोन नजर आते हैं जो कुछ दिलचस्प अशाब्दिक तरीकों के जरिए अपनी बात समझाते हैं। इंटरनेशनल स्‍पेस स्टेशन पर रहने और काम करने की ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने खुद को व्यक्त करना सीखा है।
बैरन इस वीडियो में समझाती हैं कि हम आमतौर पर ऐसा करते हैं कि हम "ठीक" हाथ के संकेत का इस्‍तेमाल करें। वीडियो में दोनों यह समझाने की कोशिश करते हैं कि वह स्‍पेस में रहने के दौरान संकेतों के जरिए कैसे आपस में बात करते हैं।
लो-अर्थ ऑर्बिट के मुश्‍किल वातावरण में जरूरी जानकारी को ट्रांसमिट करने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को संकेतों को समझना जरूरी है। यह सब इसलिए ताकि हाथ से इशारे करते समय कोई गलती ना हो। वीडियो में चारी बताते हैं कि बहुत सारी नॉनबर्बल चीजें हैं, जो सिर्फ लोगों के साथ काम करने से आती हैं। स्पेसवॉक के दौरान संकेतों की अहमियत बहुत अधिक बढ़ जाती है।
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